खंडवा

आध्यात्मिक लोकतंत्र ही श्रेष्ठ भारत और एकात्म मानव दर्शन का आधार

व्याख्यानमाला…श्रेष्ठ भारत का सूत्र-एकात्म मानव दर्शन विषय पर वक्ता प्रफुल्ल केतकर ने कहा।

खंडवाJan 16, 2019 / 01:18 am

अमित जायसवाल

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खंडवा. भारत की इस विश्व को बड़ी देन है तो वो है आध्यात्मिक डेमोक्रेसी।
अकेला देश है जो हमें ईश्वर चुनने की स्वतंत्रता देता है, जो अस्तित्व
में है उनको सबको नकारकर नया ईश्वर पैदा करने और अपने-आप को भी ईश्वर
घोषित करने की स्वतंत्रता देता है और मैं ईश्वर को नहीं मानता हूं, ये
कहने की भी स्वतंत्रता देता है, एेसा विश्व में कहीं नहीं है। हिंसा के
पीछे एक ही कारण है कि जो कहते हैं मेरा ही ईश्वर है और कोई नहीं। जबकि
आध्यात्मिक लोकतंत्र ही श्रेष्ठ भारत और एकात्म मानव दर्शन का आधार है।
श्रेष्ठ भारत का सूत्र-एकात्म मानव दर्शन विषय पर वक्ता प्रफुल्ल केतकर
ने मंगलवार को गौरीकुंज सभागार में ये बात कही। उन्होंने कहा कि
दीनदयालजी को मैं जैसे-जैसे पढ़ रहा था, मेरे मन में विचार आया कि वे
लोकतंत्र व संविधान निर्माण प्रक्रिया की चर्चा कर रहे हैं, विदेश नीति व
अर्थनीति की चर्चा कर रहे हैं। लेकिन इसके पीछे एक दृष्टि दे रहे हैं,
देखने की एक कला दे रहे हैं, वो कला क्या है। वो जो सूत्र मुझे समझ में
आया कि यूरोप की इस विश्व को कोई देन है तो वो है- पॉलीटिकल डेमोक्रेसी,
अमरीका की इकानॉमिक डेमोक्रेसी है। अंतिम दिन व्याख्यानमाला में सांसद
नंदकुमारसिंह चौहान, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस, विधायक देवेंद्र वर्मा,
राम दांगोरे, महापौर सुभाष कोठारी, अध्यक्ष रामगोपाल शर्मा व अन्य थे।
संचालन भूपेंद्र सिंह चौहान ने किया।
इंडिया नहीं भारत के रूप में स्वीकार्य
केतकर ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत एक भी
चुनाव नहीं हारा है। एेसा इसलिए क्योंकि भारत अपने-आप को वैसा ही
प्रस्तुत कर रहा है, जैसा वो है। इंडिया की तरह नहीं, बल्कि भारत की तरह
प्रेजेंट किया तो विश्व ने स्वीकार किया। जो हम हैं वो गौरव के साथ
कहेंगे।
ये भी कहा…
– पश्चिम का विचार रेखाकार है, एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक, प्रकृति पर
विजय पाना उनका उद्देश्य है, जबकि भारत का विचार चक्राकार है, जन्म है,
मृत्यु है और फिर जन्म है, प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर जीना है।
– पश्चिम मानव केंद्रित रहा है और है, जबकि भारत मानव केंद्रित नहीं
बल्कि चराचर वादी है। हमारे यहां औरत कभी मरती नहीं बल्कि संतानों में
जीवित रहती है।
– भारत का विचार अखंड मंडलाकार है, इसमें व्यक्ति, समष्टि, सृष्टि और
परमेष्ठी भी शामिल है। विश्व में कहीं भी चले जाओ, उन्हें कैलाश, कश्मीर,
शिव व शक्ति की संकल्पना समझनी नहीं पड़ती है।
– सैक्यूलरिज्म, कम्युनलिज्म पर विचार रखते हुए उन्होंने ये भी कहा कि
कम्युनिष्ट और कैपिटलिस्ट विचार थोपना चाहते हैं। गांधी, लोहिया, टैगोर
के विचारों का सार यही है कि विकेंद्रीकृत शासन होगा और प्रतिनिधि सहमति
से आएंगे तो लोकतंत्र मजबूत होगा।
…तब सुपर पावर बनेगा भारत
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे कि भारत सुपर पावर या विश्व गुरु तब नहीं
बनेगा जब यहां की इकानॉमी, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट या जीडीपी बढ़ेगी, बल्कि
तब बनेगा जब भारत के विश्वविद्यालयों से उठकर तथाकथित ज्ञान पिपासा यूरोप
अमरीका में न जाना पड़े, उल्टा वहां से विद्यार्थियों को ज्ञान के लिए
आना पड़े, तब मैं मानूंगा कि भारत सही दृष्टि में सुपर पावर बन रहा है।
गुलामी के कारण व्यवहार में अंग्रेजी
वक्ता केतकर ने कहा कि भारत में अंग्रेजी व इससे जुड़ी शिक्षा को लेकर
स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। विश्व के 20 विकसित देशों में से सिर्फ ३ को
छोड़कर शेष 17 अंग्रेजी में व्यवहार नहीं करते, जबकि विकसित होने की तरफ
बढ़ रहे देशों में गुलामी के कारण अंग्रेजी व्यवहार में आई है। पूरे
विश्व में सिर्फ 13 फीसदी लोग अंग्रेजी का उपयोग करते हैं वो इंटरनेशनल
भाषा कैसे हो सकती है?

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