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गेहूं की फसल पर अजब सी बीमारी का प्रकोप

locationखंडवाPublished: Jan 20, 2020 12:08:48 pm

-जड़ से पीला पडऩे लगा गेेहूं, शिकायत के बाद भी नहीं पहुंचे अधिकारी-खरीफ में प्राकृतिक आपदा के बाद रबी में भी किसानों को उबरने की उम्मीद-कृषि उपसंचालक भी नहीं कर रहे कोई कार्रवाई, किसानों में आक्रोश

गेहूं की फसल पर अजब सी बीमारी का प्रकोप

-जड़ से पीला पडऩे लगा गेेहूं, शिकायत के बाद भी नहीं पहुंचे अधिकारी-खरीफ में प्राकृतिक आपदा के बाद रबी में भी किसानों को उबरने की उम्मीद-कृषि उपसंचालक भी नहीं कर रहे कोई कार्रवाई, किसानों में आक्रोश

खंडवा. खरीफ के सीजन में प्राकृतिक आपदा से खराब हुई फसल के बाद किसानों को रबी के सीजन में गेहूं की फसल से उबरने की उम्मीद थी। अब गेहूं की फसल पर अजीब सी बीमारी का प्रकोप होने से सिंगोट सर्कल के एक दर्जन से अधिक गांवों में गेहूं के पौधे जड़ से पीले पड़कर सूख रहे है। पिछले एक माह से गेहूं की फसल पर एक नई बीमारी से किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करे। किसानों ने इसकी शिकायत उप संचालक कृषि विभाग से भी की, लेकिन अब तक फसल का निरीक्षण करने कोई भी नहीं आया है। किसानों का कहना है कि यदि जल्द गेहूं की फसल का उपचार नहीं हुआ तो, रबी में भी किसान बरबाद हो जाएगा।
पंधाना तहसील के सिंगोट सर्कल और छैगांवमाखन ब्लॉक में गेहूं पर पहली बार एक नई बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। सिंगोट सर्कल के अंबापाट, सेमलिया, जामनिया, पिपलौद सहित करीब एक दर्जन से अधिक गांवों में 500 एकड़ से भी ज्यादा रकबे में गेहूं की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। वहीं, छैगांवमाखन ब्लॉक के सिलोदा, पांझरिया सहित अन्य गांवों में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। किसानों का कहना है कि पहली बार गेहूं में इस तरह की समस्या देखने को मिली है। जिसमें गेहूं की फसल ऊपर से से हरी नजर आ रही है, लेकिन पौधा जड़ से पीला पड़ गया है। जिसके कारण गेहूं नीचे की ओर से सूखने लगा है। किसानों ने इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रकार की दवाएं भी छिड़की, लेकिन कोई भी दवा इस पर असर नहीं कर रही है।
कोई उपचार नहीं आ रहा काम
सिंगोट सर्कल के अंबापाट निवासी किसान जितेंद्र मालवीया ने बताया कि गेहूं में इससे पहले ऐसी कोई बीमारी सामने नहीं आई थी। गेहूं में सिर्फ चारामार दवाई के साथ डीएपी, यूरिया और पांच छह पानी की जरूरत होती है। इसके अलावा कोई दवा नहीं डालना पड़ती। पिछले एक माह से सामने आ रही इस बीमारी के चलते किसानों ने फफूंद की आशंका में पॉलीराम एक्रावेट, सीएम 45, फ्लोरोपाइरिफाश, माइक्रो न्यूट्रिन 19-19 आदि दवा भी डालकर देख ली। पहले किसानों को लग रहा था कि शायद मौसम में बार-बार बदलाव, नमी या चारामार दवा के कारण से समस्या है, लेकिन अब मौसम भी ठीक है और गेहूं के अनुसार ही ठंड भी पड़ी, फिर भी बीमारी दूर नहीं हो रही है। संभवत: ये किसी प्रकार का वायरस हो सकता है।
इन किसानों की फसल पर लगी बीमारी
सिंगोट सर्कल के जितेंद्र मालवीया की 13 एकड़, संदीप मालवीया की 36 एकड़, विक्रम चौरे, ललीत चौरे की 15 एकड़, जामनिया के गोपीचंद पटेल की 8 एकड़, शंकर पटेल की 6 एकड़, वासू की 16 एकड़ सहित सेमलिया के अशोक राठौर, सिलौदा के नंदलाल खाटरिया 5 एकड़, रमेश पटेल बडग़ांव की 14 एकड़, प्रेमलाल पटेल आबूद की 30 एकड़ सहित कई गांवों के किसानों की फसल में जड़ से पीलापन की बीमारी नजर आ रही है।
राष्ट्रीय किसान संगठन ने लगाया अनदेखी का आरोप
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने गेहूं की फसल पर मंडरा रहे बीमारी के खतरे को लेकर कृषि विभाग पर अनदेखी का आरोप लगाया है। संगठन के सौरभ कुशवाह ने बताया कि सिंगोट क्षेत्र में गेहूं का बड़ा रकबा बीमारी की चपेट में आ रहा है। इसकी जानकारी उपसंचालक कृषि को दी गई, लेकिन अभी तक किसी भी कृषि वैज्ञानिक को यहां जांच के लिए नहीं भेजा गया है। फसल खराब होने की स्थिति में पहुंच गई है। यदि जल्द गेहूं को उपचार नहीं मिला तो किसानों को फिर कर्ज के बोझ तले दबना पड़ेगा।
किसानों को दी थी सलाह
ये समस्या हमारे सामने किसानों द्वारा बताई थी। किसानों को सलाह दी है कि सिंचाई के पानी के साथ बूंद बूंद कर क्लोरिपाइरिफाश 20 ईसी, प्रति एकड़ 1250 मिली लीटर डाले, दो दिन बाद कार्बेन्डाजिम 30 ग्राम प्रति पंप छिड़काव करे। पांच दिन बाद 19:19:19 का छिड़काव करे। जल्द ही कृषि वैज्ञानिक की टीम भी वहां भेजी जाएगी।
आरएस गुप्ता, उपसंचालक कृषि
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