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विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष ने घेरा, तू-तू-मैं-मैं की बनी स्थिति, हंगामे की भेंट चढ़ा सम्मेलन, बजट नहीं हुआ पास

locationखंडवाPublished: Jul 14, 2018 12:05:16 pm

खंडवा नगर निगम परिषद का चौथा सम्मेलन… वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट सबसे मुख्य मुद्दा था, प्रश्नकाल में ही खत्म हो गया समय

nagar nigam budget sammelan khandwa madhya pradesh

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खंडवा. नगर निगम परिषद का चौथा सम्मेलन हंगामे की भेंट चढ़ गया। शहर व जनहित से ज्यादा व्यक्तिगत मुद्दों पर बात हुई। नए बस स्टैंड, मांगलिक परिसर, जांच समिति पर सवाल उठे। सम्मेलन हंगामे की भेंट चढ़ गया। सम्मेलन में आदिम जाति कल्याण मद से बने मांगलिक भवनों की बात तो उठी लेकिन निगम के पास जो हैं, उन पर लोगों का कब्जा है, उनकी चर्चा नहीं हुई। विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष और एमआईसी सदस्यों ने सवाल उठाए। तू-तू-मैं-मैं की स्थिति बनी। एक पार्षद ने तो इस्तीफे तक की पेशकश कर दी। 30 अगस्त 2017 को हुए सम्मेलन के कार्यवृत्त की पुष्टि तो हुई लेकिन इसके बाद प्रश्नकाल ही चलता रहा। शहरवासी एक बार फिर ठगे गए हैं, क्योंकि कोई भी एेसा बड़ा निर्णय नहीं हो पाया, जिससे बड़े बदलाव की उम्मीद की सके। पार्षद मनीष पाटील, मेहमूद खान, सिद्दीक पटेल, वेदप्रकाश शर्मा, अहमद पटेल, नीलिमा भालेराव, मो. इकबाल कुरैशी के प्रश्न सदन में प्रस्तुत हुए और इनके जवाब दिए गए। शाम 6 बजे सभापति रामगोपाल शर्मा ने सम्मेलन के आगामी तारीख तक स्थगित करने की घोषणा कर दी। अब गुरुपूर्णिमा के बाद ही सम्मेलन के आसार हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट पास नहीं हुआ, जबकि अन्य विषयों पर भी चर्चा नहीं हो पाई। निगम केअफसर-कर्मचारी ही सही जवाब प्रस्तुत नहीं कर पाए। सवाल कुछ पूछे गए थे, जवाब कुछ बनाकर लाए गए।
टाइमलाइन…
11.00 बजे होना था शुरू
12.16 बजे अटैची लेकर महापौर सभाकक्ष में पहुंचे
12.24 बजे पिछले कार्यवृत्त की पुष्टि की गई
1.13 बजे सम्मेलन एक घंटे के लिए स्थगित
3.31 बजे सम्मेलन का दूसरा सत्र शुरू हुआ
5.11 बजे सम्मेलन दस मिनट के लिए स्थगित
5.24 बजे से दिन का आखिरी सत्र शुरू हुआ
6.00 बजे सभापति ने आगामी तारीख तक सम्मेलन स्थगित किया
सचिव-आयुक्त के अलग जवाब, गर्मा गया मुद्दा
एमआईसी सदस्य वेदप्रकाश शर्मा ने मुद्दा उठाया कि पिछली बैठक में तय हुआ था कि निर्माण कार्यों की जांच के लिए समिति बनाएंगे, उसका क्या हुआ? आयुक्त ने कहा- मेरे पास नाम नहीं आए हैं, जबकि सचिव कमलसिंह रघुवंशी ने कहा कि समिति बनी है, नाम भी पढक़र सुनाए। नेता प्रतिपक्ष अहमद पटेल ने कहा कि अभी जब कमिश्नर ने कहा कि समिति नहीं बनी, सचिव कह रहे हैं बनी है, इन पर तत्काल कार्रवाई की जाए। वेदप्रकाश ने कहा कि अगर आयुक्त, अध्यक्ष की नहीं मान रहे हैं तो इन्हें शहर में रखने का क्या तुक है, क्यों न इन पर तत्काल कार्रवाई की जाए? मुखिया ही निष्किृय होगा तो निगम तो घर बैठेगी ही।
पहले सत्र में इस तरह चला घटनाक्रम…
– आत्मानंद लॉज का मुद्दा उठा तो एमआईसी सदस्य रियाज मार्शल ने कहा कि हर बार एक ही मुद्दे पर बात क्यों? वेदप्रकाश ने कहा कि मैं पूरे 5 साल इस मुद्दे को रखूंगा। माना हम छोटे पार्षद हैं, हमारी महापौर से बात नहीं, पर हर दो महीने में बैठक होगी तो हम विकास के मुद्दे उठा पाएंगे।
