इसी तरह किसी को 12, तो किसी को 13, 19 रुपए मिले। खरगोन तहसील में भी मोठापुरा में मक्का, सोयाबीन की खराब फसल पर किसी को 25 रुपए तो किसी को 50 रुपए की राहत दी गई है। फसल नुकसानी की भपराई के लिए किसानों ने जितनी राशि जमा कराई उसका 10 प्रतिशत भी उन्हेंं लाभ नहीं मिला है। पूरे जिले में ऐसे कई किसान है जो मुआवजा राशि को लेकर निराश है। किसानों ने कहा- यह राशि ऊंट के मुंह में जीरा कहना भी कहावत की तौहिन होगा। इतनी बेइज्जती ही बाकी रह गई थी। किसान भाकिसं ने इस पर नाराजगी जताते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। वहीं पूर्व कृषि मंत्री व कसरावद विधायक सचिन यादव ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए इसे किसानों के साथ बड़ा धोखा बताया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत खरीफ 2019 की बीमा दावा की प्राप्त राशि से बकाया ऋणों की वसूली किए जाने के सरकारी फरमान पर पूर्व कृषि मंत्री व कसरावद विधायक सचिन यादव ने भी एतराज जताया है। उन्होंने कहा किसानों को एक हाथ में रुपए देकर दूसरे हाथ से छीन लिया है। अतिवर्षा और फसल की बीमारियों से किसान उभर भी नहीं पाया था कि कोरोना महामारी ने किसानों को बुरी तरह से तबाह कर दिया । ऐसे बुरे वक्त में सरकार के इस आदेश ने किसानों को खून के आंसू ला दिए हैं। सरकार को अपने इस फैसले को निरस्त करना चाहिए । सरकार किसानों की मदद के लिए आगे आए ।
मुआवजा वितरण में विसंगति
मुआवजा राशि वितरण में विसंगतियों के आरोपी भी किसानों ने लगाए हैं। कार्यक्रम में कुछ किसान ऐसे हैं जिन्हें एक लाख से ज्यादा मुआवजा मिला है। जिले के जिन किसानों के क्लेम खातों में ट्रांसफर हुए उनमे से कुछ किसानों को सांकेतिक रूप में कृषक भवन के कार्यक्रम में प्रमाण पत्र दिए। इनमें भीलगांव के राजेंद्र कालूराम के खातें में 335740 रुपए, उटावद के मंजीतसिंह देवीसिंह के खाते में 158037 रुपए, इच्छापुर के अक्षय सुखलाल के खाते में 36519, दुलीचंद रणछोड़ के खाते में 10494, अशोक बिहारी के खाते में 10494, राधेश्याम राजाराम के खाते में 8395, सदाशिव काशीराम के खाते में 8395, लिक्खी की जुबेदा मुनिर खान के खाते में 8624, कल्लन मजीद के खाते में 5174 रूपए की राशि ट्रांसफर की गई।
ऐसा मजाक क्यों किया सरकार ने
पिपराड़ के किसान कैलाश यादव ने सोयाबीन की फसल उगाई। यह बारिश में खराब हो गई। उन्हें 130 रुपए का मुआवजा दिया गया। इसी तरह गोराडिय़ा जागिर केक प्रवीण को सोयाबीन फसल की खराबी पर 67 रुपए, मोठापुरा के आनंदराम को मक्का की फसल पर 50 रुपए, मोठापुरा के ही बद्री को महज 25 रुपए का मुआवजा मिला है। ऐसे कई किसान है जिनके साथ यह छलावा किया गया है।
एक गांव लेकिन अलग-अलग मिली राशि
खरगोन तहसील का ग्राम मोठापुरा। यहां के किसानों को भी मुआवजे का लाभ मिला है। कुछ किसानों को दस हजार से ऊपर तो किसी को मात्र 25 रुपए मुआवजा दिया गया। किसानों ने कहा- बीमा कंपनी और अफसरों की लापरवाही के कारण ऐसे हालात बने हैं। जब गांव एक हैं, फसलें एक हैं तो फिर मुआवजे में यह विसंगति क्यों। भीकनगांव क्षेत्र के गोराडिया जागीर में भी किसानों को 67 और 134 रुपए बीमा लाभ मिा है।