यह था मामला
अधिवक्ता जोशी ने बताया कि बच्ची को 30 जुलाई 2016 को सुबह साढ़े 7 बजे बुखार आने पर शासकीय चिकित्सालय सनावद ले जाया गया, जहां चिकित्सक के उपस्थित नहीं होने कारण शासकीय चिकिसक डॉ. यशवंत मालगे के व्यक्तिगत क्लीनिक पर ले जाया गया। जहां डॉ. मालगे ने चेकअप करने के बाद शासकीय चिकित्सालय लेकर आने को कहा और 100 रुपए फीस भी ली। बच्ची को चाइल्ड वार्ड में भर्ती किया। जहां उसे स्लाइन के साथ चार इंजेक्शन दिए गए। कुछ देर बाद बच्ची की हालत बिगडऩे पर डॉ. मालगे ने बच्ची को दादा दरबार अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन वहां से बच्ची को इंदौर रेफर कर दिया। इंदौर के नोबल अस्पताल में बच्ची का 20 दिनों तक इलाज चला। इसके बाद बच्ची स्वस्थ हुई।