script15 दिन बाद खुली मंडी, नमी के कारण 1400 के भाव में बिका सफेद सोना | Cotton market in khargone | Patrika News

15 दिन बाद खुली मंडी, नमी के कारण 1400 के भाव में बिका सफेद सोना

locationखरगोनPublished: Sep 26, 2019 07:18:23 pm

Submitted by:

Jay Sharma

अन्नदाता की परेशानी… कपास के कम भाव मिलने से उदास दिखे किसानकिसान बोले- प्रकृति ने किया बर्बाद, मुनाफा तो दूर लागत निकला भी होगी मुश्किल, कई माल लेकर वापस घर लौटे

Cotton market in khargone

Cotton market in khargone

खरगोन. चार महीने तक खेतों में पसीना बहाकर फसल तैयार की। इस उम्मीद में अच्छा उत्पादन होगा और उचित दाम मिलेंगे, लेकिन आसमान से बरसी आफत ने किसानों के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। निमाड़ अंचल में कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। इसके बाद कुछ मात्रा में कपास निकला भी है, तो उसके बाजार में ठीक से दाम नहीं मिल रहे हैं। बुधवार को शहर के आनंद नगर स्थित कपास मंडी में किसान उपज लेकर पहुंचे, तो नमी के कारण उन्हें उपज का सही मौल नहीं मिला। कई किसान उपज सुखाकर लाए थे। इसके बावजूद भाव नहीं मिले।
1200 से 1400 रुपए के न्यूनतम रेट होने से कई किसानों ने माल बेचा नहीं और मायूस होकर घर लौट गए। किसानों का कहना है कि प्रकृति के हाथों लुटकर बर्बाद हो गए। ऐसी हालत में मुनाफा तो दूर लागत मूल्य भी निकला मुश्किल होगा। उल्लेखनीय है कि बुधवार को कपास मंडी पूरे 15 दिनों बाद खुली। जिसके चलते कई किसान बैलगाड़ी और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में कपास लेकर बेचने के लिए मंडी आए। नमी के कारण भाव कम रहे और इससे उनके चेहरों पर उदासी देखी गई।
एक दशक में सबसे कम भाव
किसानों ने बताया कि उनके द्वारा बाजार से महंगा खाद-बीज खरीद कर फसल बोई थी। प्रति बीघा लगभग 10 हजार रुपए खर्च हुए, फसलों की हालत देखने के बाद लगता नहीं कि इस बार लागत मूल्य भी वापस मिल जाए। खाने-पीने के साथ हर चीजें पर महंगाई का असर है, तो कपास के भाव पिछले एक दशक में सबसे कम रहे। अधिकांश किसानों का माल दो हजार रु. से कम भाव में बिका।
पिछले साल 85 हजार क्विंटल की हुई थी आवक
इस वर्ष लगातार बारिश से कपास सहित खरीफ की सभी फसलों को नुकसान हुआ है। जिसे व्यापार भी प्रभावित हुआ है। पिछले साल इसी अवधि में मंडी बंपर आवक हुई थी। गतवर्ष सितंबर में 85 हजार क्विंटल कपास की आवक हुई थी। वहीं इस वर्ष फसल खराब होने से आवक कम होने की संभावना है।
जेब से चुकाया 1500 रु. का भाड़ा
लंबे इंतजार के बाद मंडी खुलने से खरगोन सहित दूरदराज के किसान उपज लेकर पहुंचे थे। देवीलाल मुरारिया निवासी बडग़ांव को 2080 रु. प्रति क्विंटल का भाव मिला। कांग्रेस नेता व कृषक शिव तिवारी की 5 क्विंटल उपज 1215 रु. के भाव में बिकी। संदीप चौहान को 1805 रु. का भाव मिला। कई किसान रेट से संतुष्ट नहीं थे। गांव से खरगोन तक आने का 1500 रु. भाड़ा जेब से चुकाया।
10 से 15 हजार खर्च
&खेतों में बुआई से लेकर खाद, बीज और कीटनाशक छिड़काव में प्रति बीघा 10 से 15 हजार रुपए खर्च हुए हैं। बारिश से पूरी फसल सड़कर खराब हो गई। ऐसे में जो खर्च लगा है, वह भी नहीं मिलेगा।
संदीप चौहान, निवासी बोरगांव
हम तो बर्बाद हो गए
&छह बीघा में कपास की फसल बोई है। लगातार बारिश में आधी फसल डूब गई। बड़ी मुश्किल से 8 क्विंटल कपास निकला है। जिसे सूखाकर मंडी लाए, तो 1400 रुपए का भाव मिला। 10 रुपए प्रति किलो खर्च लगा है। उपज बेचकर वापस घर जा रहे हैं।
महेश सुरागे, निवासी उमरखली
8 बीघा फसल चौपट
&बारिश में आठ बीघा की फसल चौपट हो गई। बारिश आगे भी नहीं रूकी, तो हम पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। किसानों की पीड़ा देखने और सुनने वाले जिम्मेदार भी सुध नहीं ले रहे हैं।
गोपाल बर्फा, निवासी सुरपाला

ट्रेंडिंग वीडियो