नर्मदा बचाओ आंदोलन का आरोप है कि सरदार सरोवर बांध के कारण बड़वानी भूकंप के हाई रिस्क झोन में चला गया है। इससे मप्र को पर्यावरणीय नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
गुजरात मे 5 केंद्र , मप्र में जब से ये केंद्र स्थापित हुए तबसे ये केंद्र निष्क्रिय पड़े हैं
नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने बताया कि सरदार सरोवर बांध निर्माण शुरू होने के बाद गुजरात के साथ पूरी नर्मदा घाटी को भूकंप से खतरा होने के कारण 1987 के मंजूरी पत्र में इस मुददे पर अभ्यास निगरानी करना था। इसके लिए गुजरात ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के भूकंप मापन केंद्र की भी जिम्मेदारी ली। इसके बाद गुजरात में 5 मप्र में 3 और महाराष्ट, में 1 केंद्र स्थापित किए। जब से ये केंद्र स्थापित हुए तबसे ये केंद्र निष्क्रिय पड़े हैं।
गुजरात मे 5 केंद्र , मप्र में जब से ये केंद्र स्थापित हुए तबसे ये केंद्र निष्क्रिय पड़े हैं
नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने बताया कि सरदार सरोवर बांध निर्माण शुरू होने के बाद गुजरात के साथ पूरी नर्मदा घाटी को भूकंप से खतरा होने के कारण 1987 के मंजूरी पत्र में इस मुददे पर अभ्यास निगरानी करना था। इसके लिए गुजरात ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के भूकंप मापन केंद्र की भी जिम्मेदारी ली। इसके बाद गुजरात में 5 मप्र में 3 और महाराष्ट, में 1 केंद्र स्थापित किए। जब से ये केंद्र स्थापित हुए तबसे ये केंद्र निष्क्रिय पड़े हैं।
भूकंप के झटके आने के बाद भी गुजरात में इसकी मॉनीटरिंग की जाना गलत नबआं की मेधा पाटकर ने बताया कि इन केंद्रों पर 3 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्र भूकंप की नोट कर उनका विश्लेषण अमेरिकन व भारतीय भूकंप शासकीय विशेषज्ञ संस्थाओं के साथ करना था, जिस पर कोई विशेष कार्य नहीं हुआ। जिले में लगातार भूकंप के झटके आने के बाद भी गुजरात में इसकी मॉनीटरिंग की जाना गलत है।
बांध का पानी भरा हुआ है इस कारण भूगर्भीय हलचल हो रही है उन्होंने बताया कि जिले में भूकंप का हाईरिस्क जोन है। यहां बांध का पानी भरा हुआ है। इस कारण भूगर्भीय हलचल हो रही है। इससे गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है।