किसानों ने बताया कि उनके द्वारा बाजार से महंगा खाद-बीज खरीद कर फसल बोई थी। प्रति बीघा लगभग 10 हजार रुपए खर्च हुए, फसलों की हालत देखने के बाद लगता नहीं कि इस बार लागत मूल्य भी वापस मिल जाए। खाने-पीने के साथ हर चीजें पर महंगाई का असर है, तो कपास के भाव पिछले एक दशक में सबसे कम रहे। अधिकांश किसानों का माल दो हजार रु. से कम भाव में बिका।
इस वर्ष लगातार बारिश से कपास सहित खरीफ की सभी फसलों को नुकसान हुआ है। जिसे व्यापार भी प्रभावित हुआ है। पिछले साल इसी अवधि में मंडी बंपर आवक हुई थी। गतवर्ष सितंबर में 85 हजार क्विंटल कपास की आवक हुई थी। वहीं इस वर्ष फसल खराब होने से आवक कम होने की संभावना है।
लंबे इंतजार के बाद मंडी खुलने से खरगोन सहित दूरदराज के किसान उपज लेकर पहुंचे थे। देवीलाल मुरारिया निवासी बडग़ांव को 2080 रु. प्रति क्विंटल का भाव मिला। कांग्रेस नेता व कृषक शिव तिवारी की 5 क्विंटल उपज 1215 रु. के भाव में बिकी। संदीप चौहान को 1805 रु. का भाव मिला। कई किसान रेट से संतुष्ट नहीं थे। गांव से खरगोन तक आने का 1500 रु. भाड़ा जेब से चुकाया।
&खेतों में बुआई से लेकर खाद, बीज और कीटनाशक छिड़काव में प्रति बीघा 10 से 15 हजार रुपए खर्च हुए हैं। बारिश से पूरी फसल सड़कर खराब हो गई। ऐसे में जो खर्च लगा है, वह भी नहीं मिलेगा।
संदीप चौहान, निवासी बोरगांव
&छह बीघा में कपास की फसल बोई है। लगातार बारिश में आधी फसल डूब गई। बड़ी मुश्किल से 8 क्विंटल कपास निकला है। जिसे सूखाकर मंडी लाए, तो 1400 रुपए का भाव मिला। 10 रुपए प्रति किलो खर्च लगा है। उपज बेचकर वापस घर जा रहे हैं।
महेश सुरागे, निवासी उमरखली
&बारिश में आठ बीघा की फसल चौपट हो गई। बारिश आगे भी नहीं रूकी, तो हम पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। किसानों की पीड़ा देखने और सुनने वाले जिम्मेदार भी सुध नहीं ले रहे हैं।
गोपाल बर्फा, निवासी सुरपाला