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उपचुनाव से पहले कांग्रेस को झटका: निर्दलीय विधायक केदार डावर ने भाजपा सरकार को दिया समर्थन

locationखरगोनPublished: Oct 21, 2020 01:41:11 pm

2018 में भगवानपुरा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे डावर, अरुण यादव करीबी माने जाते हैं, जिले की राजनीति में आया भूचाल

Independent MLA Kedar Davar supported BJP government

केदार डावर

खरगोन.
प्रदेश में एक तरफ 28 विधानसभाओं में उपचुनाव को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। वहीं ऐसे समय में कांग्रेस को एक बड़ा झटका निमाड़ अंचल के खरगोन से लगा है। जिले की भगवानपुरा के निर्दलीय विधायक केदार डावर ने कांग्रेस की विचारधारा को छोड़कर भाजपा सरकार को समर्थन दिया है। जिसका ऐलान उन्होंने बुधवार को भोपाल में किया। इसके बाद से जिले के राजनीतिक गलियारे में भूचाल आ गया है। केदार डावर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव के करीबी मानें जाते हैं। वे कई बार मंचों से यह बात बोल चुके है कि उनका परिवार कांग्रेस का शुरू से समर्थक रहा है। इसलिए वह कभी कांग्रेस को छोड़ नहीं सकते। शिवराज सरकार को समर्थन देने के बाद कई तरह के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि डावर ने इस बात को नकारा है कि वह भाजपा ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। पत्रिका से चर्चा में डावर ने कहा कि जनता ने क्षेत्र के विकास के लिए उन्हें चुना है। यह विकास सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं। इसलिए उन्होंने अपना समर्थन राज्य को देने का फैसला लिया है। उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में केदार डावर कांग्रेस से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्होंने 9700 हजार वोटों से भाजपा के उम्मीदवार जमनासिंह सोलंकी को पराजीत किया था।
पिता चार बार विधायक, पत्नी जिपं अध्यक्ष
केदार डावर के पिता चिड़ाभाई डावर (धूलकोट) वर्तमान में भगवानपुरा विधासभा से चार बार विधायक रह चुके हैं। वह कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव जीते थे। 2003 में चुनाव में पिता के निधन के बाद केदार डावर को पार्टी ने टिकट दिया। लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद 2008 में भी कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया। जहां डावर को हार का सामना करना पड़ा था। पत्नी कमला डावर जिपं अध्यक्ष और भाई विजय डावर सेगांव जनपद अध्यक्ष है।
सरकार जाने के बाद, क्षेत्र में नहीं हो रहे थे काम
2018 के विधानसभा चुनाव में खरगोन जिले की छह में पांच सीटों पर कांग्रेस और एक निर्दलीय भगवानपुरा सीट से केदार डावर (कांग्रेस समर्थित) ने जीत दर्ज की। लेकिन बीच में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद विधानसभा में वहीं सरकारी दफ्तरों में भी पूछपरख कम होने से विवश होकर डावर ने कांग्रेस विचाराधार को त्याग कर भाजपा सरकार का दामन पकड़ लिया।

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