– पार्षद मेहमूद खान द्वारा बजट को लेकर लगाए गए प्रश्न के जवाब में बताया कि 1 अप्रैल से 12 जुलाई 2018 तक 35 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। किन्हीं कारणों से परिषद में बजट नहीं स्वीकृत होता है तो परिषद का मान्य किया जाता है।
– पार्षदों ने आवाज उठाई कि जब एक्ट के अनुसार, नवंबर में ही एमआईसी के पास बजट आना चाहिए और 31 मार्च तक परिषद में रखा जाना चाहिए तो फिर ये भुगतान तो अनियमितता है। भ्रष्टाचार हुआ है।
– रियाज मार्शल से पहले पार्षद अमित मिश्रा की कहासुनी हुई, फिर इकबाल कुरैशी ने कह दिया कि क्या तू यहां का ठेकेदार है? रियाज ने कहा- तमीज से बात करोगे।
– दिवंगतों को श्रद्धांजलि नहीं दिए जाने पर पार्षद सोमनाथ काले ने कहा कि सभी सदन में एेसी प्रक्रिया रही है, इस बार ही चूक हुई है। एेसा नहीं है कि हमने श्रद्धांजलि नहीं दी तो उनकी आत्मा भटकेगी? पर यहां डब्बा खाएं और चल दें, एेसा भी नहीं होना चाहिए।
– आयुक्त के खिलाफ ज्यादा आवाज उठी तो सभापति ने कहा कि अंतिम चेतावनी दी जा रही है, कार्यशैली में सुधार लाएं। जो अधिकार क्षेत्र का कार्य है वो खुद करें, उसमें महापौर का नाम बीच में न लाएं।
– पार्षद राजेश यादव ने कहा कि 181 पर शिकायत होती है तो अफसर दौड़ पड़ते हैं जबकि पार्षदों की सुनवाई नहीं होती, हमारा मतलब ही क्या?
मांगलिक भवन-रैन बसेरा पर बखेड़ा, सात दिन में कार्रवाई की बात
शहर में करोड़ों रुपए के मांगलिक भवन आदिम जाति कल्याण मद से बने हैं। इन्हें निगम हैंडओवर ही नहीं ले पाया है। वेदप्रकाश शर्मा ने कहा कि मैंने सवाल क्या पूछा है और जवाब क्या आ रहा है? एमआईसी में कई बार कहा कि चिंता करो। सुनवाई नहीं हुई। हमें डूब मरना चाहिए। भाजपा में होते हुए मुझे सदन में बात रखना पड़ रही है। यहां इसलिए ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि पूर्व महापौर भावना शाह का नाम हो जाएगा। गाढ़े पसीने की कमाई से बने हैं। वहां वेश्यावृत्ति हो रही है, लोग सुविधाघर बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं। आयुक्त की लापरवाही है। ये शहर का नाश कर रहे हैं। इनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाना चाहिए। पार्षद सोमनाथ काले ने कहा कि 6 मांगलिक भवन थे, उन्हें लावारसि छोड़ दिया गया है। आयुक्त ने कहा कि हम माह के अंदर संपूर्ण रिपोर्ट बनाएंगे। ठेकेदार से नीलाम करवाएंगे, उसमें समाज को छूट की बात भी रखेंगे। सभापति ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर मांगलिक परिसरों पर निगम का ताला लगना चाहिए। कब्जा किया है किसी ने तो पहले निगम आधिपत्य में ले। रैन बसेरे के मुद्दे पर कहा कि वहां एनजीओ को दिया और वो लोगों से 5-5 रुपए ले रहे हैं। भिखारियों को भी निगम ने नहीं छोड़ा।
नया बस स्टैंड: एकमत नहीं बन पाया
पार्षद इकबाल कुरैशी ने नए बस स्टैंड का मुद्दा उठाया। कहा कि बिना परिषद की अनुमति के दो करोड़ रुपए करीब खर्च किए लेकिन नवीन बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए सुविधाएं नहीं हैं। टिकट घर भी मांगलिक परिसर में खोल दिया गया है। शारदा आह्वाड़ ने कहा कि सिटी बस चल जाए तो इसका हल निकल जाएगा। वेदप्रकाश ने नए बस स्टैंड के समर्थन में बात की। कहा कि इस मुद्दे से आगे बढक़र रिंगरोड़ पर चर्चा करना चाहिए। बहस चलती रही। पार्षद काले ने बस स्टैंड शिफ्ट होने से व्यापार प्रभावित होने की बात पर उन्होंने कहा कि एेसा ही करना है तो फिर दुकानदारों को जहर दे दो। महापौर ने कहा कि 400 करोड़ की योजना है। सांसद-विधायक के साथ हमने प्रयास किए। काले ने कहा कि बस स्टैंड के मुद्दे पर महापौर-अध्यक्ष जो निर्णय लें तो पार्षद अमित मिश्रा ने कहा कि पार्षद क्या झुनझुना हिलाएंगे?
