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विश्व का सबसे बड़ा सोलर फ्लोटिंग प्लांट: ऊर्जा उत्पादन के साथ पर्यटन का भी लाभ मिलेगा

locationखंडवाPublished: Jan 12, 2021 01:00:10 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

खंडवा में सौर ऊर्जा विद्युत परियोजना भी स्थापित होने जा रही है।

विश्व का सबसे बड़ा सोलर फ्लोटिंग प्लांट: ऊर्जा उत्पादन के साथ पर्यटन का भी लाभ मिलेगा

विश्व का सबसे बड़ा सोलर फ्लोटिंग प्लांट: ऊर्जा उत्पादन के साथ पर्यटन का भी लाभ मिलेगा

खंडवा. नवीन और नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग ने सोमवार को खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर सागर में तीन हजार करोड़ रूपये से स्थापित होने वाले 600 मेगावाट क्षमता के विश्व के सबसे बड़े सोलर फ्लोटिंग प्लांट की तैयारियों की समीक्षा करने के साथ प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर समय-सीमा में प्रोजेक्ट पूर्ण करने के निर्देश दिये। डंग ने कहा कि खण्डवा जिले में ताप, विद्युत और जल परियोजना के साथ अब सौर ऊर्जा विद्युत परियोजना भी स्थापित होने जा रही है। इससे खण्डवा जिला बहुत बड़ा पावर हब बन जाएगा।
ऊर्जा उत्पादन के साथ पर्यटन, जल, भूमि संरक्षण का भी लाभ मिलेगा
नवकरणीय ऊर्जा मंत्री डंग ने बताया कि प्लांट का विकास एक बहुउदेश्यीय परियोजना के रूप में किया जाएगा। इससे बिजली उत्पादन के साथ पर्यटन, जल संरक्षण्, भूमि संरक्षण आदि अन्य उद्देश्यों की पूर्ति भी होगी। पावर प्लांट की डीपीआर इसी माह तैयार हो जायेगी और जुलाई के अंत तक टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जुलाई 2023 तक ओंकारेश्वर सागर में सोलर फ्लोटिंग पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करना प्रारंभ कर देगा। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर सागर में जल स्तर हर मौसम में लगभग स्थिर रहता है इसी लिये परियोजना के लिये नर्मदा व कावेरी नदी के संगम के पास लगभग 2000 हेक्टेयर स्थल का चयन फ्लोटिंग पावर संयत्र के लिये किया गया है।
सस्ती होती है सौर ऊर्जा, प्रदेश में पाँच हजार मेगावाट की नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ है
मंत्री डंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच के कारण देश में सौर एवं पवन ऊर्जा संयत्र स्थापित हो रहे है। देश में 2022 तक 175 गीगावाट नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पादन का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश में अब तक लगभग 5 हजार मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हो चुकी है। सौर ऊर्जा की बिजली ताप विद्युत की तुलना में काफी सस्ती होती है और इसके प्रोजेक्ट का मेटिंनेंस बहुत कम होता है। उन्होंने कहा कि ताप विद्युत परियोजनाओं में प्रदूषण अधिक होता है और एक सीमा के बाद कोयला भण्डारों के खत्म होने की संभावना बनी रहती है।
पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव अध्ययन के लिये निविदा जारी होगी
प्रबंध संचालक दीपक सक्सेना ने बताया कि इंटरनेशल फायनेंस कार्पोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पावररग्रिड ने परियोजना में विकास के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है इसी माह पावरग्रिड द्वारा परियोजना क्षेत्र से खण्डवा सब स्टेशन तक ट्रांसमिशन लाइन रूट सर्वे शुरू हो जाएगा। परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव के अध्ययन के लिये भी निविदा प्रारंभ की जा रही है।
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