15 जून के आसमान बारिश देश में मानसून की सबसे पहले केरल की तरफ से आता है। यह हर बार एक जून या उसके आसपास आता है। वहीं मौसम विभाग ने इस बार मानसून के जल्द दस्तक देने की घोषणा की है। यह 27 मई तक केरल और 15 जून तक मप्र में पहुंचेगा। पिछले वर्ष यह 25 से 28 जून के आसमान खरगोन पहुंचा था। इसमें भी खंडवर्षा होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा। दो से तीन बार बोवनी हुई।
प्री-मानसून की गतिविधियों से राहत मासूम विभाग भोपाल से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में इस बार गर्मी का रौद्र रूप देखने को मिला। 16 जून के बाद मौसम में बदलाव के साथ तापमान में कमी होगी। इस दौरान प्री-मानसून गतिविधियां आरंभ होने से गर्मी से लोगों को कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है।
2013 और 2020 मेंं हुई जोरदार बारिश क्षेत्र में बारिश का आंकड़ा यूं तो साल-दर साल कम होता जा रहा है। वहीं 2013 और 2020 में मानसून ने समय पर आकर चौका दिया। इसके पूर्व 2007 में सर्वाधिक 1030 (41 इंच ) बारिश हुई थीं। वहीं पिछले साल 705.5 मिमी लगभग 28 इंच बारिश हुई थी।
ऐसे समझे बारिश की स्थिति को मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदेश में मानसून के आने के दो प्रमुख रूट है। पहला मार्ग पश्चिम बंगाल और दूसरा अरब सागर से आता है। सिस्टम सक्रिय होने के उपरांत ठंडी हवाएं अपने साथ बारिश लेकर आती है। केरल के बाद हवा की रफ्तार तेज होने पर मानसून आगे बढ़ता है।
2012 से 2021 तक सालाना वर्षा वर्ष कुल बारिश
2011-12 792.7
2012-13 807.4
2013-14 874.9
2014-15 804.5
2015-16 512.0
2016-17 664.2
2017-18 744.2
2018-19 604.3
2019-2020 159.1
2020-21 811.8
2021-22 705.5
(स्त्रोत- भू अभिलेख कार्यालय के अनुसार। आंकड़े मिमी में। )
15 जून के बाद 16 मई के बाद मौसम आधारित गतिविधियों में बदलाव होगा। जिसके बाद तापमान दो से तीन डिग्री कम हो सकता है। गर्मी अधिक होने से इस बार अच्छी बारिश के संकते है। मप्र में मानसून 15 से 20 जून के मध्य आने की संभावना है।
पीके शाह, निदेशक मौसम विभाग भोपाल