हाथ पर हाथ धरे घरों में बैठे रहे लोग
बाजार में घुमकर कांच बेचने वाले धर्मेंद्र गुप्ता ने बताया कफ्र्यू के बीच मिली ढील में भी दुकान नहीं लगा पाए। इस माह का पूरा बजट बिगड़ गया। पांच हजार रुपए सामान खरीदने के लिए रखे थे, उसी से परिवार के खर्च चलाए। घर में पत्नी व दो बेटियां हैं। किराणा सामान भी उधारी में लिया है। इसी तरह एमजी रोड पर ताला चाबी की अस्थाई दुकान लगाने वाले आदित्य सोनी ने बताया उनके भाई लक्ष्य के इलाज में 8.50 लाख का कर्ज हो गया। दुकान के सहारे ही कर्ज चुका रहे हैं। 23 दिन बाजार बंद रहा। ऐसे में घर-परिवार को चलाने के साथ कर्ज चुकाना भारी पड़ रहा है।
बाजार में घुमकर कांच बेचने वाले धर्मेंद्र गुप्ता ने बताया कफ्र्यू के बीच मिली ढील में भी दुकान नहीं लगा पाए। इस माह का पूरा बजट बिगड़ गया। पांच हजार रुपए सामान खरीदने के लिए रखे थे, उसी से परिवार के खर्च चलाए। घर में पत्नी व दो बेटियां हैं। किराणा सामान भी उधारी में लिया है। इसी तरह एमजी रोड पर ताला चाबी की अस्थाई दुकान लगाने वाले आदित्य सोनी ने बताया उनके भाई लक्ष्य के इलाज में 8.50 लाख का कर्ज हो गया। दुकान के सहारे ही कर्ज चुका रहे हैं। 23 दिन बाजार बंद रहा। ऐसे में घर-परिवार को चलाने के साथ कर्ज चुकाना भारी पड़ रहा है।
22 दिन कोई काम नहीं
ठेले पर बच्चों के कपड़े बेचने वाले बोहरा बाखल के हुसैनी हकीम बोहरा(६५) बताते हैं कि 22 दिन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। घर में पत्नी व दो बेटियां है। कपड़े बेचकर जो रकम मिलती है उसी से घर-परिवार चलाते हैं। कफ्र्यू ने कमर तोड़ दी है। ढील भी मिली लेकिन कामकाज सामान्य दिनों जैसा नहीं रहा।
ठेले पर बच्चों के कपड़े बेचने वाले बोहरा बाखल के हुसैनी हकीम बोहरा(६५) बताते हैं कि 22 दिन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। घर में पत्नी व दो बेटियां है। कपड़े बेचकर जो रकम मिलती है उसी से घर-परिवार चलाते हैं। कफ्र्यू ने कमर तोड़ दी है। ढील भी मिली लेकिन कामकाज सामान्य दिनों जैसा नहीं रहा।