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300 शिक्षकों को मुक्त करना भूले अफसर, रोजाना जिले की सीमा पर कर रहे पहरेदारी

locationखरगोनPublished: Jul 06, 2021 11:41:32 am

Submitted by:

harinath dwivedi

आने-जाने वालों की इंट्री करने का सौंपा था जिम्मा, जिला अनलॉक होने के बाद ड्यूटी आदेश निरस्त नहीं किए

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खरगोन. सरकारी सिस्टम में लापरवाही किस हद तक हो सकती है इसकी एक बानगी कोरोनाकाल में जिले की सीमा पर बनाई चेकपोस्ट पर तैनात किए गए शिक्षकों के मामले में देखने को मिलती है। एक अप्रैल को जिला प्रशासन ने दस जगह चेकपोस्ट बनाए और यहां आने-जाने वालों की इंट्री करने के लिए 300 शिक्षकों को पहरेदारी सौंपी। शिक्षक काम पर जुट गए। समय बीता और संक्रमण कम हो गया। जिला अनलॉक हो गया। आजावाही सामान्य हो गई लेकिन शिक्षकों की डïयूटी को निरस्त करना अफसर भूल गए। आलम यह है कि अब भी शिक्षक चेकपोस्ट पर जाते हैं। दिनभर बैठते हैं। टिफिन का खाना खाकर लौट आते हैं। कलेक्टर से लेकर संकट प्रबंधन समूह तक शिक्षकों की यह परेशानी जगजाहिर भी हुई, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
सोमवार को मप्र शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष रमेशचन्द्र पाटीदार ने जिले की सीमाओं पर प्रत्येक आने-जाने वालों को पंजीकृत करने के लिए लगाए गए शिक्षकों को ड्यूटी से मुक्त कराने का ज्ञापन अतिरिक्त जिला पंचायत सीईओ पुरुषोत्तम पाटीदार को सौंपा। संघ के जिला मीडिया प्रभारी जयेंद्र राठौड़ ने बताया अतिरिक्त सीइओ भी आश्चर्यचकित हो गए। वह खुद भी इस बात को मानते हैं कि अब सबकुछ सामान्य हो गया है तो फिर शिक्षकों की यह ड्यूटी समझ से परे हैं। सबकुछ जानने के बाद भी अब तक शिक्षकों को इस त्रासदी से मुक्त नहीं किया गया है।

रोजाना आते हैं, खाना खाकर लौट जाते हैं
चेकपोस्ट पर ड््यूटी देने वाले शिक्षक गिरधारी चौहान ने बताया खरगोन बड़वानी रोड पर बोबलवाड़ी फाटे पर चेकपोस्ट बनाया है यहां दोपहर 2 से रात 10 बजे तक ड्यूटी दे रहे हैं। इसके पूर्व सुबह स्कूल भी जाना पड़ रहा है। यह क्रम रोजाना जारी है। कई बार अधिकारियों को भी बताया, लेकिन कोई ड्यूटी निरस्त नहीं कर रहा। सरकारी काम है मनमानी नहीं कर सकते। शिक्षकों ने कहा- रोजाना जाते हैं। सीमा पर बैठते हैं, घर से खाना ले जाकर वहीं खा लेते हैं और शाम को लौट आते हैं।
मौखिक आदेश पर शिक्षक को सौंपी ड्यूटी, मौत
शिक्षक श्यामलाल पटेल को देशगांव चेकपोस्ट पर ड्य़ूटी दी गई। उन्हें कोई लिखित आदेश नहीं दिया। मौखिक आदेश पर ही काम सौंप दिया। पटेल ने भी जिम्मेदारी संभाल ली। कुछ समय बाद वह संक्रमित हुए और मौत हो गई। आर्थिक लाभ के लिए ड्यूटी आदेश की जरूरत है। इसके लिए परिजन दर दर भटक रहे हैं, अफसर जवाबदारी लेने को तैयार नहीं है।
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