खंडवा

gross negligence- चिता में लिटाया तो मृतक हो गया जीवित, जाने हकीकत

अस्पताल कर्मियों की लापरवाही, जीवित मरीज को मृत बताकर दूसरे का शव सौंपने का मामलाअंतिम संस्कार के पहले चेहरा देखने पर चला पता, शव किया वापस, जिसे मृत बताया वह अस्पताल में मिला जीवित

खंडवाApr 15, 2021 / 03:24 am

tarunendra chauhan

gross negligence

खंडवा. अब तक कोविड अस्पताल में लोग शव के लिए परेशान हो रहे थे। नए मामले में इससे आगे बढकऱ अस्पताल प्रबंधन ने जीवित मरीज के परिजनों को उसकी मौत की सूचना दे दी, यहां तक कि शव भी दे दिया। अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम पहुंचे परिजन ने आखिरी बार शव का चेहरा देखने के लिए प्लास्टिक हटाई तो दंग रह गए। शव उनके मरीज की बजाए किसी ओर का था। चिता से शव उठाकर लोग अस्पताल पहुंचे और अपने मरीज की जानकारी ली तो वह वार्ड में भर्ती मिला। जो शव वापस लाया गया, वो किसका था, ये देर शाम तक भी अस्पताल प्रबंधन नहीं बता पाया।

सिंगोट रामपुरा निवासी गोलू पंवार (22) कोविड अस्पताल में वार्ड 201 के 15 नंबर बेड पर भर्ती है। बुधवार रात 3 बजे गोलू के भाई महेंद्र पंवार के पास कोविड अस्पताल से फोन आया कि गोलू का निधन हो गया है। सुबह 6 बजे से गोलू का भाई और परिजन कोविड अस्पताल पहुंच गए। यहां 11 बजे अस्पताल कर्मियों ने शव को प्लास्टिक में पैक कर एंबुलेंस से किशोर कुमार मुक्तिधाम रवाना कर दिया। परिजन भी अंतिम संस्कार के लिए किशोर कुमार मुक्तिधाम पहुंच गए। यहां चिता भी बना ली गई और शव को अंतिम संस्कार के लिए चिता पर लिटा दिया। इस बीच परिजन ने कहा कि अंतिम बार चेहरा देख लेते हैं, जैसे ही प्लास्टिक का कवर चेहरे से हटाया तो शव किसी और का था। लोगों ने तुरंत शव को चिता से हटाकर एंबुलेंस कर्मी को सारी बात बताकर शव को वापस ले जाने को कहा। बुधवार सुबह से लेकर शाम तक कोविड अस्पताल में 10 लोगों की मौत होना सामने आया है। सुबह से शवों को ले जाने के लिए एक के बाद एक कर एंबुलेंस और शव वाहिनी आती गई और शव ले जाती गई। ओंकारेश्वर से भी शव वाहिनी खंडवा बुला ली गई है।

इसके बाद सभी परिजन वापस कोविड अस्पताल पहुंचे। भर्ती मरीज का भाई महेंद्र पीपीइ किट पहनकर वार्ड में पहुंचा और गोलू की तलाश की। गोलू वार्ड 201 में भर्ती मिला। महेंद्र ने नीचे आकर सभी को खबर दी कि गोलू ठीक है, जिसके बाद सभी परिजन ने चैन की सांस ली। महेंद्र ने बताया यदि वे शव का चेहरा नहीं देखते तो किसी ओर का शवदाह कर देते। उस मृतक के परिजन उसे ढूंढते ही रहते। अस्पताल प्रबंधन की ये लापरवाही दो परिवारों पर भारी पड़ जाती। कम से कम शव देने से पहले उसका चेहरा दिखा देते तो ये स्थिति नहीं बनती।

सुपुर्देखाक में भी तकरार की स्थिति
वहीं, शहर के बड़ा कब्रिस्तान में भी कोविड प्रोटोकॉल के तहत एक शव को सुपुर्देखाक करने के दौरान विवाद की स्थिति बनी। यहां कोविड वार्ड से शव को प्लास्टिक में पैक कर दिया गया। कब्रस्तान पहुंचे परिजन ने रीतिरिवाज के हिसाब से शव को गुसल (नहलाना) देना चाहा, जिस पर एंबुलेंसकर्मी ने मना कर दिया। परिजन का कहना था कि मृतक की रिपोर्ट निगेटिव थी, इसलिए संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। जबकि एंबुलेंसकर्मी का कहना था कि शासन के नियमानुसार ऐसे ही सुपुर्दे खाक किया जाए।

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