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एक दूसरे को बचाने में तीन सगी बहनों की मौत

locationखंडवाPublished: Sep 14, 2017 10:19:27 pm

 अपनी बहन को डूबते देख दूसरी दो बहनों ने बचाने की कोशिश की और वह भी गहरे पानी में पहुंच गई।

Three Sister died in khandwa

Three Sister died in khandwa

खंडवा. ग्राम पाड्ल्या में गुरुवार दोपहर कपड़े धोने स्टापडेम पर गई तीन सगी बहनों पानी में डूब गई। ग्रामीणों ने जैसे-तैसे उन्हें बचाकर गांधावा स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, लेकिन यहां इलाज नहीं मिल सका। वहीं जब तक जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तब तक तीनों बहनों ने दमतोड़ दिया था।
जानकारी के अनुसार दोपहर करीब 2.30 बजे कविता उर्फ सोनू पिता दयाराम बलाही (18), पूजा (16) और भारती बलाही (14) निवासी पाडल्या घर से स्टापडेम पर कपड़े धोने गई थी। यहां घाट पर बैठकर तीनों बहनें कपड़े साफ कर रही थी। तभी एक बहन का पैर फिसला और गहने पानी में गिर गई। अपनी बहन को डूबते देख दूसरी दो बहनों ने बचाने की कोशिश की और वह भी गहरे पानी में पहुंच गई। तीनों बहनों को डूबते देख आसपास मौजूद लोग दौडक़र मौके पर पहुंचे। यहां ग्रामीणों ने मशक्कत कर बहनों को पानी से बाहर निकाला। जानकारी मिलते ही पिता दयाराम घटनास्थल पर पहुंचे और मौत से लड़ रही बेटियों को बाइक से अस्पताल लेकर रवाना हुए। हालांकि जिला अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने तीनों बहनों को मृत घोषित कर दिया। बेटियों की मौत की खबर सुनते ही पिता बदहवास होकर गिर पड़ा। आसपास के लोगों ने उन्हें संभाला और ढांढस बंधाया। इधर, मामले की खबर लगते ही पिपलौद पुलिस जिला अस्पताल पहुंची और शवों का पंचनामा बनाया। पुलिस ने शवों का पीएम कराकर परिजन को सौंप दिए हैं। मामले में मर्ग कायम कर लिया है।
तीन बेटियों की मौत से गांव में छाया मातम

घटनाक्रम की खबर लगते ही ग्राम में मातम सा छा गया। जिसने भी तीन बहनों की मौत की खबर सुनी वह सहम उठा। इधर, एक साथ तीन बेटियां खोने से परिवार में सन्नाटा छा गया। पिता दयाराम ने कहा उनकी पांच बेटियां और एक बेटा सुधीर था, लेकिन अब तीन बेटियों को खो दिया। मृतिका कविता उर्फ सोनू की हालही में शादी हुई थी। वह ससुराल से कुछ दिन पहले ही पिता के घर आई थी।

रास्ते में बाइक पड़ी थी लोग राहगीरों को रोक रहे थे

मददगार बनी सीमा प्रकाश ने बताया निजी काम से पिपलौद की ओर जा रही थी। तभी रास्ते में देखा कि साइड में दो बाइक पड़ी हैं और कुछ लोग राहगीरों को रोकने के लिए मिन्नतें कर रहे थे। तुरंत ड्राइवर को बोला और गाड़ी रुकवाई। पिता ने घटनाक्रम बताया तो मैं दंग रह गई। तुरंत उन्हें गाड़ी में बैठाया और गांधावा की ओर रवाना हुए। बारिश हो रही थी। कीचड़ से सना रास्ता था। जैसे-तैसे उन्हें लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन यहां डॉक्टर नहीं मिले। इंतजार किया। करीब दो घंटे तक कोई मदद नहीं मिली। बदहवास पिता ने जिला अस्पताल बेटियों को लेकर चलने का बोला। तब मैं भी बगैर कुछ सोचे तीनों बहनों को गाड़ी में लेकर जिला अस्पताल पहुंची, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर ने तीनों को मृत घोषित कर दिया। तीन बेटियों की एकसाथ मौत होने से दिल को धक्का लगा। वहीं दुख इस बात का है कि तमाम कोशिशें करने के बावजूद भी बेटियों की जान नहीं बच सकी।
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