देश में लगातार वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़ों की तेजी से कटान के कारण प्रदूषण के प्रकार और उसकी गति में प्रत्येक वर्ष बढ़ोत्तरी हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा पूरे देश में वायु प्रदूषण और हवा में बढ़ते घातक कणों की जानकारी के लिए एनालाइजर सिस्टम लगा रहा है। जिससे बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके। खंडवा में भी सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट की ओर से मप्र प्रदूषण बोर्ड द्वारा ये सिस्टम स्थापित किया गया है। वायू प्रदूषण एनालाइजर कलेक्टोरेट की छत पर लगाया गया है। जबकि इसका मॉनिटर निगम कार्यालय के बाहर लगाया गया है। शहर में होने वाले वायु प्रदूषण की पूरी जानकारी मप्र प्रदूषण बोर्ड सहित केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को ऑन लाइन मिलेगी।
यहा होता है पीएम 2.5, 10
वायु प्रदूषण का मुख्य कारण हवा में मौजूद घातक पीएम 2.5 और पीएम 10 कण होते है। इन्हें इंग्लिश में पार्टिकुलेट मैटर कहते है। ये कण लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक होते है। जब वायु में इन कणों का स्तर बढ़ जाता है तब सांस लेने में समस्या, आंखों में जलन आदि कई प्रकार की समस्याएं होती हैं। वायु में पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 की मात्रा 100 होने की स्थिति में ये हवा सांस लेने के लिए सुरक्षित मानी जाती है। पीएम 2.5 की मात्रा 100 से अधिक और पीएम 10 की मात्रा 150 से अधिक होने पर वायु प्रदूषण शुरू हो जाता है। जैसे जैसे पीएम 2.5 और 10 बढ़ता जाता है, वैसे वैसे हवा सांस लेने के लिए खतरनाक होती जाती है।
धूल, कूड़ा, पुआल जलाने से बढ़ता प्रदूषण
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार माने तो पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। पीएम 10 कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर तक होता है। इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी कम होता है। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण मिले होते हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रक्शन और कूड़ा व पुआल जलाने से और अधिक तेजी के साथ बढ़ता है।
हवा में पीएम के कण बढऩे से ये परेशानी
सांस लेने में दिक्कत, आंख, नाक और गले में जलन, छाती में खिंचाव महसूस होता है, फेफड़े सही से काम नहीं कर पाते हैं, गंभीर श्वसन रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, दिल की धडकऩ अनियमित होन का खतरा होता है।
ऑनलाइन रहेगा सारा सिस्टम
सिंगाजी थर्मल प्लांट की ओर से वायु प्रदूषण एनालाइजर लगाया गया है। इसका इंस्टालेशन बाकी है। इंस्टाल होने के बाद ये मप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, इंदौर से जुड़ जाएगा। हम डेटा भोपाल और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को भेजेंगे। हर घंटे वायु प्रदूषण की जानकारी मॉनिटर पर डिस्प्ले होगी।
डॉ. दिलीप वाघेला, रीजनल लैब इंचार्ज