कॉलेज में स्नातक कक्षा की 1300 सीटों पर प्रवेश के लिए 3 हजार से अधिक आवेदन आएं। पहले चरण में हर स्ट्रीम का कट-ऑफ 70 फीसदी से अधिक रहा। सूत्रों के अनुसार सैकड़ों विद्यार्थीयोजना के लिए पात्र थे, लेकिन विद्यार्थियों ने एडमिशन फीस जमा करना फायदेमंद समझा। इस साल अब तक महज 53 विद्यार्थी ही योजना का लाभ लेने आगे आएं। इसमें अधिकांश पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति के अपात्र है।
स्नातक कक्षा की प्रथम वर्ष के एससी-एसटी वर्ग के विद्यार्थियों को बीए-बीकॉम का वार्षिक शुल्क 1155 से 6 555 रुपए, बीएससी स्ट्रीम में 1275 से 10, 275 रुपए शिक्षण शुल्क जमा कराना पड़ता है। वहीं विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में मासिक औसतन 300 रुपए का लाभ मिलता है। इसके साथ ही प्रवेश और परीक्षा शुल्क भी वापस मिल जाता है। ऐसे में विद्यार्थी छात्रवृत्ति लेना फायदेमंद समझ रहे है।
योजना से इंकार करने वाले मेधावी विद्यार्थियों ने बताया कि महज शिक्षण शुल्क माफी का लाभ लेने पर गांव की बेटी और आवास योजना का लाभ के लिए अपात्र कर दिया है। गांव की बेटी योजना में गांव के सरकारी स्कूल से 12 वीं पढऩे वाली छात्राओं को 5 हजार रुपए वार्षिक छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, वहीं आवास योजना के तहत एसटी-एससी वर्ग के विद्यार्थियों को किराए के घर में रहने के लिए करीब 15 हजार रुपए सालाना मिलते है।
सरकार ने इस साल असंगठित कर्मकार मंडल के पंजीकृत श्रमिकों की संतानों से कॉलेज की पढ़ाईके लिए महज एक रुपए शिक्षण शुल्क वसूला जा रहा है। इस योजना के पात्र विद्यार्थी भी छात्रवृत्ति को लेकर असमंजस में है। विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षण शुल्क नहीं जमा कराने पर अगर छात्रवृत्ति से वंचित कर दिया गया तो यह घाटे का सौदा साबित होगा। कॉलेज के पूछताछ केंद्र पर भी विद्यार्थी यह परेशानी लेकर पहुंच रहे है।
– डॉ. आरएस देवड़ा, प्राचार्य, पीजी कॉलेज खरगोन।