आसमान में दिखा उल्कापिंड, दूसरे दिन हवा चली टूटकर गिरा, अफसरों ने कहा- अफवाह है
-दसनावल के वीडियो में किया गया था अवशेष का दावा, पड़ताल की तो पता चला आग लगने से जला खेत की मेढ़ पर लगा पेड़
खरगोन
Published: April 03, 2022 06:29:36 pm
खरगोन.
आसमान में शनिवार की रात एक ऐसा नजारा दिखा जिसने हर किसी को अचरज में डाल दिया। वैज्ञानिकों व विज्ञान के जानकारों ने बताया शाम करीब ७.४५ से तकरीबन ८.१५ बजे तक एक खगोलिय घटना को खरगोन सहित ग्रामीण इलाकों में लोगों ने लाइव देखा। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यह उल्कापिंड है। अगले दिन रविवार को एक वीडियो वायरल हुआ कि सेगांव के नजदीक दसनावल व जिले के अन्य इलाकों में यह टूटकर गिरा और इसके अवशेष भी मिले हैं। लेकिन एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने इसे अफवाह बताया। एसपी ने कहा- सोशल मीडिया पर वाइरल वीडियो की पड़ताल कराई है। उल्कापिंड गिरने जैसे कोई सुराग नहीं है। यह महज अफवाह है।
उधर, दसनावल के ग्रामीणों ने बताया वीडियो वायरल होने के बाद रविवार सुबह मौके पर जाकर देखा तो एक खेत की मेढ़ पर पेड़ जला हुआ था, लेकिन कोई अवशेष नजर नहीं आए है। चूंकि रात में आग लगी है तो सामान्य तौर पर यहां पेड़ कैसे जला इसके कारण अज्ञात है। रविवार को दिनभर भी उल्कापिंड के गिरने व उसके अवशेष मिलने की अफवाहें चलती रही, लेकिन अफसरों ने इसे सिरे से खारिज किया है।
वायरल वीडियो अफवाह
-जिले में उल्कापिंड के टूटकर गिरने के अवशेष नहीं मिले हैं। सोशल मीडिया पर चल रहा वीडियो अफवाह है। जिले में जलकर गिरे उल्कापिंड व उसके अवशेष मिलने जैसी की घटना की पुष्टि नहीं हुई है। -सिद्धार्थ चौधरी, एसपी खरगोन
समझें क्या था मामला
जिला मुख्यालय खरगोन पर शनिवार शाम करीब ७.४५ बजे पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर एक जलती हुई उल्का देखीगई। यह नजारा खरगोन के साथ ग्रामीण इलाकों व बड़वानी, खंडवा जिलों में भी नजर आया। यह उल्का फायर बॉल की तरह लगभग 10 मिनट तक आसमान में जलते हुए पृथ्वी की ओर आते देखी गई। विपनेट एवं सप्तऋषि संस्था में एस्टेरॉयड हटिंग प्रोग्राम में सदस्य के तौर पर कार्य कर रहे रोनाल्ड रॉस साइंस क्लब मोठापुरा के कोर्डिनेटर नरेंद्र कर्मा ने बताया यह उल्का जब पृथ्वी के वातावरण में आती है तो वह जलना शुरू हो जाती है । उल्का का इतनी देर तक आसमान में जलते हुए गिरने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें उल्का का आकार, गति, पृथ्वी के वातावरण के साथ घर्षण आदि शामिल है। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है की यदि उल्का का साइज बड़ा है तो वह देर तक जलते हुए आसमान में दिखाई देगी। जमीन पर आते आते राख हो जएगी या कुछ टुकड़ा बच सकता है। कर्मा ने बताया यह उल्का फायर बाल की तरह थी और बड़े आकार का अनुमान है। खरगोन वासियों ने भी इसे देखा है। इसे गुजरात में भी देखे जाने की खबर मिल रही है।

खरगोन. खेत की मेढ़ पर लगी आग के बाद केवल राख मिली है। आग लगने के कारण अज्ञात है।
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