सुंदरकांड की चौपाइयों पर डाली आहुतियां
यज्ञ में ग्रामीणों ने सुंदरकांड की चौपाइयों पर आहुतियां डाली। गांव के शिवराम गेहलोत, भवानीसिंह गेहलोत, गणपति सेन आदि ने बताया मान्यता है कि सुंदरकांड करने से ईश्वर सभी कष्टों को हरते हैं। कच्ची सड़क हमारे लिए परेशानी है। यहां से उपज लेकर या पैदल गुजरना भी कष्टप्रद है। शायद इस हवन के करने से अफसरों व नेताओं की मति सुधरे और उन्हें हमारी पीड़ा का एहसास हो और वह सड़क निर्माण करा दे इसलिए यह हवन किया है।
यज्ञ में ग्रामीणों ने सुंदरकांड की चौपाइयों पर आहुतियां डाली। गांव के शिवराम गेहलोत, भवानीसिंह गेहलोत, गणपति सेन आदि ने बताया मान्यता है कि सुंदरकांड करने से ईश्वर सभी कष्टों को हरते हैं। कच्ची सड़क हमारे लिए परेशानी है। यहां से उपज लेकर या पैदल गुजरना भी कष्टप्रद है। शायद इस हवन के करने से अफसरों व नेताओं की मति सुधरे और उन्हें हमारी पीड़ा का एहसास हो और वह सड़क निर्माण करा दे इसलिए यह हवन किया है।
सर्वे भी किया, निर्माण का इंतजार
ग्रामीणों ने बताया लगातार की जा रही मांग के बाद इस सड़क का सर्वे भी किया। अफसर, नेताओं का कहना है यह मार्ग स्वीकृत हो गया, लेकिन इसके बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। बीते एक साल से ग्रामीणों को आस बंधी थी कि शायद 2020 में यह सड़क बनकर तैयार हो जाएगी।
ग्रामीणों ने बताया लगातार की जा रही मांग के बाद इस सड़क का सर्वे भी किया। अफसर, नेताओं का कहना है यह मार्ग स्वीकृत हो गया, लेकिन इसके बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। बीते एक साल से ग्रामीणों को आस बंधी थी कि शायद 2020 में यह सड़क बनकर तैयार हो जाएगी।
चार गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है सड़क
गांव के दशरथ राठौड़ ने बताया यह सड़क देवली सहित कोठा खुर्द, कोठा बुजुर्ग और बलवाड़ी को जिला मुख्यालय से जोड़ती है। इन गांवों की कुल आबादी करीब दस हजार है। अभी सड़क कच्ची होने से ग्रामीणों को 25 किमी का फेरा लगाकर टांडा बरूड़ से होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। रहवासी एक अन्य रास्ते से कुंदा नदी पार कर भसनेर होते हुए खरगोन पहुंचते हैं।
गांव के दशरथ राठौड़ ने बताया यह सड़क देवली सहित कोठा खुर्द, कोठा बुजुर्ग और बलवाड़ी को जिला मुख्यालय से जोड़ती है। इन गांवों की कुल आबादी करीब दस हजार है। अभी सड़क कच्ची होने से ग्रामीणों को 25 किमी का फेरा लगाकर टांडा बरूड़ से होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। रहवासी एक अन्य रास्ते से कुंदा नदी पार कर भसनेर होते हुए खरगोन पहुंचते हैं।
उपज लेकर जाने में बड़ी परेशानी
ग्रामीणों ने बताया अधिकांश परिवार खेती-किसानी से जुड़े हैं। रुटिन में खरगोन जाना हो तो कैसे भी चले जाते हैं, लेकिन उपज लेकर मंडी तक जाना बड़ी परेशानी है। उबडख़ाबड़ रास्ते पर कई बार बैलगाडिय़ां व वाहन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। रास्ता बन जाए तो किसान समय पर उपज मंडी पहुंचा सकते हैं।
ग्रामीणों ने बताया अधिकांश परिवार खेती-किसानी से जुड़े हैं। रुटिन में खरगोन जाना हो तो कैसे भी चले जाते हैं, लेकिन उपज लेकर मंडी तक जाना बड़ी परेशानी है। उबडख़ाबड़ रास्ते पर कई बार बैलगाडिय़ां व वाहन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। रास्ता बन जाए तो किसान समय पर उपज मंडी पहुंचा सकते हैं।