फुटकर दुकानों से घर तक पहुंच रही अमानक पॉली थिन
खंडवाPublished: Aug 19, 2022 06:40:24 pm
पूरी तरह अंकुश लगाने में नाकाम अमला, बाहरी कारोबारी कर रहे लाखों का कारोबार, दुकानों से ठेलों तक मिल रही अमानक पॉलीथिन
Non-standard polythene reaching home from retail shops
खंडवा. अमानक पॉलीथिन के उपयोग पर कागजों में पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद शहर में गुजाइश बाकी है। नगर पालिक निगम का अमला कागजी कोरम पूरा करने के लिए कार्रवाई तो करता है, लेकिन अंकुश नहीं लग सका। अमानक पॉलीथिन का कारोबार अब भी धड़ल्ले से चल रहा है और बाहरी व्यापारी फ्टकर कारोबारियों तक अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। एक यह बात भी सामने आई है कि अमानक पॉलीथिन की पैकिंग पर माइक्रोन के संबंध में गलत जानकारी छापी जा रही है। ताकि ग्राहक और कार्रवाई करने वाले अमले को गुमराह किया जा सके। हालांकि अमानक पॉलीथिन के उपयोग में उपभोक्ता भी उतना ही भागीार है, जितना व्यापारी हैं।
पैकिंग पर 75 माइक्रोन का छापा
1 जुलाई से 50 माइक्रोन तक की पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसलिए 75 माइक्रोन से अधिक की पॉलीथिन ही उपयोग में लाई जा सकेंगी। अभी छोटे फुटकर व्यापारी, सब्जी और फल विक्रेता 50 माइक्रोन से कम की पॉलीथिन ग्राहकों को दे रहे हैं। न तक पॉलीथिन उपलब्ध कराने वालों ने नया तरीका इजाद किया है। अमानक पॉलीथिन बनाने वाले पैकिंग पर ही 75 माइक्रान छाप रहे हैं, जबकि पॉलीथिन इससे कम माइक्रान की है।
छिपाकर लाते हैं पॉलीथिन का पार्सल
छोटे दुकानदार, फल, सब्जी वालों तक फेरी वाले अमानक पॉलीथिन पहुंचा रहे हैं। यह बात सामने आई है कि कुछ बाहरी व्यापारी फेरी वालों के सहारे अपना कारोबार चला रहे हैं। पॉलीथिन बनाने वाली फैक्ट्री के नाम पते भी पैकिंग पर छपे होते हैं और कई बार जब्ती के दौरान यह भी पता चल जाता है कि पॉलीथिन किसके जरिए और कहां से आई है। लेकिन यहां स्थानीय स्तर पर कार्रवाई के बाद इतिश्री कर ली जाती है। इसलिए बड़े कारोबारी कार्रवाई के दायरे से बचे हुए हैं।
ऐसे करें अमानक की पहचान
बाजार में जितनी भी थैली फुटकर मिलती हैं, वह सभी एनजीटी की बैन की सीमा में आती हैं। अगर थैली उंगली के जोर लगाने पर आराम से फट जाए तो समझ लो कि यह 50 माइक्रोन से कम पतली है। बैन की सीमा के बाहर सिर्फ वही पॉलिथीन हैं, जिनका इस्तेमाल बड़ी कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स को पैक करने के लिए करती हैं। मिसाल के तौर पर दूध या ऑइल पैक करने की थैलियां। इन्हें आसानी से फाड़ नहीं सकते, इन्हें काट कर ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
आप भी बनें जागरूक
बाजार में कुछ व्यापारियों ने कागज के लिफाफे रख लिए हैं। यह अच्छी पहल है। बहुत समय पहले कागज के लिफाफों का चलन बाजार में था। लिफाफा कई घरों की रोजी रोटी का जरिया भी हुआ करता था। लेकिन पॉलीथिन ने इस कारोबार को ठप्प कर दिया था। उपभोक्तओं को भी जागरूक रहने की जरूरत है ताकि अमानक पॉलीथिन से छुटकारा मिल सके। अगर बाजार जाते हैं तो कैरी बैग साथ लेकर जाएं। दुकान से मिलने वाली अमानक पॉलीथिन का विरोध करें और मानक पॉलीथिन ही स्वीकार करें।