पंचमुखी श्री गणेश की प्रतिमा है प्राचीन
ओंकारेश्वर मंदिर में यह प्रतिमा प्राचीन प्रतिमा है। कहा जाता है कि राजा मांधाता ने विन्ध्य पर्वत माला के ओंकार द्वीप पर भगवान शिव की तपस्या अभिष्ट बुद्धि प्राप्ति के लिए की थी। उइस स्थान पर रिद्धि-सिद्धि भगवान गणपति ने पंचमुखी रूप में साक्षात दर्शन दिए थे। मूर्ति में एक मुख दाएं, एक मुख बाएं, दो मुख सामने की ओर तथा एक मुख पीछे स्थित है।
ओंकारेश्वर मंदिर में यह प्रतिमा प्राचीन प्रतिमा है। कहा जाता है कि राजा मांधाता ने विन्ध्य पर्वत माला के ओंकार द्वीप पर भगवान शिव की तपस्या अभिष्ट बुद्धि प्राप्ति के लिए की थी। उइस स्थान पर रिद्धि-सिद्धि भगवान गणपति ने पंचमुखी रूप में साक्षात दर्शन दिए थे। मूर्ति में एक मुख दाएं, एक मुख बाएं, दो मुख सामने की ओर तथा एक मुख पीछे स्थित है।
प्रथम दर्शन पंचमुखी गणेश की है मान्यता
मान्यता है कि ओंकारेश्वर दर्शन से पहले प्रथम दर्शन पंचमुखी श्रीगणेश करना चाहिए। पंचमुखी गणेश प्रतिमा ओंकारेश्वर मंदिर के दाहिनी ओर स्थित है। पंचमुखी गणेश के पांच मुखों के महत्व के बारे में पंचकोष अन्नमय, प्राणमय, विज्ञान कोष, आनंदमय कोश। पंचमुखी गणेश के पांचों रूप सृष्टि के प्रतीक हैं।
मान्यता है कि ओंकारेश्वर दर्शन से पहले प्रथम दर्शन पंचमुखी श्रीगणेश करना चाहिए। पंचमुखी गणेश प्रतिमा ओंकारेश्वर मंदिर के दाहिनी ओर स्थित है। पंचमुखी गणेश के पांच मुखों के महत्व के बारे में पंचकोष अन्नमय, प्राणमय, विज्ञान कोष, आनंदमय कोश। पंचमुखी गणेश के पांचों रूप सृष्टि के प्रतीक हैं।
दर्शन,आराधना से होता है दुखों का निराकरण मंदिर के पुजारियों के मुताबिक ओंकारेश्वर में समस्त प्रकार की ऊर्जा, बुद्धि, साधना, शक्ति, वैभव प्राप्त करने के लिए यहां लोग आते हैं। यह प्रतिमा दुर्लभ है। इनके दर्शन करने, आराधना से सभी प्रकार के दुख दूर, समस्याओं का निराकरण हो जाता है। गणेश उत्सव में पूजन व दर्शन करने का विशेष लाभ माना गया है।