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बारिश ने बिगाड़ा गणित, जलमग्न हुए खेत, सर्वे करने कोई नहीं आया

locationखरगोनPublished: Sep 10, 2019 07:26:45 pm

किसानों ने कहा- अब तक नहीं आया कोई अफसर, बीमा पहले ही कर दिया

Farming Farmer News

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खरगोन. क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने किसानों की भी कमर तोड़ दी है। बारिश से फसलें जलमग्न हो गई है। कहीं तालाब फुट गए हैं। किसानों को नुकसानी पर राहत मिलेगी या नहीं यह चिंता सता रही है। उनका आरोप है कि अब तक कोई भी अफसर उनकी सूध लेने नहीं आया। गेंती-फावड़े लेकर वह खुद ही खेतों में भरे पानी की निकासी का इंतजाम कर रहे हैं। प्रशासन ने उनकी मदद के लिए टोल-फ्री नंबर भी जारी किया है, लेकिन किसानों का कहना है उस पर फोन ही नहीं लगते।
पंधानिया के किसान राधेश्याम पाटीदार, नारायण, मयाराम मांगीलाल, मनोज बार्चे, राधेश्याम औंकार ने बताया बारिश रुकने के बाद जब खेतों में जा रहे हैं तो आंखों के सामने उनकी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है। इस वर्ष समय पर हुई बारिश से आंस बंधी थी कि उपज अ’छी होगी लेकिन लगातार बारिश ने इस आस को भी धो डाला।
तालाब फुटने से घुटने तक खेतों में जमा हुआ पानी
पंधानिया के रेवाराम, घीसीलाल, शिवराम, रेवाराम आदि ने बताया उनके खेतों के पास ऊंचाई पर तालाब है, जो बारिश में फुट गया। इससे तालाब का पानी आसपास के करीब एक दर्जन खेतों में घुस गया। बारिश और तालाब का पानी इकट्टा होने से खेतों में घुटने तक पानी जमा है। इसमें लगी कपास और सोयाबीन की फसलें सड़कर खराब हो गई है।
कैसे उतारेंगे कर्जा
किसानों ने बताया उन्होंने कर्ज लेकर फसलों की बुआई की है। अधिक बारिश के चलते सोयाबीन के पत्ते पीले पडऩे लगे हैं और जड़ें भी गलने लगी हैं। आधी फसल तो बर्बादी की कगार पर पहुंच गई। जो बची है उसकी भी कोई गारंटी नहीं। कपास भी तैयार हो चुका था। लेकिन उसकी हालत भी खराब है। ऐसे में जो कर्ज लिया है उसे चुकाने की चिंता सता रही है।
नहीं लगता टोल फ्री नंबर
किसानों ने बताया जलप्लावन, बाढ़ आदि जोखिम से बचने के लिए प्रशासन ने टोल फ्री नंबर 1800-10&, 5499 या 0124 जारी किया, लेकिन इस पर कोई संपर्क नहीं होता। ऐसे में किसान नुकसानी पर या बचाव के तरीके जानने के लिए किसी से राय भी नहीं ले पा रहे हैं।
टीम गठित, सर्वे शुरू किया है
-फसलों के आंकलन के लिए तीन विभागों का दल गठित कर दिया है। वह प्रभावित क्षेत्रों में जा रहे हैं। उनके साथ इंश्योरेंस कंपनी के अफसर भी है जो आंकलन कर कार्रवाई भी कर रहे हैं।
-एमएल चौहान, कृषि उप संचालक खरगोन

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