किसानों ने बताया ३१ जुलाई को बीमा की प्रीमियम काट ली गई। लेकिन पटवारी व कृषि विभाग के अफसर अगस्त और सितंबर में सर्वे कर रहे हैं। इसमें वह पता लगा रहे हैं कि कौन से किसान ने कौन सी फसल बोई है। जब बीमे के नाम पर प्रीमियम पहले ली है और सर्वे बाद में हुआ है तो ऐसी स्थिति में बीमा का लाभ मिलना संभव नहीं लगता। इसलिए किसानों ने मुआवजे की मांग की है।
किसानों ने चेतावनी के लहजे में कहां राज्य की कमलनाथ सरकार व केंद्र की मोदी सरकार दोनों कान खोलकर सुन लें। यदि हमारे साथ न्याय नहीं होता है तो किसान सड़क पर उतरेगा। चक्काजाम, आंदोलन करेगा। अब उसके पास खोने को कुछ नहीं। फसलें खराब हो गई हैं। आमदनी तो दूर की बात लागत भी नहीं मिलेगी।
किसानों ने कहा- सरकार ने किसानों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, लेकिन इस नंबर पर फोन ही नहीं लग रहा। हजारों बार अलग-अलग नंबरों से फोन लगाए, कोई प्रतिक्रिया नहीं। किसानों ने अफसरों से निवेदन किया कि सही मायनों में सर्वे कर बीमा राशि व मुआवजा दिलाया जाए।
-फसल ऋण में दर्शाई गई फसल एवं वास्तविक फसल में अंतर है।
-अऋणी किसान बीमा नहीं करवा पाए, जबकि फसलें उनकी भी खराब है।
-सोसायटी से पता चला इस बार कम भूमि का ही बीमा किया गया है।