मावठा गिरने से किसानों को होगी राहत, कम लगेगा यूरिया
खरगोनPublished: Dec 15, 2019 05:04:44 pm
कृषि वैज्ञानिकों का दावा : बारिश के पानी में 41 प्रतिशत नाइट्रोजन, इसलिए कम उपयोग
जिले में गेहंू की बोवनी लगभग पूरी हो चुकी है।
खरगोन. जिले में इन दिनों रबी सीजन की बोवनी लगभग पूर्णता की ओर है। किसानों ने गेहंू, चने की बुआईकर दी है। अब इसमें यूरिया का छिड़काव करने की तैयारी की जा रही है। दो दिन पूर्व जिले में हुईबारिश किसानों के लिए राहत लेकर आईहै। इस बारिश से सिंचाई नहीं करनी होगी वही यूरिया का उपयोग भी कम हो जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों का दावा हैकि मावठा गिरने से यूरिया की खपत में कमी आएगी। क्योंकि यूरिया में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और 21 प्रतिशत आक्सीजन होता है और मावठा के पानी में 41 प्रतिशत तक नाइट्रोजन होता है जोकि यूरिया की खपत को कम करेगा।
इन दिनों प्रदेश में यूरिया की किल्लत है। किसानों ने यूरिया को खेती, फसल व पौधों के लिए संजीवनी मान लिया है। पचास साल पहले एक एकड़ में 2 किलो यूरिया इस्तेमाल होता था और अब सवा सौ किलो तक इस्तेमाल हो रहा है। पौधों के लिए 16 तत्व जरूरी हैं, लेकिन किसानों ने नाइट्रोजन आधारित यूरिया ही अपनाया। पिछले कुछ सालों में यूरिया का इस्तेमाल हजारों टन बढ़ा है तो जैविक खाद का इस्तेमाल एक-दो प्रतिशत भी नहीं बढ़ा।
कैंसर व किडनी रोगी बड़े
कई गुना उत्पादन का मोह और हरित क्रांति के प्रचार-प्रसार ने यूरिया को अत्यधिक बढ़ावा दिया है। इसके बेतहाशा प्रयोग से अब उत्पादन के उत्साहवर्धक नतीजे नहीं मिल रहे हैं। बेहद अवैज्ञानिक व मनमाने ढंग से इस्तेमाल ने जमीन व स्वास्थ्य पर असर डाला है। पिछले कुछ समय में कैंसर व किडनी रोगी बड़े हैं।
कुप्रबंधन ने बिगाड़े हालात
यूरिया का इस्तेमाल मसाला, औषधीय फसलों में भी जमकर हो रहा है। उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने बताया समस्या यूरिया में नहीं है, इसके कुप्रबंधन में है। यूरिया के इस्तेमाल से पत्तियां ज्यादा हरी हो जाती हैं। इससे कीटों का अटैक बढ़ता है। इसके बाद किसान कीटनाशक का छिड़काव करता है। इस तरह खेती की लागत दोगुनी हो जाती है।
यूरिया का दुष्प्रभाव किस पर क्याजमीन पर :यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल से धरती बांझ हो रही है और पेयजल स्रोत दूषित हो रहे हैं।पौधों पर :इससे टहनियां बढ़ जाती हैं और फल व फूल नहीं आते हैं। इससे उत्पादन पर असर होता है।शरीर पर :अनाज के माध्यम से शरीर में पहुंचकर कैंसर, किडनी, त्वचा रोग और एसिडिटी बढ़ाता है।पर्यावरण पर :यूरिया हवा के साथ उड़ता है। इसमें गैस होती है। आबोहवा के लिए नुकसानदायक है।