पहली बार दंगे की वजह से लंबे अंतराल तक बंद रही मंडी
व्यापारियों ने बताया शहर इसके पहले ही दंगों की आग में झुलसा है, लेकिन इतना लंबा कफ्र्यू कभी नहीं लगा। इससे अप्रैल माह में मंडी नियमित रूप से संचालित नहीं हो पाई। असर यह रहा कि 2 लाख क्विंटल उपज (गेहंू, चना, सोयाबीन, मक्का आदि) मंडी तक नहीं पहुंंचा।
व्यापारियों ने बताया शहर इसके पहले ही दंगों की आग में झुलसा है, लेकिन इतना लंबा कफ्र्यू कभी नहीं लगा। इससे अप्रैल माह में मंडी नियमित रूप से संचालित नहीं हो पाई। असर यह रहा कि 2 लाख क्विंटल उपज (गेहंू, चना, सोयाबीन, मक्का आदि) मंडी तक नहीं पहुंंचा।
50 लाख से ज्यादा मंडी शुल्क का घाटा
अभी गेहूं, चने का सीजन चल रहा है। सामान्य दिनों में 15 हजार से ज्यादा की उपज रोजाना मंडी तक पहुंच रही थी। इससे मिलने वाला मंडी शुल्क भी छिटक गया। अप्रैल में जितने दिन मंडी बंद रही उसमें 50 लाख रुपए से ज्यादा मंडी शुल्क का घाटा हुआ। इसके अलावा गेहंू का निर्यात भी रुका है। इससे व्यापारियों को नुकसान हुआ है।
अभी गेहूं, चने का सीजन चल रहा है। सामान्य दिनों में 15 हजार से ज्यादा की उपज रोजाना मंडी तक पहुंच रही थी। इससे मिलने वाला मंडी शुल्क भी छिटक गया। अप्रैल में जितने दिन मंडी बंद रही उसमें 50 लाख रुपए से ज्यादा मंडी शुल्क का घाटा हुआ। इसके अलावा गेहंू का निर्यात भी रुका है। इससे व्यापारियों को नुकसान हुआ है।
20 हजार क्विंटल रोजाना थी आवक
मंडी सचिव केडी अग्निहोत्री ने बताया अनाज व कपास मंडी में मिलाकर रोजाना 20 हजार क्विंटल उपज लेकर किसान सामान्य दिनों में आते हैं। कफ्र्यू के कारण यह आवक अन्य मंडियों व शहरों में डायवर्ट हो गई। इससे मंडी का कारोबार बाधित हुआ है। इसकी भरपाई करना बड़ी चुनौती होगा। अनाज व कपास मंडी में 1.70 प्रतिशत शुल्क लगता है। इस हिसाब से जिनते दिन मंडियां बंद रही है नुकसान बड़ा हो चुका है।
मंडी सचिव केडी अग्निहोत्री ने बताया अनाज व कपास मंडी में मिलाकर रोजाना 20 हजार क्विंटल उपज लेकर किसान सामान्य दिनों में आते हैं। कफ्र्यू के कारण यह आवक अन्य मंडियों व शहरों में डायवर्ट हो गई। इससे मंडी का कारोबार बाधित हुआ है। इसकी भरपाई करना बड़ी चुनौती होगा। अनाज व कपास मंडी में 1.70 प्रतिशत शुल्क लगता है। इस हिसाब से जिनते दिन मंडियां बंद रही है नुकसान बड़ा हो चुका है।
अप्रैल में इस तरह खुली मंडियां
-01 से 8 अप्रैल तक अवकाश छोड़ मंडी खुली।
-10 अप्रैल को उपद्रव के बाद कफ्र्यू लगा।
-24 अप्रैल तक मंडियां पूरी तरह बंद रहीं।
-25 से 30 अप्रैल से ढील अवधि में मंडियां खुली।
-एक मई से 3 मई तक मंडी फिर बंद रही।
-01 से 8 अप्रैल तक अवकाश छोड़ मंडी खुली।
-10 अप्रैल को उपद्रव के बाद कफ्र्यू लगा।
-24 अप्रैल तक मंडियां पूरी तरह बंद रहीं।
-25 से 30 अप्रैल से ढील अवधि में मंडियां खुली।
