विभागीय सूत्रों की मानें तो आरोपी आरआइ देवलिया खंडवा में पदस्थापना के बाद से ही विवादों में रहा है। खुद को कप्तान का करीबी बताकर अपनी मनमानी करता था। वह पत्नी को बाजार और बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए विभाग के वाहनों का उपयोग करता था। साथ ही एक बाइक भी बंगले के कार्यों में उपयोग लेता था। जबकि पुलिस विभाग के नियमों में आरआइ को बंगले पर एक जवान तैनात रखने और बाइक का उपयोग करने का अधिकार है।
मौखिक आदेश पर तैनात कर रखे थे ड्राइवर
छेड़छाड़ का मामला सामने आते ही पुलिस विभाग ने पुलिस लाइन के कार्यों की पड़ताल की तो कई गड़बडिय़ां सामने आई। आरोपी आरआइ ने जिले के ज्यादातर अधिकारी व पुलिस थाना की मोबाइल वैन पर मौखिक आदेश देकर चालकों को तैनात कर रखा था। इसमें कुछ चालक ऐसे भी है तो करीब छह से आठ माह से मौखिक आदेश पर ही कार्य कर रहे हैं। संबंधित थाने में उनकी नियुक्त के आदेश विभाग से जारी नहीं हुए हैं। हालांकि मामला सामने आते है आला अधिकारी विभागीय ढर्रे को दुरुस्त करने में जुट गए हैं।
बर्खास्त की कार्रवाई से विभाग को सबक 15 फरवरी की रात पुलिस लाइन में आरआइ देवलिया ने महिला पुलिस अधिकारी के घर में घुसकर छेड़छाड़ की थी घटनाक्रम सामने आते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मचा। मामले को पुलिस महानिरीक्षक इंदौर ने गंभीरता से लिया। प्रकरण में जांच कर आइजी इंदौर ने आरोपी आरआइ राहुल देवलिया के खिलाफ बर्खास्त की कार्रवाई की। भारतीय संविधान के प्रावधान 311(2)(ख) के तहत आरआइ को सेवा से पदच्युत करते आइजी इंदौर ने कहा आरआइ वर्दीधारी अनुशासित बल के सदस्य है। इनसे उच्च स्तर के अनुशासन और आचरण की उम्मीद की जाती है। इसके सदस्यों के दायित्वों में से एक महत्वपूर्ण दायित्व महिला सुरक्षा भी होता है, लेकिन आरआइ खंडवा के द्वारा इसके ठीक विपरीत आचरण किया गया। इसलिए उन्हें तत्काल सेवा से पदच्युत किया गया। ताकि शेष अधिकारी व कर्मचारियों में यह सख्त संदेश जाए कि इस प्रकार की शिकायत प्राप्त होने पर दोषी अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
हरदा में महिला आरक्षक से जबरस्ती का प्रयास
पुलिस की तफ्तीश के दौरान आरआइ की सर्विस बुक की जांच की गई। इसमें सामने आया रक्षित निरीक्षक देवलिया ने हरदा जिले में पदस्थापना के दौरान महिला आरक्षक के साथ शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया था। आरक्षक की शिकायत पर आरआइ के खिलाफ विभागीय जांच हुई। जांच में आरोपी आरआइ को दोषी पाते हुए पांच वर्ष तक न्यूनतम वेतन पर रखने की सजा से दंडित किया गया था। इसके अलावा खंडवा में आरक्षकों से मारपीट और महिला आरक्षकों की बैरंक में जाकर अभद्रता करने जैसी शिकायतें मिली है। इसी आधार पर आरआई पर बर्खास्त की कार्रवाई की गई।