कॉलेज के डीन डॉ. यूपीएस भदौरिया ने बताया एनएएचइपी का मुख्य कृषि स्नातक छात्र-छात्राओं को मार्केट रेडी प्रोजेशनली बनाना है। पढ़ाई के बाद विद्यार्थी नौकरी पानेवाला नहीं, नौकरीदाता बने। स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें और वहां कई युवाओं को नौकरी दे।
राजमाता विजया राजे सिंधिया कृषि विश्विद्यालय के खंडवा, इंदौर, ग्वालियर, मंदसौर और सीहोर कृषि कॉलेज में प्रोजेक्ट के तहत कार्य शुरू हो चुका है। खंडवा कृषि कॉलेज की बिल्डिंग, गल्र्स, बॉयज होस्टल में वाईफाई उपलब्ध है। प्रोजेक्ट में 35 एकड़ कैंपस को वाइफाइ जोन बनाया जा रहा है। जिसमें हाई स्पीड डेटा नेट मिलेगा। वर्चुअल क्लास रूम तैयार की जा रही। इसमें विद्यार्थियों को एक ही स्थान पर प्रैक्टिकल नॉलेज दिया जाएगा। वैज्ञानिक खेत लगी फसल का निरीक्षण या उसमें लगे बीमारी को देखने जाते है तो टैक्नालॉजी के माध्यम से वर्चुअल रूम में विद्यार्थी उस चीज को देखकर प्रैक्टिल कर पाएंगे। विद्यार्थियों में व्यक्तित्व विकास के लिए भी कार्य किए जाएंगे।
-कृषि कॉलेज में स्मार्ट क्लास रूम, भाषा प्रयोगशाला, विद्यार्थियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस सहित बदलाव हो रहे है। – कृषि यूनिवर्सिटी के 600 छात्रा-छात्राओं को ट्रेनिंग के तहत देश के प्रतिष्ठित संस्था, उद्योगों में 3 माह के प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
– चयनित 180 छात्र-छात्राओं को अमेरिका, जापान, चीन सहित अन्य देशों के प्रतितिष्ठ संस्थाओं में 3 माह के प्रशिक्षण के लिए भेजें जाएंगे।
-युनिवर्सिटी के पुराने विद्यार्थियों को बुलाकर कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिससे वर्तमान विद्यार्थी मार्ग दर्शन मिल सकेगा।
-विदेशों के शैक्षणिक संस्थाओं से विशेषज्ञ, वैज्ञानिकों को लैक्चर देने भी बुलाया जाएगा।
को-प्रिंसिपल इनवेस्टिकेटर डॉ. दिनेश कुमार पालीवाल ने बताया कि एनएएचइपी में कॉलेज में स्नातक के विद्यार्थियों को शामिल किया जाएगा। ट्रेनिंग पर भेजने के लिए विद्यार्थियों की रूचि और अंको के आधार पर चयन होगा। विदेश 180 विद्यार्थी जाएंगे। जिसमें प्रत्येक कॉलेज से 30 से 40 विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा।