पंचकल्याणक महोत्सव में ज्ञानकल्याणक दिवस
खरगोनPublished: Jan 12, 2020 12:43:01 pm
भगवान नेमिनाथ ने समवशरण में लोक कल्याण के लिए दिया प्रथम धर्मोपदेशआहार विधि की प्रक्रिया देखने श्रद्धालु उमड़ेमंदिरजी के शिखर पर हुई कलश स्थापना
भगवान नेमिनाथ ने समवशरण में लोक कल्याण के लिए दिया प्रथम धर्मोपदेशआहार विधि की प्रक्रिया देखने श्रद्धालु उमड़ेमंदिरजी के शिखर पर हुई कलश स्थापना
सनावद. पंचकल्याणक महामहोत्सव में पांचवें दिन भगवान नेमिनाथ स्वामी का ज्ञानकल्याणक महोत्सव मनाया गया। आध्यात्मिक प्रवचनों के साथ भगवान नेमिनाथ स्वामी आहार के लिए निकले तथा समवशरण की मनोहारी रचना की गयी। जिसमें भगवान नेमिनाथ स्वामी ने लोक कल्याण के लिए प्रथम धर्मोपदेश दिया, जिसे जैन धर्म में दिव्य ध्वनि का खिरना कहा गया है। अनेक विद्वानों के प्रवचन हुए।
तीर्थंकर नेमिनाथ दीक्षा के उपरांत मौन धारण कर तपस्या के लिए धर्म ध्यान में लीन हुए। छप्पन दिन की तपस्या के उपरांत उन्होंने कर्मो का क्षय कर केवलक ज्ञान प्राप्त किया। तत्पश्चात मुनि अवस्था में नेमिनाथ स्वामी आहार के लिए निकले प्रथम आहार देने का सौभाग्य मुंबई निवासी अनंत सेठ एवं निमीश भाई मुंबई को प्राप्त हुआ। शैलेष जैन तलोद एवं पं. ध्रव जैन के आध्यात्मिक प्रवचन हुए। सौधर्म इन्द्र ने यह अवधिज्ञान से यह जानकर इन्द्रों के साथ भगवान के दर्शन कर पूजन किया तथा कुबेर को समवशरण की रचना करने का आदेश दिया। समवशरण में ही विराजमान होकर केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद प्रथम उपदेश होता है।
समवशरण की अलौकिक रचना में हुआ प्रथम उपदेष
जैन दर्षन की मान्यता के अनुसार कुबेर समवशरण की रचना करता है जिसमें भगवान के उपदेश सुनने के लिए बारह कोठे बनाये जाते है। जिसमें गणधर, मुनिराज, कल्पवासी देवियां, आर्यिकाएं एवं श्राविकाएं, ज्योतिषी, भवनवासी, व्यंतर, देव देवियां, चक्रवर्ती राजा एवं मनुष्य तथा पशु, पक्षी आकर भगवान की सर्वोपयोगी अद्र्धमागधी भाषा में लोक के जीवों के कल्याणार्थ धर्मोपदेश देते है। भगवान का मुख चतुर्मुख दिखाई देता है। इन सब प्रक्रियाओं का सांगोपांग चित्रण ज्ञानकल्याणक क्रियाओं के अंतर्गत प्रतिष्ठाचार्य पं. जतीशचन्द शास्त्री एवं सहयोगी प्रतिष्ठाचार्य पं. रजनी भाई हिम्मत नगर हजारों श्रद्धालुओं के मध्य प्रस्तुत किया।
महावीर जिन मंदिर पर कलश स्थापना सहित अनेक कार्यक्रम संपन्न
इस मौके पर दोपहर 1 बजे से जिन मंदिरों में चढऩे वाले छत्र चवर सहित उपकरणों की शोभा यात्रा के बाद भगवान महावीर जिन मंदिर का ध्वजारोहण तथा शिखर पर स्वर्ण कलश एवं ध्वज स्थापना स्वाध्याय भवन, सम्मेद षिखर की रचना जिनवाणी मंदिर तथा तीर्थ सोनगढ़ के चित्र के उदघाटन बाहर से पधारे श्रेष्ठिगणों द्वारा किया गया।
मोक्षकल्याणक दिवस पर होंगे आयोजन
रविवार को मोक्षकल्याणक महोत्सव के अतंर्गत गुरुदेव के मंगल गीत, शांति जाप, शांति यज्ञ, के साथ मोक्षकल्याणक मनाया गया। इसके बाद भगवान जिनेन्द्र प्रभु की शोभा यात्रा निकालकर प्रतिष्ठित जिन बिंबो को नवनिर्मित मंदिर की वेदियों पर विराजमान किया गया। रात्रि में 7 बजे से नवीन जिन मंदिर में जिनेन्द्र भक्ति तथा शास्त्र प्रवचन के कार्यक्रम होंगे।