इस्तीफा देने तक की पेशकश की गई
पार्षद सुनील जैन ने महावीर नगर-बजरंग नगर कॉलोनी के मामले को उठाते हुए कहा कि इस कॉलोनी में कॉलोनाइजर द्वारा बिना विकास अनुमति के बाउंड्रीवाल, पानी की टंकी, नलकूप खनन व अन्य कार्य करवा दिए गए हैं। इस कॉलोनी में सरोज गदिया का 15 सौ स्क्वेयर फीट का प्लॉट है और उसमें भी कॉलोनाइजर द्वारा हेरफेर करने की कोशिश की गई है। आवेदिका द्वारा लगातार सालभर से निगम आयुक्त, कलेक्टर, सीएम हेल्पलाइन में आवेदन दिए गए लेकिन संतोषप्रद जवाब न निगम की ओर से प्राप्त हुआ है और न ही कॉलोनाईजर को बिना अनुमति के विकास कार्य करने के लिए नोटिस दिए गए हैं। यह गंभीर मामला है इसकी पूरी तरह जांच की जाए और बिना जांच के यदि इसे अनुमति प्रदान कर दी जाती है तो मैं पार्षद पद से इस्तीफा देकर न्यायालयीन लड़ाई लड़ूंगा।
ये भी जानिए…
सभापति ने कहा- थोड़ा नजरअंदाज करो
सभापति रामगोपाल शर्मा ने प्रधानमंत्री आवास योजना के मुद्दे पर निगम अफसरों से कहा कि एेसे मामलों में थोड़ा नजरअंदाज करें। क्योंकि पीएम चाहते हैं कि 2022 तक सबके पास मकान हों।
पहली बार महिला पार्षदों ने भी उठाई आवाज
– इस परिषद में एेसा पहली बार हुआ जब महिला पार्षदों ने भी आवाज उठाई। इनमें शारदा आह्वाड़, नूरजहां बी और अहिल्या भालेराव शामिल हैं। सभापति शर्मा ने कहा कि पहली बार महिला पार्षद बोलीं हैं- उनका सम्मान हो।
पार्षदों ने इन मुद्दों पर एेसे उठाई बात…
– गंभीर विषय
शहीद भगतसिंग की प्रतिमा लगाने के मुद्दे पर महापौर, आयुक्त द्वारा दो वर्षों से आश्वासन मिल रहे हैं लेकिन मूर्ति लगाने पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। कलेक्टर एवं शासन से अनुमति मिलने के बावजूद भी मूर्ति नहीं लगना गंभीर विषय है।
इकबाल कुरैशी
– झूठ बोलते हैं अफसर
आवास योजना में मेरे वार्ड में 131 में से एक भी मकान का काम पूरा नहीं हुआ है। अफसर सदन में झूठ बोल रहे हैं। हितग्राही तीनों मौसम देख चुके हैं। एमपी ई-नगरपालिका सॉफ्टवेयर के नाम पर भी नगर निगम को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
मनीष पाटील
– छह महीने बाद काम अधूरा
मेरे वार्ड में 6 महीने पहले वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद भी रिटेनिंग वॉल का काम अधूरा है। 18 जून को भूमिपूजन हुआ। ठेकेदार ने काम अधूरा छोड़ दिया। अफसर सदन में कह रहे हैं कि ठेकेदार को नोटिस दिया है, ये सब बहानेबाजी है।
अहिल्या भालेराव
– महिला पार्षदों की हो सुनवाई
महिला पार्षदों की भी सदन सुनें। उन्हें भी बोलने का मौका दिया जाए। हमारी तो कोई सुनता ही नहीं है। हमारे वार्ड में भी विकास कार्य ठप पड़े हैं। सडक़ निर्माण के लिए लगातार कहने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। समस्या हल हो।
नूरजहां बी
– हर दो माह में हो बैठक
आगामी बैठक हर दो माह में होगी या नहीं? इसका निर्णय होना चाहिए। अफसरों ने आश्वस्त तो किया है पर अमल नहीं किया जाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी 16.04 करोड़ का भुगतान होना अफसर बता रहे हैं लेकिन अन्य शहरों से हम पिछड़े हैं।
सिद्दीक पटेल
– पीएम से गृह प्रवेश, लोग परेशान
बीते दिनों प्रधानमंत्री से गृह प्रवेश कराया गया लेकिन लोग अब-भी परेशान हैं। वो किस्त के लिए चक्कर काट रहे हैं। एक हितग्राही ने 50 हजार रुपए उधार लेकर काम करवाया लेकिन अफसर उसकी किस्त नहीं दे पा रहे हैं। अफसर सुधार करें।
