मीडिया सेल प्रभारी हरिप्रसाद बांके ने बताया सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड होने के बाद शहर में तनाव फैला था। इसी दौरान ३० जुलाई २०१४ की रात करीब ९.०५ बजे मृतक सुशील कुमार पुंडगे निवासी नर्मदापुरम् इमलीपुरा की ओर से बाइक से आ रहा था। तभी आरोपियों ने शर्मा गैरेज के सामने हातमपुरा के पास उसे घेर लिया। पुडंगे के माथे पर तिलक लगा था। जिसे देख आरोपियों ने कहा यह हिंदू है मारो इसे। इस पर आरोपी जुबेर और आजम ने सुशील पुंडगे के हाथ पकड़े और आरोपी जाकिर ने पीठ पर चाकू से वार किया था। घायल होने पर पुडंगे लडख़ड़ाकर बाइक के साथ गिर गया। वहीं आरोपी मौके से फरार हो गए। घटना देख पुलिस ने घायल को अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी मौत हो गई थी। इसी प्रकरण में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
हत्याकांड के बाद भड़के थे दंगे, लगा था कफ्र्यू
इधर, पुडंगे हत्याकांड की खबर फैलते ही शहर में दंगे भड़क उठे। जगह-जगह तोडफ़ोड़ और आगजनी की वारदात होने लगी। स्थितियों को देखते हुए प्रशासन ने शहर में कफ्र्यू घोषित किया था। कफ्र्यू के बाद भी कुछ क्षेत्रों में पथराव और मारपीट की वारदातों को अंजाम दिया गया था। हालांकि पुलिस ने सख्ती से स्थितियों को नियंत्रण किया था। वहीं पुडंगे हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पत्नी मीना पुडंगे ने १५ दिन का सत्याग्रह किया था। इस दौरान खंडवा के इतिहास का सबसे बड़ा कैंडल मार्च निकाला गया था। जिसमें पूरा शहर उमड़ पड़ा था।