Pushp Nagri - पुनासा का रामायण और महाभारत काल से रहा है नाता
मुगलकाल से भी संबंध बताता है यहां का किला
सन 2000 में 14वीं शताब्दी की जैन तीर्थंकर की मूर्ति मिली

खंडवा . मांधाता विधानसभा की केंद्र बिंदु माना जाने वाला तहसील मुख्यालय पुनासा इतिहास में भी अपनी एक अलग पहचान रखता है। नगर का जिक्र महाभारत, रामायण, नर्मदा पुराण सहित अन्य ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक कथाओं में पुनासा का नाम पुष्प नगरी के नाम से उल्लेख मिलता है। नगर के चारों ओर धार्मिक स्थल स्थित हैं। वहीं नगर के मध्य प्राचीन किला भी है। पुनासा ग्राम पंचायत का गठन 1952 में हुआ था, जिसके प्रथम प्रधान नारायण सिंह पटेल बने। उस समय गांव की जनसंख्या 600 के लगभग थी। वहीं नगर में दिसंबर माह में कालसन माता प्रांगण में मेला लगता है।
कई पुराणों में मिलता है जिक्र
तहसील मुख्यालय से 12 किमी दूर उत्तर दिशा में नर्मदा का पौराणिक स्थल है, जिसे धारा जी के नाम से जाना जाता है, जिसका नर्मदा पुराण में भी जिक्र है। यहां के प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग देश के कोने -कोने में स्थापित किए गए हैं। यहां प्राप्त शिवलिंग को नर्मदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, जिस कुंड में शिवलिंग निर्मित होते थे वहां ओंकारेश्वर डैम का बैक वाटर पहुंचने के कारण यह स्थल विलुप्त हो गया है।
पांडव कालीन सभ्यता के अवशेष
नगर के दक्षिण दिशा में स्थित प्राचीन शिव मंदिर है, जिसके पत्थरों की बनावट पांडव कालीन सभ्यता से मिलती-जुलती नजर आती है। गांव के बुजुर्गों की माने तो इस मंदिर का निर्माण मंत्र साधना करने के उद्देश्य से किया गया है। क्योंकि मंदिर के अंदर किसी एक कोने में बैठकर मंत्र उच्चारण करने से ध्वनि गूंजती हुई सुनाई देती है। मंदिर के आसपास जमीन में पुरानी सभ्यता के अवशेष मिलने से प्रतीत होता है कि आसपास बसाहट रही होगी। शिव मंदिर के ठीक सामने पश्चिम दिशा में कालसन माता मंदिर है, जिसका द्वार और शिव मंदिर का द्वार आमने सामने की ओर हैं। मंदिर की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है। नगर के मध्य ही एक प्राचीन किला है। बताया जाता है कि इस किले के अंदर से एक भूमिगत रास्ता था, जो कि कालसन माता मंदिर पर जाकर खुलता था और किले के अंदर ही एक दरगाह है, जो किले का मुगल काल का होना दर्शाती है।
नगर के चारों ओर बावड़ी
कालसन माता मंदिर से उत्तर दिशा की ओर जंगल में खेड़ापति हनुमान के नाम से हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर पहले बसाहट रही होगी। क्योंकि यहां पर भी पुराने समय के भवनों के अवशेष अभी भी देखने को मिल जाते हैं। नगर के चारों दिशाओं में बावड़ी का निर्माण किया गया है, जो अब रख रखाव के अभाव में खंडहर हो चुकी है।
मुगल कालीन के समय का इतिहास
कालसन माता मंदिर परिसर में और गांव के अन्य प्राचीन मंदिरों में खंडित मूर्तियां बताती हैं कि मुगल शासकों ने यहां पर भी आक्रमण कर मूर्तियों को खंडित किया है। नगर के बुजुर्ग 85 वर्षीय रमेश चंद्र नामदेव बताते हैं कि सन 2000 में नगर के व्यवसाई मनोज जायसवाल के द्वारा भवन निर्माण के दौरान खुदाई में चौदवीं शताब्दी की जैन तीर्थंकर की पाषाण मूर्ति निकली थी, जिसे नर्मदा नगर के जैन धर्मावलंबियों ने धार्मिक संस्कारों के साथ विशाल जैन मंदिर बना कर स्थापित किया है। इससे यहां पर जैन तीर्थंकरों की स्थली होने का भी प्रमाण मिलता है।
अब पाइए अपने शहर ( Khandwa News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज