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10 हजार पेड़-पौधे वाला कैंपस, कुएं में सहेजते हैं बारिश का पानी, अब 40 किलोवॉट बिजली उत्पादन का लगाएंगे प्लांट

locationखंडवाPublished: Jun 04, 2020 10:29:49 pm

विश्व पर्यावरण दिवस आज…पर्यावरण का मित्र है ये कॉलेज कैंपस… यहां पेड़-पौधों की भरमार, दो दिन की बारिश से बढ़ा कुएं का जलस्तर, पेड़-पौधों को सींचने के लिए यहां पानी का दोहन नहीं किया जाता, बल्कि बारिश के पानी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से सहेजकर कुएं में उतारा जाता है कुएं में

world environment day : polytechnic college khandwa

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अमित जायसवाल,
खंडवा. शहर का सिंहाड़ा रोड। सड़क से सटकर ही बना शा. ज्योतिबा फुले पॉलीटेक्निक कॉलेज। प्रवेश से पहले ही बाउंड्रीवाल के पास से शुरू हुई हरियाली यहां 45 एकड़ के कैंपस में हर कदम पर साथ चलती है।
कैंपस को पर्यावरण का मित्र भी कह सकते हैं। क्योंकि, यहां 10 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे हैं। इन्हें सींचने के लिए यहां पानी का दोहन नहीं किया जाता, बल्कि बारिश के पानी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से सहेजकर कुएं में उतारा जाता है। ट्यूबवेल रिचार्ज होता है और पीने का पानी भी सालभर खत्म नहीं होता है। पौधरोपण और पानी सहेजने के साथ ही यहां बिजली उत्पादन पर भी काम हो रहा है। दो छात्रावासों में 15 किलोवॉट के सोलर पैनल लगे हैं। अब कॉलेज परिसर के लिए यहां 40 किलोवॉट का क्षमता का सोलर प्लांट भी लगाने का प्रस्ताव पास है। इससे यहां 60 से 70 हजार रुपए महीने आने वाले बिजली बिल पर न सिर्फ रोक लगेगी, बल्कि उत्पादन के मुकाबले खपत कम होने पर कॉलेज प्रबंधन को आमदनी भी होगी, जो यहां बेहतरी पर खर्च की जा सकेगी।
इन प्रजातियों के पेड़-पौधे
कैंपस में पीपल, बरगद, नींब, करंज, पारस पीपल, साइकस, फाइकस, सप्तपर्णी, अशोक, गुलमोहर, कचनार, आम, जामुन, शीशम, नीलगिरी सहित 25 से भी अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे लगे हैं।

30 साल पहले मरुस्थल जैसा क्षेत्र, अब पानी की नहीं कमी
सिहाड़ा रोड पर स्थित कॉलेज कैंपस 30 साल पहले मरुस्थल जैसा क्षेत्र था। धीरे-धीरे यहां पौधरोपण कर उन्हें संभाला गया। प्राचार्य अपूर्व साकल्ले कहते हैं कि करीब 8 साल पहले यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया, जिससे बिल्डिंग के एक पूरे हिस्से का पानी कुएं में उतारते हैं, जबकि दूसरे हिस्से का पानी ट्यूबवेल के पास उतारते हैं। इससे सालभर यहां पानी की कोई समस्या नहीं रहती है। अभी दो दिन की बारिश में ही कुएं का जलस्तर बढ़ गया है। वरिष्ठ प्राध्यापक बीडी सनखेरे कहते हैं कि प्राचार्य के निर्देशन में स्टाफ और छात्र-छात्राएं भी पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को बखूबी निभाते चल रहे हैं।
फैक्ट फ़ाइल
1960 में हुई कॉलेज की स्थापना
45 एकड़ जमीन है कैंपस की करीब
04 एकड़ करीब में हुआ है निर्माण
25 से ज्यादा प्रकार के पेड़-पौधे हैं यहां
500 पौधे हर साल लगाए जाते हैं कैंपस में
08 साल पहले रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी अपनाया
फैक्ट फ़ाइल
– 7 ब्रांच है कॉलेज में, 1300 छात्र-छात्राओं की क्षमता।
– 80 फीसदी से ज्यादा पौधे यहां पौधरोपण के बाद रहते हैं जीवित।
– 500 पौधे बीते महीनों में ही कैंपस में स्थित ताप्ती छात्रावास में लगाए।
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