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महिला अपराधों के आरोपियों को खुद बचा रही पीडि़ताएं

locationखंडवाPublished: Jan 14, 2022 01:01:13 pm

थाने में शिकायत दर्ज करना कराने के बाद कोर्ट पहुंचकर मुकर रही पीडि़ताएं-महिला अपराधों में फरियादी के पलटने से हो रहे अपराधी बरी-धारा 164 के बयान तक भी रहती है कायम, कोर्ट पहुंचने के बाद हो जाता समझौता-पॉक्सो एक्ट में भी नाबालिग पीडि़तों को परिवार की वजह से नहीं मिल पाता न्याय

महिला अपराधों के आरोपियों को खुद बचा रही पीडि़ताएं

थाने में शिकायत दर्ज करना कराने के बाद कोर्ट पहुंचकर मुकर रही पीडि़ताएं-महिला अपराधों में फरियादी के पलटने से हो रहे अपराधी बरी-धारा 164 के बयान तक भी रहती है कायम, कोर्ट पहुंचने के बाद हो जाता समझौता-पॉक्सो एक्ट में भी नाबालिग पीडि़तों को परिवार की वजह से नहीं मिल पाता न्याय

खंडवा.
महिला अपराध संबंधित मामले पुलिस में दर्ज होने के बाद कोर्ट तक तो पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां खुद पीडि़त महिला, जिसमें अधिकतर नाबालिग शामिल है, होस्टाइल होने से ये आरोपी बेदाग छूट रहे है। इसका मुख्य कारण अधिकतर अपराधों में पीडि़ताएं या परिजन मामले में समझौता कर रहे हैं और आरोपी को खुद ही बचा रहे है। पिछले दो माह का ही रिकार्ड देखा जाए तो 44 मामलों में से सिर्फ दो मामले में आरोपी को सजा हुई है। जबकि 16 मामले में आरोपी दोष मुक्त हुए है।
महिला अपराधों में हर माह बड़ी संख्या में प्रकरण दर्ज होते है। जिसमें छेड़छाड़, मारपीट, बलात्कार जैसे मामलों में पुलिस अपराध भी दर्ज करती है। कोर्ट में पीडि़ता के धारा 164 के तहत बयान भी दर्ज कराए जाते है। यहां तक तो पीडि़ताएं अपने बयान पर कायम रहती हैं, लेकिन जब मामला न्यायालय में पहुंचता है तो गवाह सहित फरियादी ही होस्टाइल (अपनी बात से मुकरना) हो जाता है। इसका मुख्य कारण सामाजिक प्रतिष्ठा, पीडि़ता के भविष्य, अनावेदक द्वारा राजीनामा करने जैसे मुख्य कारणों के चलते परिजन खुद ही पीछे हट जाते है और पीडि़ता भी अनावेदक को या तो पहचानने से इंकार कर देती है, या फिर घटना से ही इंकार कर देती है। जिसके चलते आरोपी दोष मुक्त हो जाता है।
केस एक- नाबालिग पीडि़ता ने किया घटना से इंकार
थाना मांधाता क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2019 में एक नाबालिग किशोरी छेड़छाड़ का शिकार हुई थी। मामला थाने तक पहुंचा और पुलिस ने अपराध क्रमांक 217/19 में आईपीसी की धारा 354, 354 ए, 506 और पॉक्सो एक्ट की धारा 7/8 के तहत केस दर्ज किया। मामला कोर्ट तक पहुंचा। दो साल कोर्ट में गवाह पेशी, जिरह के बाद आखिरकार पीडि़ता ने घटना से इंकार कर दिया। दो माह पहले 5 नवंबर को मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोष मुक्त कर दिया।
केस दो- पुलिस के सामने बयान ही नहीं देना चाहती पीडि़ता
खालवा थाना क्षेत्र अंतर्गत नाबालिग पीडि़ता बलात्कार का शिकार बनने के बाद गर्भवती होकर छह माह पूर्व मां बनी थी। मामले में पुलिस ने स्व: संज्ञान लेकर पीडि़ता की ओर से आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया। अब हालत ये है कि पीडि़ता और उसके परिजन इस मामले में पुलिस के सामने बयान ही नहीं दे रहे है। जिसके चलते पांच माह से मामले में पुलिस न्यायालय में चालान तक पेश नहीं कर पा रही है। वहीं, पीडि़ता का परिवार आरोपी को बचाने में लगा हुआ है।
41 प्रतिशत प्रकरणों में राजीनामा, 36 प्रतिशत में दोष मुक्त
महिला अपराधों के मामले में कोर्ट तक पहुंच प्रकरणों की स्थिति देखी जाए तो नंबवर तक कुल 893 प्रकरण न्यायालय में लंबित थे। नंबवर और दिसंबर में कुल 77 नए प्रकरण कोर्ट में पेश हुए। कुल 970 प्रकरणों में 44 का निराकरण हुआ। जिसमें दो प्रकरण में आरोपी दोषी साबित हुए, यानि 4.5 प्रतिशत को सजा मिली। 44 में से 16 मामलों में आरोपी दोष मुक्त करार दिए गए, यानि 36.36 प्रतिशत मामले में आरोपी बरी हुए। वहंी, 18 मामलों में पीडि़ता और परिजन ने अनावेदक से राजीनामा कर लिया, यानि 40.90 प्रतिशत मामलों में राजीनामा हुआ। आठ प्रकरणों में आरोपी फरार चल रहे है। 926 मामले लंबित है।
बॉक्स न्यूज-
बुरी नियत से हाथ पकड़ा, एक साल की सजा
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सपना पटवा की न्यायालय ने बुरी नियत से युवती का हाथ पकडऩे वाले आरोपी को एक साल साधारण कारावास व एक हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। अभियोजन की ओर से प्रकरण का संचालन लोक अभियोन अधिकारी लालसिंह बघेल ने किया। अभियोजन मीडियो सेल अधिकारी एडीओपी मो. जाहिद खान ने बताया कि घटना 23 सितंबर 2018 को पिपलौद थाना क्षेत्र के कालापाठ की है। यहां आरोपी ने शौच के लिए गई पीडि़ता के साथ बुरी नियत से हाथ पकड़ा था। पीडि़ता अपनी छोटी बहन के साथ किसी तरह से बचकर भागी थी और परिजन के साथ जाकर पिपलौद थाने में केस दर्ज कराया था।
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