24 सितंबर को बारंगी बस स्टैंड पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी की उनकी कुटिया में हत्या कर दी गई थी, जिस पर पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध धारा 302 के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। मामले में पुलिस अधीक्षक मनीश अग्रवाल एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेन्द्र वर्धमान ने हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए टीम गठित की। पुलिस ने 10 से 15 लोगो से पूछताछ की। आरोपी कल्लू को भी संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया, जिसमें उसने वारदात की सच्चाई बताते हुए अपना जुर्म कबूल किया।
आरोपी कल्लू ने पुलिस को बताया कि वह हरदा में एक गैराज पर कार्य करता है। 23 सितंबर को रात्रि में करीब 8:30 बजे वापस बारंगी आया। बारंगी में उतरने के बाद वह बाबा की कुटिया में गया, जहां पर पहले ही 5 से 6 लोग बैठकर चिलम पी रहे थे। इस बीच उसने भी वहीं बैठकर चीलम पी। इसके बाद वह दो अन्य लोगों के साथ उठकर चले गए और बाहर से ताला लगाकर चाबी अंदर फेंककर बाबा को दे दी। आरोपी अपने घर जाने के लिए निकला, लेकिन घर नहीं जाते हुए करीब दो घंटे नहर पर बैठकर मोबाइल चलाता रहा। इस दौरान चीलम पीने की तलब लगी तो वापस कुटिया के पास रात्रि करीब 1 बजे आया, जहां पर कोई भी नही था। कुटिया में कोने से अंदर घुसा। इस दौरान आहट होने पर बाबा जाग गए और बाबा ने आरोपी केा पहचान लिया। कहीं बाबा पुलिस में रिपोर्ट न कर दे इस डर से आरोपी ने पास में पड़ी जलाउ लकड़ी से बाबा के सिर पर दो बार कर दिए, जिससे बाबा गिर पड़े और दोबारा नहीं उठे। इसके बाद सिरहाने रखे कंबल से बाबा का मुंह ढंक दिया।
मृत बाबा के सिरहाने बैठकर पी चीलम
बाबा की हत्या करने के बाद भी आरोपी से गांजे की तलब नही छूटी। बाबा को मारने के बाद आरोपी ने बाबा के बिस्तर के नीचे रखी गांजे की चार पुडिय़ा निकाली और दो पुडिय़ा जेब में रख ली। वहीं दो पुडिय़ा मृत अवस्था में पड़े बाबा के सिराहने बैठकर चीलम भरकर पी। चीलम पीने के बाद बाबा का मोबाइल लेकर जिस रास्ते से कुटिया में प्रवेश किया उसी रास्ते से बाहर निकलकर अपने घर चला गया और सो गया।
पुलिस अधीक्षक मनीश अग्रवाल एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेन्द्र वर्धमान के मार्गदर्शन एवं एसडीओपी राजेश सुल्या के निर्देशन में गठित टीम में थाना प्रभारी ज्ञानू जायसवाल, एएसआइ एसएल मालवीय, करणंिसंह राजपूत, आरक्षक अशोक बाडिवा, मनोज रघुवंशी, रवीन्द्र गोयल आदि शामिल थे।