scriptसालभर में दस लाख का घाटा, संकट में आई ‘मामा की थालीÓ | Deendayal Antyodaya kitchen yojna news | Patrika News

सालभर में दस लाख का घाटा, संकट में आई ‘मामा की थालीÓ

locationखरगोनPublished: Apr 10, 2018 02:11:30 pm

दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना की टेंडर प्रक्रिया में नहीं आए आवेदक

    नरसिंहपुर। गरीब और जरूरतमंद लोगों को 5 में भरपेट भोजन कराने की दीनदयाल रसोई के आर्थिक संकट के चलते अब बंद होने की नौबत आ गई है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में जो संस्था इसे चला रही है वह करीब 9 लाख ५० हजार रुपए का घाटा उठा चुकी है और अब उसने इसे चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। दूसरी ओर इस रसोई को चलाने के लिए समाजसेवी और परोपकारी लोग सामने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कलेक्टर ने जिले के सभी प्रमुख अधिकारियों को रसीद कट्टे थमा दिए हैं ताकि लोगों से आर्थिक योगदान लेकर इस रसोई को संचालित किया जा सके।   जिले में 8 अप्रैल 2017 को दीनदयाल रसोई  की शुरुआत की गई थी । शुरू में इसे चलाने की जिम्मेदारी रोटरी क्लब ने ली थी जिसने इसे 30 अगस्त तक चलाया । 1 अगस्त से  प्रयास नामक संस्था ने इसे चलाना शुरू किया। प्रयास ने इसे 5 जून २०१८ तक चलाने की जिम्मेदारी ली।  1 जून को प्रयास ने कलेक्टर को एक पत्र सौंप कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया कि संस्था करीब 9.50000 का आर्थिक भार उठा चुकी है और 15 जून से इसे चलाने की स्थिति में नहीं है। कलेक्टर ने 15 जुलाई तक इसे चलाने का आग्रह किया जिस पर संस्था इसे चला रही है ।   दूसरी ओर कलेक्टर ने इस योजना को चलाने के लिए एक बैठक भी बुलाई लेकिन उसमें कोई समाजसेवी या संस्था सामने नहीं आई जो इस रसोई का भार उठाने को तैयार हो । ऐसी स्थिति में कलेक्टर ने सभी प्रमुख अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे अपने स्तर पर लोगों से आर्थिक सहयोग प्राप्त करें ताकि रसोई सुचारू चल सके। खास तौर पर निर्माण एजेंसियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे अपने अधीनस्थ ठेकेदारों की कम से कम ५ हजार रुपए की रसीद रसोई के लिए काटें।    यह है स्थिति  दीनदयाल रसोई योजना को चलाने में 1 साल में करीब 18 लाख रुपए का खर्च आता है। औसतन प्रतिदिन 500 लोग इसमें भोजन करने आते हैं ।1 दिन का खर्च करीब 14 से 15000 रुपए आता है 1000 लोगों के भोजन करने पर खर्च कम हो जाता है । प्रति व्यक्ति 5 रुपए लेने के बाद भी 14 से  15 रुपए प्रति थानी खर्च आता है । जन्मदिन या किसी की स्मृति  पर लोग भोजन कराने आते हैं तो अपनी स्वेच्छा से कुछ आर्थिक योगदान देते हैं जिससे कुछ सहारा मिलता है ।   यह प्रस्ताव भी रखा रसाई चलाने के लिए यह प्रस्ताव भी रखा गया कि  खाना खाने वाला ५ रुपए  देता है और कम से कम 5 रुपए की व्यवस्था कलेक्टर करें तो संस्था शेष  5 रुपए का आर्थिक भार वहन करने को तैयार है।  जानकारी के अनुसार कलेक्टर ने अधिकारियों को जो रसीद कट्टे थमाए हैं उससे अभी तक 30-३५ हजार रुपए  एकत्र हुए हैं ।  ऐसे हो रहा दुरुपयोग जिला अस्पताल में संचालित दीनदयाल रसोई वास्तविक जरूरतमंद लोगों के लिए  है। पर इसमें हर दिन २०० से २५० ऐसे लोग खाना खाने आते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और दूसरे भोजनालयोंं में खाना खा सकते हैं पर मुफ्त ए माल और दिल ए बेरहम की तर्ज पर यहां प्राय: रोज ही खाना खाने आ रहे हैं। बताया गया है कि कई नशा करने वाले तत्व भी यहां स्थाई ग्राहकों की तरह भोजन करने आ रहे हैं। इनमें से तो कुछ ऐसे हैं जो अपने साथ २० से ३० रुपए का सलाद लेकर ५ रुपए में भरपेट भोजन करने आते हैं । ऐसे लोगोंं की वजह से रसोई पर अनावश्यक रूप से भार बढ़ रहा है और इसके बंद होने की नौबत आ रही है।  नहीं है कोई फिल्टर जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल परिसर में रसोई संचालित होने की वजह से इलाज के लिए भर्ती मरीजों के परिजन यहां भोजन करने आते हैं जिनकी संख्या २०० से २५० तक होती है। ये वास्तविक जरूरतमंद होते हैं।  आर्थिक रूप से सक्षम लेकिन मुफ्त में खाने की मंशा से हर रोज आने वालों को रोकने कोई फिल्टर नहीं है।   वर्जन दीनदयाल रसोई को सुचारू रखने के लिए सभी का सहयोग लिया जा रहा है। सभी अधिकारियों से भी कहा गया है कि वे ५-५ हजार रुपए का आर्थिक योगदान दें ताकि गरीबों के लिए संचालित रसोई चलती रहे। अभय वर्मा कलेक्टर

