दो मंजिला भवन के दूसरे तल पर फ्रंट एलिवेशन के पास करीब तीन बाय 25 फीट की बालकनी (छज्जा) छोड़ी गई है। इस गैलरी में जाने का कोई भी रास्ता नहीं है। निर्माण की दृष्टि से ये बालकनी किसी काम की नहीं है। नट निमाड़ समूह के कलाकारों ने बताया कि ये पोर्शन यदि आर्ट गैलरी के हिसाब से उपयोग किया जाता है तो यहां बनी खिड़कियों का कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि आर्ट गैलरी के हिसाब से यहां सपाट दीवार होना चाहिए। आगे छोड़ी गई बालकनी भी किसी काम की नहीं है। रवींद्र भवन आडोटोरियम में अत्याधुनिक लाइटिंग, मंच का पर्दा, साउंड सिस्टम लगाया गया है। इन सबका संचालन प्रथम तल स्थित कंट्रोल रूम से होगा। यहां लगे साउंड, लाइट, पर्दे को ऑपरेट करने के लिए एक्सपर्ट की जरूरत पड़ेगी। जिसके लिए खंडवा में कोई विशेषज्ञ नहीं है। इसके लिए बाहर से दो या तीन विशेषज्ञ बुलाना होगा, जिसके लिए प्रत्येक को तनखाह करीब 15 हजार रुपए भुगतान करना होगा।
भोपाल में भी आई थी खामी सामने
नट निमाड़ समूह निदेशक विजय सोनी, सदस्य अपूर्व जैन ने बताया रवींद्र भवन के मंच से दर्शक दीर्घा की दूरी बहुत कम है, जिसके कारण पहली और दूसरी कतार में लगी कुर्सियों पर बैठने से आधे से ज्यादा मंच का दृश्य नहीं दिखता है। क्लासिकल नृत्य के कार्यक्रम में खासतौर पर कथक, बैले आदि में पैरों की गतिविधियों पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इन कार्यक्रम के दौरान आगे की पंक्ति में बैठे दर्शक को नृत्य कलाकार के पैर भी नहीं दिखेंगे।
रवींद्र भवन का जो नक्शा प्रस्तावित था, उसके अनुसार ही कार्य कराया गया है। मंच की जमीन से ऊंचाई चार फीट करीब रखी गई है। चार फीट की केसिंग इसके ऊपर लगी है। इसी नक्शे के आधार पर भोपाल और विदिशा में भी रवींद्र भवन का निर्माण हुआ है।
एमके वर्मा, इंजीनियर, ठेकेदार कंपनी