हादसे में 8गंभीर घायलों जिला स्पताल रैफर किया गया। इनमें शांतिलाल खेड़ेकर (42), कन्हैयालाल विश्वकर्मा (45), श्यामानंद श्रीवास्तव (40), सुरेश गुप्ता (45), राजकुमार दुबे (40), प्रेमलाल जायसवाल (43), सुभाष ढोले (45), ओमप्रकाश मालाकार (45) शामिल हैं।
श्रमिकों ने बताया शनिवार को श्रम विभाग व कलेक्टर कार्यालय में साफ सफाई कर ज्ञापन देने का प्लान था। इसके लिए सभी श्रमिक वाहन से जिला मुख्यालय जा रहे थे। तभी ग्राम छोटी कसरवद के समीप सागर ढाबे के सामने वाहन अचानक पलटी खा गया। अन्य घायल अशोक फटाकड़े, जितेंद्र पटेल, सुनील मालाकार, सूर्या भारद्वाज, चंद्रशेखर बंसोड़, दिनेश सिंग, रामकरन पटेल, ओमप्रकाश राजपूत, शुभाष सिंग शिवकुमार राठौड़, सकुमार फौजी आदि का इलाज कसरावद में ही हुआ। अन्य घायलों को धामनोद भी पहुंचाया है।
जिले के औद्योगिक क्षेत्र सत्राटी में संचालित सेंंचुरी यार्न प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ श्रमिक पिछले करीब डेढ़ साल से सत्यागृह आंदोलन कर रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में सैकड़ों श्रमिकों ने परिवार के साथ खरगोन में धरना दिया था। श्रम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
श्रमिकों के अनुसार सेंचुरी में 2017 से मिल के अंदर प्रोड्क्शन बंद है। जिससे वर्षों से काम कर रहे श्रमिकों की रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। 17 अक्टूबर 2017 से श्रमिकों द्वारा मिल को फिर से चालू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन प्रबंधन ने कंपनी को चालू नहीं किया। श्रमिक जनता संघ के बैनर तले मजदूर, मिल प्रबंधन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
मील में 933 श्रमिक हैं। अचानक मिल बंद होने से सैकड़ों परिवार बेरोजगार हो गए हैं। श्रमिकों ने अपने अधिकारों के लिए श्रम विभाग और न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद कोर्ट ने मजदूरों को वेतन और रोजगार देने के आदेश दिए गए, लेकिन कंपनी ने सिर्फ वेतन दिया, काम नहीं। श्रमिकों का कहना है कि हमें मुफ्त का पैसा नहीं, बल्कि काम चाहिए।