पं. अखिलेश कुमार शुक्ला के साथ 51 पंडितों के वेदिक मंत्रों उच्चारण से यज्ञ की पूर्णाहुति कराई। मंदिर में प्रतिदिन अलग-अलग यजमानों ने आहुति दी। महंत गंगाराम बाबा ने बताया वर्ष 1992 में मंदिर के निर्माण के दौरान सहस्त्र चंडी महायज्ञ हुआ था। 30 वर्ष बाद दूसरी बार महायज्ञ पूर्ण हुआ है। समापन अवसर पर मंदिर में बड़ी सं या में भक्तों की भीड़ रही। महायज्ञ व मां नवचंडी के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। साथ की मंदिर परिसर में मेले का आयोजन किया गया है। एक माह तक चलने वाले मेले में झूले, दुकानें लगी है। जिसका आनंद उठाने लोग पहुंच रहे।