नर्मदा पार धार जिले में बसा चिखल्दा का अस्तित्व अब खत्म हो गया है ऐसा ही एक गांव चिखल्दा भी है। बड़वानी जिले की सीमा पर नर्मदा पार धार जिले में बसा चिखल्दा का अस्तित्व अब खत्म हो गया है। यहां सिर्फ पानी में डूबे घरों की छतें ही नजर आ रही हैं। गांव में चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है।
एशिया का पहला किसान ग्राम चिखल्दा में ही पैदा हुआ था यह गांव सामान्य गांव नहीं था। इस गांव का प्रागेतिहासिक महत्व रहा है। पुरातत्व शास्त्रों के शोध के अनुसार एशिया का पहला किसान ग्राम चिखल्दा में ही पैदा हुआ था। चिखल्दा से दो किमी दूरी पर पुरातत्व विभाग को हजारों साल पुराने मिट्टी के बर्तन, सामान भी मिले थे। मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा सभ्यता के आसपास ही नर्मदा घाटी की सभ्यता भी पनपी थी। इसके कई सबूत भी पुरातत्व विभाग को चिखल्दा में मिले थे।
अशम युग से आज तक का मानवीय इतिहास छुपा है
नर्मदा बचाओ नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा घाटी दुनिया की एकमात्र घाटी जिसके नीचे अशम युग से आज तक का मानवीय इतिहास छुपा है। पुरातत्व विभाग को हजारों साल पुराने मिट्टी के बर्तन, सामान भी मिले थे। चिखल्दा का अस्तित्व अब खत्म हो गया है। एक माह पहले जहां चहल-पहल नजर आ रही थी, वहां अब पानी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा।
नर्मदा बचाओ नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा घाटी दुनिया की एकमात्र घाटी जिसके नीचे अशम युग से आज तक का मानवीय इतिहास छुपा है। पुरातत्व विभाग को हजारों साल पुराने मिट्टी के बर्तन, सामान भी मिले थे। चिखल्दा का अस्तित्व अब खत्म हो गया है। एक माह पहले जहां चहल-पहल नजर आ रही थी, वहां अब पानी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा।