scriptडिलेवरी बॉय बन गया सरपंच, छुट्टी के दिन करता था मजदूरी, अब संभालेगा गांव की जिम्मेदारी | Patrika News

डिलेवरी बॉय बन गया सरपंच, छुट्टी के दिन करता था मजदूरी, अब संभालेगा गांव की जिम्मेदारी

locationखरगोनPublished: Jul 03, 2022 02:21:27 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

हौंसले बुलंद हो तो मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाता है। आज हम आपको ऐसे ही शख्स से रूबरू करा रहे हैं.
 
 

डिलेवरी बॉय बन गया सरपंच, छुट्टी के दिन करता था मजदूरी, अब संभालेगा गांव की जिम्मेदारी

डिलेवरी बॉय बन गया सरपंच, छुट्टी के दिन करता था मजदूरी, अब संभालेगा गांव की जिम्मेदारी

खरगोन. हौंसले बुलंद हो तो मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाता है। आज हम आपको ऐसे ही शख्स से रूबरू करा रहे हैं जिसने छोटी उम्र में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जीता और अब बड़वाह ब्लॉक की ग्राम पंचायत बासवा के सरपंच बनने जा रहे हैं। अब तक डिलीवरी बॉय का काम करने वाले बसंत रघुनाथ पिंडारे ने कोरियर घर-घर पहुंचाने के लिए दस्तक दी लेकिन अब वे लोगों तक सरकारी योजनाएं लेकर जाएंगे।

शुक्रवार को दूसरे चरण के मतदान में बसंत पिंडारे ने 650 वोटों से जीत दर्ज की है। छोटी उम्र में सरपंच बने बसंत का सपना गांव के विकास को लेकर स्पष्ट है। बसंत का कहना है कि एक साल की उम्र में पिता रघुनाथ को खो दिया था। इसके बाद मां राजूबाई ने मजदूरी कर बसंत को पढ़ाया और मजदूरी अब भी जारी है। बसंत बीए की पढ़ाई कर रहे है। घर-परिवार को चलाने के लिए अमेजन कंपनी में कोरियर बॉय के रूप में 8500 रुपए प्रतिमाह की पगार पर काम कर रहे हैं। नौकरी मिलने से पहले तक बसंत भी छुट्टी के दिन मजदूरी करता था।

इसलिए लड़ा चुनाव

बसंत ने बताया प्रायवेट नौकरी करने के साथ वे ग्रामीणों की सामान्य समस्याओं को लेकर उनके साथ सरकारी कार्यालयों में जाते थे। इस दौरान उन्हें जो परेशानियां आई उससे काफी परेशान हुए। बसंत ने बताया ग्रामीणों को पंचायत स्तर पर मिलने वाली योजनाओं की जानकारी तक नहीं है। कहां आवेदन करना है, कैसे योजना का लाभ मिलेगा कोई बताने वाला नहीं। जब पंचायत में आदिवासी सीट आरक्षित हुई तो बसंत ने चुनाव लड़ने का तय किया।

यह भी पढ़ें : हथियार लेकर रसोई में घुसे बदमाशों ने की तोडफ़ोड़, मारपीट कर मचाया उत्पात, जारी हुआ नोटिस

ये होगी प्राथमिकता

बसंत ने बताया गांव हाइवे से लगा है। अक्सर हादसे होते हैं। एक एंबुलेंस की व्यवस्था करेंगे। इसके अलावा सफाई के मामले में भी पिछड़े हैं। घर-घर डस्टबीन देकर डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करेंगे। पंचायत के गांव खनगांव-खेड़ी में बाकुड नदी पर पुल नहीं है। लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं। प्राथमिकता पुल बनवाने की होगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो