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खंडवा

आपत्तिजनक पोस्टर मामले में हटाई देशद्रोह की धाराएं, अब धार्मिक उन्माद फैलाने का केस बनाया

धर्म विशेष के खिलाफ विवादित पोस्टर लगाने का मामला…

खंडवाDec 07, 2017 / 01:52 pm

सेराज खान

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खंडवा. आपत्तिजनक पोस्टर लगाने के मामले में बनाए गए प्रकरण में देशद्रोह की धाराओं को हटा लिया गया है। पुलिस की ओर से न्यायालय में पेश चालान में केस बनाते समय लगाई गईं धाराओं को हटा लिया गया है। अब यह प्रकरण द्रेशद्रोह के स्थान पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का हो गया है। मंगलवार को आरोपितों को न्यायालय में पेश किया गया। आरोपियों को प्रथम सत्र न्यायाधीश तपेश कुमार दुबे की कोर्ट में पेश किया गया।
जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। यहां प्रस्तुत प्रकरण में पूर्व में लगाई गई देशद्रोह की धाराएं नहीं हैं। पुलिस ने इस मामले में रेहान पिता नईम २० निवासी इमलीपुरा, शाहरुख पिता अब्बास १८ निवासी गलुमोहर कॉलोनी, आजम पिता लियाकत पंवार १९ निवासी गुलमोहर कॉलोनी व कोसिम पिता यूसुफ पंवार २१ निवासी कल्लनगंज सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों में तीन नाबालिग भी शामिल थे। अब सभी आरोपियों पर से देशद्रोह की धाराएं हटा ली गईं हैं। मोघट टीआई अनिल शर्मा ने इस संबंध में बताया कि प्रकरण में धाराएं कम हुई हैं। प्रकरण की विवेचना जारी है। न्यायालय में प्रस्तुत प्रकरण में १५३ क और ५०५ ग लगाई है। ये दोनों धाराएं धार्मिक भावनाएं भड़काने की हैं।
पहले लगाई थी धारा 124 ए व 153 ए
आपत्तिजनक पोस्टर लगाने व इसके बाद शहर में हुए विरोध एवं शासन से आए दबाव के बाद पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया था। देर रात प्रेस कांफ्रेंस करके एएसपी ने बताया था कि आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है। आरोपियों पर धारा १२४ ए व १५३ ए लगाई गई है। यह धाराएं देश के खिलाफ बोलकर, संकेत से विद्रोह फैलाने या नफरत व धर्म भाषा के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने पर लगती है। इन धाराओं में 5 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।
अब लगी 153 क व 505 ग
पुलिस की ओर से जब प्रकरण न्यायालय में पेश किया गया तो उसमें पहले लगाईं गईं दोनों धाराएं नहीं हैं। प्रकरण में अब १५३ क व ५०५ ग धाराएं हैं। यह दोनों धाराएं धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में लगती हैं। १५३ क में धार्मिक भावनाएं भड़काने व ५०५ ग में लिखकर धार्मिक भावानाएं भड़काने पर लगाई जाती है। इन धाराओं में दोष सिद्ध होने पर अधिकतम तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है।
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