deendayal rasoi


खरगोन.
गरीबों को पांच रुपए में भरपेट खाना देने के लिए सरकार ने दीनदयाल अंत्योदय रसोई शुरु की। शहर के बस स्टैंड कॉम्प्लेक्स स्थित रसोई में बीते साल 7 अप्रैल को प्रकाश स्मृति सेवा संस्थान के माध्यम से गरीबों को पांच रुपए में खाना खिलाया जा रहा है। सालभर में करीब 1 लाख 10 हजार से अधिक लोगों ने रसोई में पहुंचकर योजना का लाभ लिया। इसके बाद संस्थान ने भी रसोई संचालन से हाथ खींच लिए है। नपा ने रसोई संचालन के लिए 16 मार्च को विज्ञप्ति निकाली, लेकिन एक भी आवेदन नहीं आया। इसके बाद नपा ने सस्ती दर पर अनाज के साथ ही संचालक संस्था को 3 लाख 50 हजार रुपए अनुदान भी देने का निर्णय लिया। इसके लिए इच्छुक संस्थाओं को 6 अप्रैल तक आवेदन करना था। नपा के स्वास्थ्य अधिकारी प्रकाश चिते ने बताया कि एक संस्थान ने इसके लिए आवेदन दिया है। हालांकि अब तक उनके पत्र को देखा नहीं है। शर्त के अनुरुप होने पर काम सौंपा जाएगा। प्रकाश स्मृति संस्थान के प्रबंधक विक्रमसिंह चौहान ने बताया कि सालभर में ईंधन, किराना और रसोई में कार्यरत मजदूरों के वेतन में ही करीब 8 लाख से अधिक का खर्च हुआ। नपा ने भवन-बर्तन और पानी के अलावा एक रुपए किलो की दर पर गेहूं-चावल उपलब्ध कराएं। अनाज के परिवहन, बिनाई और पिसाई के बाद आटा तैयार करने में प्रति किलो के हिसाब से करीब 4 रुपए खर्च हुआ।

ऐसा रहा रसोई का गणित
रसोई में सालभर में करीब 1 लाख 10 हजार लोगों ने भोजन किया। इस पर करीब 15 लाख रुपए खर्च हुए। टोकन और दान के रुप में करीब 5 लाख रुपए अनुदान मिला। योजना के तहत गैस सिलेंडर में करीब 2.75 लाख रुपए और मजदूरों के वेतन में 4 लाख रुपए खर्च हुए।

सेवा कार्य के लिए घरेलू सिलेंडर नहीं दिला सकें
सरकार ने रसोई को गरीबों की सेवा का माध्यम बताया, लेकिन इस सेवा प्रकल्प के लिए सरकार सस्ती रसोई तक नहीं दिला सकी। प्रबंधक चौहान ने बताया कि रसोई में कमर्शियल गैस सिलेंडर का उपयोग करना पड़ा। संस्था को सालभर में महज ईंधन पर ही 2 लाख 75 हजार रुपए खर्च करना पड़ा।

रोटी बनाने की मशीन भी नहीं मिली
योजना शुभारंभ के समय ही अफसरों ने रसोई के लिए रोटी मेकर मशीन खरीदने की घोषणा की, लेकिन सालभर में नपा यह मशीन नहीं खरीद पाई। अफसर महज टेंडर प्रक्रिया की बात कहकर मामले को टालते रहे। जानकारी के अनुसार मशीन मिलने से संस्थान को कम मजदूरों की जरूरत लगती। इससे पैसों की बचत हो सकती थी।
फैक्ट फाइल
– 1 लाख 10 हजार ने सालभर में किया भोजन
– 15 लाख रुपए करीब सालभर की लागत
– 5 लाख रुपए के करीब टोकन-दान से मिले
– 10 लाख से अधिक का नुकसान

नपा चलाएगी
रसोई के संचालन के लिए एक संस्थान का आवेदन मिला है। नियम-शर्त के अनुरुप होने पर काम सौंपेंगे। अन्यथा नगरपालिका खुद इसका संचालन करेगी।
प्रकाश चिते, स्वास्थ्य अधिकारी, नपा खरगोन।


खटाई में पड़ी दीनदायल अंत्योदय रसोई योजना

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो