जिले के किसान को रास नहीं आई पचास हजार रुपए महीने वाली जॉब, काम छोड़ खेती को अपनाया, सर्वोत्तम कृषक का सम्मान पाया
उन्नत किसान....
झारखंड में पचास हजार प्रति माह पगार वाली जॉब छोड़ी, गांव आकर जैविक खेती को अपनाया, किए प्रयोग और मिला सर्वोत्तम कृषक का जिला पुरस्कार
-ग्राम चिचली के किसान संजय शर्मा ने पांच बिघा जमीन में शत प्रतिशत किया जैविक खेती का प्रयोग, अच्छे मिले परिणाम

खरगोन.
ग्राम चिचली के संजय शर्मा झारखंड में सिविल जॉब करते हुए प्रति माह ५० हजार रुपए पगार ले रहे थे। नौकरी से मोहभंग हुआ और गांव लौटे। यहां पुस्तैनी जमीन पर जैविक खेती शुरू कर दी। बीते तीन साल में कड़ी मेहनत कर जिले में सर्वोत्तम किसान का सम्मान लेकर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
संजय शर्मा बताते है कि खेती में रासायनिक खादों के भरपूर उपयोग से लाभ भी हुआ, लेकिन अब फसलों में कई तरह बीमारियां और कीटों का प्रकोप बढऩे लगा और इसे नियंत्रित करने के लिए मुनाफे से कहीं अधिक खेती की लागत बढऩे लगी। आत्मा परियोजना के अधिकारियों ने जैविक खेती के बारे में बताया। इसके बाद ढाई एकड़ में जैविक के प्रयोग किए। पहले गन्ना फिर कपास व गेहूं के साथ जैविक उत्पादन किया।
जैविक में लागत कम मुनाफा ज्यादा
शर्मा ने बताया रासायनिक व जैविक में अंतर है। जैविक खेती करने से लागत कम हो जाती है और मुनाफा बेहतर होने लगता है। क्योंकि फसलों में गोबर खाद का उपयोग होने से भूमि की गुणवत्ता में निरंतर सुधार देखा गया। इसलिए जैविक खेती ही सर्वोत्तम खेती है। अब पूरी 36 बीघा खेती में जैविक खेती का लक्ष्य रखा है।
पुरस्कार के तौर पर मिलेंगे 50 हजार रुपए
सबमिशन ऑन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन आत्मा द्वारा प्रतिवर्ष कृषि के क्षेत्र में सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार दिए जाते हैं। वर्ष 2019.20 के राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार और सर्वोत्तम आत्मा जिला पुरस्कार 15 फरवरी को घोषित किए। इसमें खरगोन के संजय शर्मा को भी कृषि के क्षेत्र में चुना है। इस पुरस्कार में 50 हजार रुपए दिए जाएंगे।
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