scriptअवैध कॉलोनाइजर्स को नोटिस देकर भूला नगर निगम | Municipal corporation forgotten by giving notice to illegal colonizers | Patrika News

अवैध कॉलोनाइजर्स को नोटिस देकर भूला नगर निगम

locationखंडवाPublished: Feb 10, 2021 11:41:15 pm

-एक भी कॉलोनाइजर्स के खिलाफ नहीं दर्ज करा पाए केस-शहर में साढ़े तीन सौ अवैध कॉलोनियां, तीन को दिए नोटिस-रेरा के तहत भी हो सकती है कार्रवाई, सजा का भी प्रावधान

अवैध कॉलोनाइजर्स को नोटिस देकर भूला नगर निगम

कॉलोनी की वैधता नहीं होने से मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। -एक भी कॉलोनाइजर्स के खिलाफ नहीं दर्ज करा पाए केस-शहर में साढ़े तीन सौ अवैध कॉलोनियां, तीन को दिए नोटिस-रेरा के तहत भी हो सकती है कार्रवाई, सजा का भी प्रावधान

खंडवा.
शहर में मौजूद अवैध कॉलोनियों के कॉलोनाइजर्स के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नगर निगम ने नोटिस दिए थे। नोटिस के बाद निगम अधिकारी कार्रवाई करना भूल गए है। शहर में मौजूद करीब साढ़े तीन सौ कॉलोनियों में से तीन कॉलोनी के कॉलोनाइजर्स को कार्रवाई के नोटिस भी जारी किए है। इन पर एफआइआर कराने की भी तैयारी थी, जो एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाई है। बिना मद परिवर्तन कराए भूखंड बेच चुके कई कॉलोनाइजर्स का तो निगम के पास पता तक नहीं है। ऐसे में कैसे कार्रवाई होगी, इस पर भी बड़ा सवाल उठ रहा है।
करीब 10 दिन पूर्व नगर निगम की समीक्षा बैठक में आयुक्त हिमांशु भट्ट ने अवैध कॉलोनियों के कॉलोनाइजर्स पर कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। जिसके बाद निगम अधिकारियों ने शहर की तीन अवैध कॉलोनियों के कॉलोनाइजर्स को नोटिस भी जारी कर दिए थे। इसमें जुम्मन नगर के पीछे बन रही कॉलोनी, अंबेडकर वार्ड में विशाल नगर के पास और गणेश तलाई स्थित एक कॉलोनी के कॉलोनाइजर्स शामिल है। इसमें से जुम्मन नगर के पीछे बन रही कॉलोनी का मालिक तो खंडवा का भी रहने वाला नहीं है। जिसके कारण उसके दस्तावेज जुटाने में भी निगम अधिकारियों को पसीना आ रहा है।
तकनीकी रूप से आसान नहीं
शहर में करीब साढ़े तीन सौ अवैध कॉलोनियां है, जिनका डायवर्सन नहीं हुआ है। इन अवैध कॉलोनियों के कॉलोनाइजर्स के खिलाफ केस दर्ज कराना, दोनों ही कार्य तकनीकी रूप से निगम के लिए आसान नहीं है। अवैध कॉलोनियों के सारे प्लाट बिक चुके है और लोग मकान बना चुके है, ऐसे में अलग-अलग रजिस्ट्री बुलाना निगम के लिए आसान नहीं होगा। वहीं, कॉलोनाइजर पर केस दर्ज कराने के लिए भी सभी प्लाटों की रजिस्ट्री निगम के पास होना जरूरी है। भूमि किसकी है, किस मद की है और किस मद में बेची गई, इसका भी सबूत निगम को जुटाना होगा। इसके बाद ही एफआइआर की कार्रवाई संभव है। उल्लेखनीय है कि अवैध कॉलोनी निर्माण पर रेरा के तहत कार्रवाई के साथ ही न्यायालयीन प्रकरण में सजा का प्रावधान भी है।
अवैध कॉलोनी में नहीं मिलती मूलभूत सुविधाएं
अवैध कॉलोनियों में नगर निगम भी नियमानुसार मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराता है। अवैध रूप से बिना डायवर्सन के बनाई गई कॉलोनियों में खासतौर पर पेयजल, सीवरेज, सड़क, स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं को अभाव होता है। डायवर्सन नहीं होने से कम कीमत पर बेचे गए प्लाटों पर लोग मकान तो बना लेते हैं, लेकिन बाद में मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान होते रहते है। लोग बार-बार निगम के चक्कर भी काटते है, लेकिन अवैध कॉलोनी होने से वहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं होती।
ये है वैध कॉलोनी की प्रक्रिया
-कॉलोनी के लिए कृषि मद की जमीन का डायवर्सन आवासीय मद में कराना अनिवार्य।
-कॉलोनी विकास निर्माण का लायसेंस और अनुमति नगर निगम से लेना पड़ता है।
-टाउन एंड कंट्री प्लानिंग नक्शा लेआउट पास कराना पड़ता है
-रेरा से सभी शुल्क भरना पड़ता है, भोपाल से ऑनलाइन प्रक्रिया में अनुमति मिलती है।
-पीडब्ल्यूडी, एमपीइपी, हाउसिंग बोर्ड, नजूल, नगर निगम से एनओसी लेना पड़ती है।
-सड़क, पेयजल पाइप लाइन, संपवैल, सीवरेज लाइन, ओवरहेड टैंक, बगीचा, बिजली ट्रांसफार्मर, विद्युत पोल आदि सुविधाएं प्लाट बेचने के पूर्व उपलब्ध कराना होती है।
-ग्रीन बेल्ड के साथ ही बंधक प्लाट और बीपीएल कार्डधारियों के लिए अलग प्लाट रखना होते है।
कार्रवाई के दिए निर्देश
अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर्स के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हुए हैं। अधिकारी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे है।
हिमांशु भट्ट, नगर निगम आयुक्त
जारी किए नोटिस
तीन कॉलोनाइजर्स को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। तहसीलदार कार्यालय से कॉलोनी की जमीन के खसरा नकल निकाली जा रही है। इसके बाद एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
अंतरसिंह तंवर, एइ नगर निगम
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो