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जिले में 168 बच्चे अनाथ, किसी ने खोई मां, किसी के सिर से उठा पिता साया

locationखरगोनPublished: Jun 10, 2021 08:57:52 pm

Submitted by:

Gopal Joshi

कोरोना ने छीने माता-पिता…-शासन उठाएगा इन बच्चों की परवरिश का जिम्मा, प्रति बच्चा दो-दो हजार रुपए प्रति माह 18 वर्ष तक मिलेंगे, जिन बच्चों ने माता-पिता दोनों को खोया उन्हें पांच-पांच हजा रुपए की सहायता प्रति माह दी जाएगी-जिले में अब तक महज दो बच्चों के प्रकरण हुए स्वीकृत, सर्वे जारी, बढ़ सकती है अनाथ बच्चों की संख्या

Corona snatched parents

जिले में 168 बच्चे ऐसे हैं जो अब अनाथ हो गए हैं।

खरगोन.
कोरोना महामारी कई परिवारों को ले डूबी। जिन बच्चों ने अभी ठीक से बोलना भी नहीं सीखा, अपने पैरों पर चलना नहीं सीखा वह अनाथ हो गए। किसी ने मां को खोया तो किसी के सिर से पिता का साया छूट गया। कोरोना के चलते जिले में 168 बच्चे ऐसे हैं जो अब अनाथ हो गए हैं। कोई महज चार माह का है तो कोई 8 माह का। जहां मां चल बसी वहां पिता के कंधों पर बच्चों की परवरिश का जिम्मा है और जहां पिता का साथ छूटा वहां अब मां बच्चों को जीवन का ककहरा सीखाएगी। जिले में अनाथ हुए बच्चों का सर्वे जारी है। संख्या बढ़ेगी। फिलहाल इन बच्चों के पालन-पोषण का जिम्मा शासन ने लिया है। गुरुवार को ऐसे प्रभावित बच्चों की परवरिश पर अफसरों ने मंथन किया।
नवीन कलेक्टोरेट भवन में हुई बैठक के दौरान कोरोना काल में जिन नागरिकों की मृत्यु हुई है उनके बच्चों के पालन.पोषण तथा मप्र शासन द्वारा लागू की गई योजनाओं से आर्थिक मदद देने पर मंथन हुआ। कलेक्टर अनुग्रहा पी. ने कहा ऐसे बच्चों के माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु होने पर सीएसआर फंड से प्रति बच्चा 2-2 हजार रुपए प्रतिमाह 18 वर्ष तक दिए जाएंगे। वहीं ऐसे बच्चे जिनके माता और पिता दोनों की कोविड के दौरान मृत्यु हुई है उनको प्रति माह 5-5 हजार रुपए बालिक होने तक या शिक्षा पूरी होने (24 वर्ष) तक पेंशन देंगे। ऐसे बच्चे जिनके माता या पिता में से किसी एक मृत्यु हुई है उनका सर्वे कराया जा रहा है। अब तक जिले में ऐसे बच्चे 168 है। इनकी मदद के लिए अब तक प्रशासनिक स्तर प्रस्ताव भेजे हैं। जिले में फिलहाल दो बच्चों के प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं। बाकी प्रस्ताव की प्रक्रिया जारी है।
इन्होंने अभी दुनिया भी नहीं देखी और उठ गया माता-पिता का साया
18 माह की बेटी ने खोई मां
कोरोनाकाल में कई बच्चे ऐसे भी हैं जो अबोध हैं और सिर से अभिभावकों का साया उठ गया। पथराड़ की रहने वाले रुचिका अग्रवाल की मौत कोरोना से २३ अप्रैल को हुई। उनकी १८ माह की बेटी अर्चिका है। पिता अंकित के कंधों पर बेटी की परवरिश का जिम्मा है।
चार माह की बेटी के सिर से उठा पिता का साया
चार माह की बेटी चहेती ने भी अपने पिता को कोरोनाकाल में खोया है। पिता की मौत २६ अप्रैल को कोरोना के चलते हो गई। अब मां ही बेटी को पिता का प्यार देकर उसे जीवन-जीने का ककहरा सिखाएंगी। ऐसे और भी कई बच्चे हैं जिन्होंने-माता-पिता दोनों को खाया है।
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