मेहमूद खान
– 8 साल पहले बन जाता रिंग रोड
रिंगरोड तो 8 साल पहले बन जाता पर नेताओं के चक्कर में रूक गया कि मेरी जमीन जिधर है, उधर से बने। बस स्टैंड को लेकर अगर दूसरे पार्षद अपने वार्ड व क्षेत्र की चिंता कर रहे हैं तो वो ये जान लें कि हमें भी हमारे वार्ड व क्षेत्र की चिंता है।
सोमनाथ काले
– ठंडा करूं या नदी में फेंककर आऊं
मप्र नगरपालिका अधिनियम 1956 की किताब अपने साथ लाया हूं। नगर निगम में जब इसके अनुसार कोई काम ही नहीं हो रहे हैं तो इसको क्या नर्मदा में ठंडा करूं या बड़ी नदी में फेंककर आ जाऊं। अवैध कॉलोनियों पर एफआईआर के लिए कहते हैं कि 12 के लिए लिखा है पर पुलिस नहीं कर रही।
अहमद पटेल, नेता प्रतिपक्ष
– लोग हमें दे रहे हैं गाली
अवैध कॉलोनियों को पूर्णता: प्रमाण पत्र किस आधार पर दिया जा रहा है, जबकि संबंधित कॉलोनियों में कार्य अधूरे हैं। सुमेरनगर, कैलाशनगर सहित अन्य क्षेत्र के लोग हमें गालियां दे रहे हैं। स्मार्ट सिटी फेज-सी के अपूर्ण पर पूर्ण प्रमाण पत्र पर भी आपत्ति आई।
राजेश यादव
– व्यक्तिगत उपयोग हो रहा
मेरे वार्ड में मांगलिक भवन को व्यक्ति विशेष द्वारा संचालित किया जा रहा है। कई बार कार्रवाई के लिए लिख चुका हूं लेकिन सुनवाई नहीं हुई है। मेरे पास यहां की रसीदें भी रखी हुईं हैं।
निलेश निदाने
– नए बस स्टैंड से कोई परेशान नहीं
नया बस स्टैंड शुरू हो गया है। किसी को परेशानी नहीं है। कई लोगों को रोजगार मिला है। शहर के विकास के लिए भी ये बड़ी बात है। रात में तो बसें पुराने बस स्टैंड तक आती ही हैं। सिटी बस चलाए जाने पर समस्या हल हो सकती है।
शारदा आह्वाड़
– जब अध्यक्ष तय कर दे
परिषद सम्मेलन में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। हम फिर चर्चा के लिए तैयार है। अब सम्मेलन के लिए तारीख जब भी अध्यक्ष तय कर लें, उस दिन होगा। बस स्टैंड के मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। कलेक्टर व जियोस से बात करेंगे।
सुभाष कोठारी, महापौर
– जल्द तय करेंगे तारीख
विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के पार्षदों को भी मुखर होना पड़ा इसके लिए कहीं न कहीं सांमजस्य का अभाव है। अब जल्द ही तारीख तय करेंगे। पार्षदों की भावनाओं की कद्र करेंगे। विचार करेंगे।
रामगोपाल शर्मा, अध्यक्ष
…जब सभापति-महापौर के बीच हुई बहस
सम्मेलन में एक समय एेसा भी आया जब सभापति रामगोपाल शर्मा और महापौर सुभाष कोठारी के बीच बहस हो गई। मुद्दा शराब दुकानों व आहते का चल रहा था। तब शर्मा ने कहा कि फोकट बात मत करो। काम तुम्हारे निकले और जवाब मैं दूं। इस पर महापौर ने जवाब दिया- मैं कोई फोकट बात नहीं कर रहा हूं। बता दें कि यहां निगम अफसर-कर्मचारी सही जवाब नहीं दे पाए। निगम की जमीन पर कितनी दुकानें हैं? इस पर आयुक्त ने कहा कि एक भी नहीं। जबकि बाजार विभाग प्रभारी अशोक तारे ने कहा कि बुरहानपुर नाके पर विधिवत आवंटन हुआ है। पार्षदों ने अन्य दुकानें भी गिनाईं।
आयुक्त पर फूटा गुस्सा…
पूरे सम्मेलन में निगम आयुक्त जेजे जोशी पर गुस्सा फूटा। एमआईसी सदस्य वेदप्रकाश शर्मा ने तो निंदा प्रस्ताव लाने तक की बात कही। शर्मा ने कहा कि अब भी सुधार नहीं हुआ तो फिर निगम के बाहर माइक लेकर मंच भी लगाया जा सकता है।
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