-एक मई से 3 मई तक मंडी फिर बंद रही।
कफ्र्यू के कारण मंडियों से जुड़े किस वर्ग को क्या परेशानी
व्यापारी वर्ग : व्यापारी बाबू जैन ने बताया अप्रैल में सामान्य दिनों के दौरान जो उपज खरीदी, कफ्र्यू लगने के बाद उसका ट्रांसपोर्ट नहीं कर पाए। अब उपज को सुरक्षित रखना व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती है। अभी भी हालात यह है कि १० वाहन बुकिंग कराने पर तीन ही मिल रहे हैं। ऐसे में खरीदी गई उपज की क्वालिटी बिगड़ रही है।
किसान वर्ग : किसान पप्पू यादव, जगदीश पाटीदार ने क$फ्र्यू के कारण ए-क्लास मंडी तक उपज लेकर नहीं जा पाए। अन्य शहरों व कस्बों में खुले तौर पर उपज कम दाम पर बिकी। इससे नकद उपज का सही भुगतान नहीं मिला। गर्मी सीजन की बोवनी माथे पर है, ऐसे मेंं हाथ तंग रहेगा।
हम्माल वर्ग : हम्माल गब्बू, लाला व मोनू ने बताया रोजाना मंडी में हम्माली से जो मजदूरी मिलती है उससे परिवार चलाते हैं। इस माह मंडी ही बंद रही तो काम भी नहीं मिला। ऐसे में घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। मंडियों में रोजाना ५०० से ७०० तक का काम हो जाता है। अभी वह नहीं मिल रहा।
व्यापारी वर्ग : व्यापारी बाबू जैन ने बताया अप्रैल में सामान्य दिनों के दौरान जो उपज खरीदी, कफ्र्यू लगने के बाद उसका ट्रांसपोर्ट नहीं कर पाए। अब उपज को सुरक्षित रखना व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती है। अभी भी हालात यह है कि १० वाहन बुकिंग कराने पर तीन ही मिल रहे हैं। ऐसे में खरीदी गई उपज की क्वालिटी बिगड़ रही है।
किसान वर्ग : किसान पप्पू यादव, जगदीश पाटीदार ने क$फ्र्यू के कारण ए-क्लास मंडी तक उपज लेकर नहीं जा पाए। अन्य शहरों व कस्बों में खुले तौर पर उपज कम दाम पर बिकी। इससे नकद उपज का सही भुगतान नहीं मिला। गर्मी सीजन की बोवनी माथे पर है, ऐसे मेंं हाथ तंग रहेगा।
हम्माल वर्ग : हम्माल गब्बू, लाला व मोनू ने बताया रोजाना मंडी में हम्माली से जो मजदूरी मिलती है उससे परिवार चलाते हैं। इस माह मंडी ही बंद रही तो काम भी नहीं मिला। ऐसे में घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। मंडियों में रोजाना ५०० से ७०० तक का काम हो जाता है। अभी वह नहीं मिल रहा।
वर्जन...
धीरे-धीरे सुधर रही हैं व्यवस्थाएं
-कफ्यऱ्ू के कारण मंडियां लंबे समय तक बंद रही है। अब ढील अवधि के साथ नीलामी भी हो रही है। धीरे-धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर लौट रही है। -केडी अग्निहोत्री, मंडी सचिव, खरगोन
धीरे-धीरे सुधर रही हैं व्यवस्थाएं
-कफ्यऱ्ू के कारण मंडियां लंबे समय तक बंद रही है। अब ढील अवधि के साथ नीलामी भी हो रही है। धीरे-धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर लौट रही है। -केडी अग्निहोत्री, मंडी सचिव, खरगोन