script

नवनिर्मित सांस्कृतिक भवन में तकनीकी खामियों की भरमार

locationखंडवाPublished: Feb 04, 2021 03:43:13 pm

Submitted by:

tarunendra chauhan

खामियों का रवींद्र भवन : मंच की ऊंचाई ज्यादा, पहली दो कतार से नहीं दिखता मंच का पूरा दृश्य
 

Rabindra bhavan

Rabindra bhavan

खंडवा. संस्कृति विभाग द्वारा जिले को मिली बड़ी सौगात रवींद सांस्कृति संकुल भवन का निर्माण कार्य अंतिम चरण में जारी है। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री के संभावित दौरे पर इस भवन का लोकार्पण हो सकता है। करोड़ों की लागत से बने रवींद्र भवन में तकनीकी खामियां भी सामने आई है। निर्माण की जल्दी में इन तकनीकी खामियों पर ध्यान नहीं दिया गया, अब इन खामियों के साथ ही ये भवन संचालित करना होगा। हरसूद रोड पर वन विभाग डीपो में बन रहे रवींद्र भवन का काम लगभग पूरा हो चुका है। 19.42 करोड़ की लागत वाले इस भवन में कुछ तकनीकी खामियां भी है। बुधवार को यहां पहुंचे शहर के नट निमाड़ कला समूह के पदाधिकारियों ने मंच और दर्शक दीर्घा में बैठकर जब देखा तो तकनीकी कमी सामने आई। यहां मंच की ऊंचाई मानक से कुछ ज्यादा है। नट निमाड़ समूह अध्यक्ष शरद जैन, सचिव प्रशांत रामस्नेही ने बताया कि मंच की औसत ऊंचाई पौने चार फीट होना चाहिए, जबकि यहां ऊंचाई 4 फीट की है, साथ ही चार इंच की लकड़ी की फेंसिंग होने से ये ऊंचाई अधिक हो गई है।

दो मंजिला भवन के दूसरे तल पर फ्रंट एलिवेशन के पास करीब तीन बाय 25 फीट की बालकनी (छज्जा) छोड़ी गई है। इस गैलरी में जाने का कोई भी रास्ता नहीं है। निर्माण की दृष्टि से ये बालकनी किसी काम की नहीं है। नट निमाड़ समूह के कलाकारों ने बताया कि ये पोर्शन यदि आर्ट गैलरी के हिसाब से उपयोग किया जाता है तो यहां बनी खिड़कियों का कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि आर्ट गैलरी के हिसाब से यहां सपाट दीवार होना चाहिए। आगे छोड़ी गई बालकनी भी किसी काम की नहीं है। रवींद्र भवन आडोटोरियम में अत्याधुनिक लाइटिंग, मंच का पर्दा, साउंड सिस्टम लगाया गया है। इन सबका संचालन प्रथम तल स्थित कंट्रोल रूम से होगा। यहां लगे साउंड, लाइट, पर्दे को ऑपरेट करने के लिए एक्सपर्ट की जरूरत पड़ेगी। जिसके लिए खंडवा में कोई विशेषज्ञ नहीं है। इसके लिए बाहर से दो या तीन विशेषज्ञ बुलाना होगा, जिसके लिए प्रत्येक को तनखाह करीब 15 हजार रुपए भुगतान करना होगा।

भोपाल में भी आई थी खामी सामने
नट निमाड़ समूह निदेशक विजय सोनी, सदस्य अपूर्व जैन ने बताया रवींद्र भवन के मंच से दर्शक दीर्घा की दूरी बहुत कम है, जिसके कारण पहली और दूसरी कतार में लगी कुर्सियों पर बैठने से आधे से ज्यादा मंच का दृश्य नहीं दिखता है। क्लासिकल नृत्य के कार्यक्रम में खासतौर पर कथक, बैले आदि में पैरों की गतिविधियों पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इन कार्यक्रम के दौरान आगे की पंक्ति में बैठे दर्शक को नृत्य कलाकार के पैर भी नहीं दिखेंगे।

रवींद्र भवन का जो नक्शा प्रस्तावित था, उसके अनुसार ही कार्य कराया गया है। मंच की जमीन से ऊंचाई चार फीट करीब रखी गई है। चार फीट की केसिंग इसके ऊपर लगी है। इसी नक्शे के आधार पर भोपाल और विदिशा में भी रवींद्र भवन का निर्माण हुआ है।
एमके वर्मा, इंजीनियर, ठेकेदार कंपनी

ट्रेंडिंग वीडियो