सीढिय़ों पर गंदगी पसरी देख अफसरों को इसकी सफाई कराने को कहा। यहां से अचानक दिव्यांगों के लिए बने टायलेट पर उनकी नजर पड़ी। वे तेजी से आगे बढ़ीं और दरवाजे को जोरों से लात मारी। धड़ाम से दरवाजा खुल गया तो वे बोलीं- क्या है ये? उनका रूप देख अफसर सहम गए। मंत्री ने दरवाजा पर लगे पेंट की निकल रही परत पर भी सवाल उठाए। रिसेप्शन के फर्नीचर की क्वालिटी की भी कलई खुल गई। प्लाईवुड का टुकड़ा अफसरों को दिखाते हुए बोलीं- ये क्या चल रहा है यहां?
यहां से वे डिपार्टमेंट आफ एनाटामी में पहुंची। यहां के दरवाजे की समस्या भी सामने आ गई। विभागाध्यक्ष डा. विनीत कुमार गोहिया ने बताया कि केवल यही नहीं, कालेज के अन्य दरवाजे भी ऐसे ही हैं, कई टूट चुके हैं और कुछ लगते ही नहीं हैं। कालेज भवन से निकलकर उनका कारवां फेक्टी क्वार्टर्स जा पहुंचा। यहां निर्माणाधीन भवनों में दीवारों पर दरारें दिखीं, बालकनी में लगी ग्रिल की कम ऊंचाई से गिर जाने के खतरे के बारे में उन्हें बताया गया।
फिटिंग में पानी आने से फैल रहे करंट की समस्या से अवगत कराया गया। गल्र्स हॉस्टल में समस्या बताते समय सीमेंट का एक लंबा टुकड़ा साथ चल रहे अफसर के हाथ में ही आ गया। पूरे निरीक्षण के दौरान कालेज के डीन डा. संजय कुमार दादु और वरिष्ठ डा. संजय अग्रवाल उन्हें समस्याओं से अवगत कराते रहे। इस दौरान डा. विजयलक्ष्मी साधौ ने कई बार जीडीसीएल और पीआईयू की खिंचाई की।