कुल मतदाता-२०९८५८
पुरुष-१०७४०२
महिला-१०२४५०
दूसरी बार विधायक बनने की होड़
क्या कहता है सीट का गणित:-कसरावद विधानसभा कांग्रेस का गढ़ मानती जाती है। २००८ में आत्माराम पटेल स्व. सुभाष यादव को हराकर कांग्रेस के किले को भेदने में सफल रहे थे। २०१३ में सचिन यादव ने पटेल को हराया। इस चुनाव भाजपा ने तीसर बार पटेल को मौका दिया है। वहीं उनका सामना एक बार फिर युवा सचिन यादव से है। ऐसे में यहां दूसरी बार विधायक बनने की जंग बेहद रोचक होगी।
महेश्वर विधानसभा
कुल मतदाता-२०८१२५
पुरुष-१०५७३३
महिला-१०२३९१
भाजपा-कांग्रेस और निर्दलीय में फंसा पेंच
क्या कहता है सीट का गणित:-महेश्वर में लंबे समय कांग्रेस का दबदबा रहा है, खासकर साधौ परिवार का। इस बार भाजपा के भूपेंद्र आर्य, कांग्रेस की विजयलक्ष्मी साधौ साथ निर्दलीय राजकुमार मेव के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। इसलिए इस सीट पर बाजी कौन मारेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। भाजपा के बागी होकर मैदान में उतरे राजकुमार मेव को आखिरी समय तक पार्टी मनाने में नाकाम रही। जनता की खामोशी में ही उम्मीदवारों के किस्मत का राज छुपा है। तीन की लड़ाई में जीत किसी एक मिलना तय है, किंतु यहां से जो भी हारता है, उसे राजनीति प्रतिष्ठा खोने के साथ नुकसान उठाने का डर रहेगा।
कुल मतदाता-२०८८६७
पुरुष-१०७६४५
महिला-१०१२२१
चुनाव दाव-पेंच में मुद्दे गायब
क्या कहता है सीट का गणित:-औद्योगिक क्षेत्र की दृष्टि से बड़वाह विधानसभा अलग महत्व रखती है। इस सीट पर २००३ से २०१३ तक भाजपा प्रत्याशी हितेंद्रसिंह सोलंकी चुनाव जीतते आ रहे हैं। पार्टी ने उन्हें चौथी बार मौका दिया है। यहां भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने युवा चेहरे के रूप में सचिन बिरला को मैदान में उतारा है। बिरला पिछला चुनाव निर्दलीय लड़कर दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार दोनों के बीच मुकाबला कांटे का है। हालांकि चुनावी दांव-पेंच के बीच स्थानीय मुद्दें पूरी तरह गायब है।
भीकनगांव विधानसभा
कुल मतदाता-२१३५९१
पुरुष-१०९०८३
महिला-१०४५०७
वर्चस्व की लड़ाई
क्या कहता है सीट का गणित:-भीकनगांव विधानसभा की राजनीति भीकनगांव और झिरन्या ब्लॉक में बटी है। यहां २००३ और २००८ में भाजपा के धूलसिंह डावर विधायक चुने गए थे। २०१३ में पार्टी ने डावर का टिकट काटकर नंद्रा ब्राह्मणे को उम्मीदवार बनाया था, जो कांग्रेस की झूमा सोलंकी के सामने हार गई थी। इस बार कांग्रेस से एक बार फिर झूमा सोलंकी चुनाव लड़ रही है, तो भाजपा ने पुराने चेहरे के रूप में धूलसिंह डावर को दोहराया है। दोनोंं में से कोई चुनाव नहीं हारा। इसलिए यह चुनाव भाजपा-कांग्रेस के बीच वर्चस्व की लड़ाई साबित होगा।
कुल मतदाता-२१३५९१
पुरुष-१०९०८३
महिला-१०४५०७
चुनाव नहीं, सम्मान की लड़ाई
क्या कहता है सीट का गणित:-आदिवासी क्षेत्र भगवानपुरा विधानसभा में सबसे ज्यादा २ लाख २१ हजार ७०३ मतदाता है। भाजपा के जमनासिंह सोलंकी, कांग्रेस विजयसिंह सोलंकी और निर्दलीय प्रत्याशी केदार डावर के बीच चुनाव मुकाबला है। राजनीति दृष्टि ये यह चुनाव भले ही पार्टियों के बीच हो रहे हैं, लेकिन तीनों ही प्रत्याशी अपने-अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं।