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यहां गांव के बुजुर्ग देते है आइडिया और बच्चे करते हैं चोरी

locationखरगोनPublished: Feb 27, 2018 12:28:22 pm

-ग्रामीण क्षेत्र में होली पर कंडे और लकड़ी चुराने की चली आ रही परंपरा-युवाओं की टोली स्पेशल कंडे चुराने के लिए होती है सक्रिय

Kids plowing to Kunda theft

Kids plowing to Kunda theft


खरगोन.
होली के नजदीक आते ही ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों का अनोखा चोर गैंग सक्रिय हो गया है। इस चोरी में गैंग सदस्यों को डर नहीं लगता बल्कि उत्साह के साथ चोरी की जाती है। गांव के बड़़े लोग उन्हें रोकने की बजाय चोरी करने के नए-नए आइडिया देते हैं। घबराइए नहीं यह चोरी कोई आभूषणों या सामान की नहीं बल्कि होलिका दहन के लिए कंडों (उपले) की होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कंडे चुराना परंपरागत है। होलिका का दहन कंडों से ही इसलिए यह चोरी की जाती है। कंडे चुराने वाले बच्चों की जानकारी ग्रामीणों को भी होती है लेकिन विवाद नहीं होता। बस कंडों की रखवाली के लिए ग्रामीणों को रातभर गश्त करनी पड़ रही है। कोई सदस्य पकड़ा भी जाए तो उसे हंसी-ठिठोली के बाद छोड़ दिया जाता है।
बड़ी होली बनाने के लिए दिनरात करते हैं प्लान ग्राम रायपुरा के प्रविण ने बताया बचपन में उन्होंने भी कंडे की चोरी की। अब बच्चे करते हैं। होली का आकार सबसे बड़ा हो ऐसा प्लान किया जाता है। कंडे चुराने का काम १५ दिन पहले से ही शुरू हो जाता है। कुछ ठिकाने तय कर वहां कंडे छिपाए जाते हैं। होली दहन के दिन उन्हें बाहर निकालते हैं।

महिलाएं सुनाती हैं बाते, बाद में हंसती है
लोकेश यादव, जितू यादव, प्रवीण यादव ने बताया कंडे चुराने वाले लड़कों से ग्रामीण भी सतर्क रहते हैं। वें रातभर खलिहान में गश्त कर कंडे बचाते हैं। जहां चोरी हो जाती है वहां कि महिलाएं होली दहन के बाद बातें भी सुनाती है, लेकिन इसके बाद माहौल हंसी-मजाक में बदल जाता है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में घर=घर से पांच-पांच कंडे होलिका दहन में देने का भी प्रचलन है।

कंडों की होली के यह फायदे
कंडों से होली जलाने के कई मानवीय फायदे हैं। खासकर छोटे बच्चे व युवाओं में खान-पान की अज्ञानता के कारण सूक्ष्म जीव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस कारण शरीर में छोटी.छोटी फुंसियां (चिकन पॉक्स) हो जाती है। कंडों की होली जलाने से इस प्रकार के रोग से मुक्ति मिलती है। साथ ही हवा में फैले सूक्ष्म बैक्टरियां भी नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य के लिए सबसे जरूरी प्राण वायु है। यदि वायु को स्वच्छ रखा जाए, तो मस्तिष्क में अच्छे विचारों की उत्पति होती है।
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