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3.84करोड़ खर्च हुए हैं,देखिए यहां की दशा, फव्वारे बंद, झूले टूटे और खरपतवार का डेरा

locationखंडवाPublished: Sep 21, 2019 02:39:39 pm

शहरवासियों के लिए एक बेहतर पिकनिक स्पॉट के नाम पर नागचून में बड़ी राशि खर्च कर दी गई है लेकिन असल में यहां की हालत बहुत खराब है।

nagchun park khandwa

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खंडवा. दावे.. नागचून को शेगांव आनंद सागर की तर्ज पर संवारने के, 13 एकड़ क्षेत्र में मप्र का सबसे आधुनिक पार्क बनाने के, हनुवंतिया और सैलानी की तर्ज पर यहां हट्स और वाटर स्पोट्र्स गतिविधि उपलब्ध कराने के। लेकिन हकीकत ये है कि 3.84 करोड़ रुपए करीब खर्च किए गए हैं लेकिन यहां की दशा देखकर पर्यटक भी निराश होकर लौट रहे हैं। फव्वारे बंद हैं, झूले टूट गए हैं और खरपतवार का डेरा यहां इतना है कि बारिश के इस मौसम में जीव-जंतु का खतरा भी लोगों को महसूस करा रहा है। शहरवासियों के लिए एक बेहतर पिकनिक स्पॉट के नाम पर नागचून में बड़ी राशि खर्च कर दी गई है लेकिन असल में यहां की हालत बहुत खराब है।
यहां के बहुत बुरे हैं हाल…
– पार्क में कैंटीन की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है
– बच्चों के लिए मिनी ट्रेन कभी चलती है, कभी नहीं
– बच्चों के लिए लगाए गए अधिकांश झूले टूट-फूट चुके हैं
– सौ से भी अधिक प्रजाति के पौधे लगाने का दावा, दिख रही है खरपतवार
– एक बड़े फव्वारे के साथ यहां छह अन्य फव्वारे हैं लेकिन चल नहीं रहे
– म्यूजिक के लिए 23 स्पीकर लगाए हैं लेकिन फिलहाल ये भी बंद हैं
ये स्थिति भी देखने को मिली
– फव्वारे बंद, पानी में जमा हुई काई।
– टूट गया झूला, जमीन से टिका पल्ला।
– झूले को चैन से बांध दिया, ताकि सुरक्षित रह सके।
– इतनी दुर्दशा हुई कि झूले की जगह ही बदल गई।
– एडवेंचर के लिए लगाए गए झूले जमीन पर पड़े।
– खरपतवार का डेरा, म्यूजिकल फाउंटेन के दिन लदे।
– मेंटेंन कराएंगे
अभी कुछ दिनों से इस तरफ ध्यान नहीं गया। नागचून की दशा सुधारने के लिए उसे मेंटेंन कराएंगे। झूले ठीक कराए जाएंगे। खरपतवार भी हटाई जाएगी।
सुभाष कोठारी, महापौर

– एनएचडीसी ध्यान दे
सीएसआर फंड से एनएचडीसी ने पार्क का डिवलपमेंट कराया है। निगम तो अपनी तरफ से काम कराता है, एनएचडीसी को भी मेंटनेंस पर ध्यान देना चाहिए।
हिमांशु सिंह, आयुक्त, ननि
– निगम तो एंट्री शुल्क भी ले रहा
नगर निगम के पार्क को हमने विकसित कर दे दिया। दो साल तक ध्यान भी दिया। अब निगम वहां एंट्री शुल्क भी ले रहा है तो इस तरफ ध्यान दे।
शरद जयकर, वरिष्ठ प्रबंधक, एनएचडीसी
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