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प्रदेश में यहां के किसानों ने कहा- ढंूढने पर भगवान मिल जाए पर फसलों के सर्वे के लिए ढंूढे नहीं मिल रहे पटवारी

locationखरगोनPublished: Sep 20, 2019 11:49:10 am

Submitted by:

Gopal Joshi

-खराब फसल लेकर आए किसानों ने लगाया नारा, जय जवान- जय किसान, है परेशान-है परेशान -खराब फसलों का नहीं हो रहा सर्वे, किसानों ने कहा- फसल कपास की और बीमा मिर्च का किया है, अब बीमा नहीं मुआवजा चाहिए
 

Crops are bad, farmers in trouble

खरगोन. मिर्च के खराब पौधे को देखते अफसर।

खरगोन.
जय जवान-जय किसान, है परेशान-है परेशान। गुरुवार को इस अंजाद में गोगांवा ब्लॉक के ग्राम देवली के किसान नारेबाजी करते कलेक्टोरेट पहुंचे। किसानों ने यहां अफसरों को अपना दुखड़ा सुनाया। ट्रैक्टर में खराब फसल लेकर आए करीब १०० किसानों ने पहले तो कलेक्टोरेट में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद फसल बीमा व मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। उनके हाथों में मक्का, कपास, मिर्च की खराब फसलों के डंठन थे। कपास के काले डेंडू (घेटे), इल्ली वाले भुट्टे व वाइरस लगे मिर्च के पौधे दिखाकर किसानों ने कहा- हमारी किस्मत फूट गई है। क्या खाएं, क्या कमाएं। अब आस फसल बीमा व मुआवजे से हैं। लेकिन सर्वे नहीं हो रहा। अफसर कहते हैं पटवारी आएंगे। लेकिन उनका अता-पता नहीं है। ढंूढने पर भगवान मिल जाए लेकिन पटवारी नहीं मिल रहे। कहां जाएं, क्या करें।
गांव के बलवंतसिंह, चंदर, कैलाशसिंह, चैनसिंह प्रहलादसिंह, हरेसिंह, अशोक गेहलोत, नारायणसिंह ने कहा- बोवनी से पहले बीमा के नाम पर प्रीमियम काटी। लेकिन किस फसल पर प्रीमिमय ली वह नहीं बताया। अब जिन किसानों ने कपास लगाया है उनका सोयाबीन का बीमा और जिन्होंने मक्का लगाया है उनका मिर्च का बीमा काटा है। ऐसे में गफलत हो गई है। सही मायनों में जो फसलें किसानों ने लगाई है उसका बीमा हुआ ही नहीं है। किसान दुलेसिंह, भारतसिंह, राधेश्याम ने बताया हर साल बीमा कंपनी प्रीमियम काटती है, लेकिन उसका लाभ नहीं मिलता। इस बार भी ऐसी ही नौबत आएगी। इसलिए हम बीमे के साथ मुआवजे की मांग भी करते हैं।
इसलिए बीमे को लेकर किसानों में संशय
किसानों ने बताया ३१ जुलाई को बीमा की प्रीमियम काट ली गई। लेकिन पटवारी व कृषि विभाग के अफसर अगस्त और सितंबर में सर्वे कर रहे हैं। इसमें वह पता लगा रहे हैं कि कौन से किसान ने कौन सी फसल बोई है। जब बीमे के नाम पर प्रीमियम पहले ली है और सर्वे बाद में हुआ है तो ऐसी स्थिति में बीमा का लाभ मिलना संभव नहीं लगता। इसलिए किसानों ने मुआवजे की मांग की है।
कान खोलकर सुने दोनों सरकार, करें न्याय, नहीं तो करेंगे चक्काजाम
किसानों ने चेतावनी के लहजे में कहां राज्य की कमलनाथ सरकार व केंद्र की मोदी सरकार दोनों कान खोलकर सुन लें। यदि हमारे साथ न्याय नहीं होता है तो किसान सड़क पर उतरेगा। चक्काजाम, आंदोलन करेगा। अब उसके पास खोने को कुछ नहीं। फसलें खराब हो गई हैं। आमदनी तो दूर की बात लागत भी नहीं मिलेगी।
हेल्पलाइन नंबर पर नहीं लगता फोन
किसानों ने कहा- सरकार ने किसानों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, लेकिन इस नंबर पर फोन ही नहीं लग रहा। हजारों बार अलग-अलग नंबरों से फोन लगाए, कोई प्रतिक्रिया नहीं। किसानों ने अफसरों से निवेदन किया कि सही मायनों में सर्वे कर बीमा राशि व मुआवजा दिलाया जाए।
किसानों ने गिनाई समस्याएं
-फसल ऋण में दर्शाई गई फसल एवं वास्तविक फसल में अंतर है।
-अऋणी किसान बीमा नहीं करवा पाए, जबकि फसलें उनकी भी खराब है।
-सोसायटी से पता चला इस बार कम भूमि का ही बीमा किया गया है।

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