संघ के सुखदेव पाटीदार, कमल पाटीदार, सुभाषचंद जैन, हेमराज पाटीदार, हरीष पाटीदार ने बताया पहले किसानों पर प्राकृतिक आपदा ने प्रहार किया और अब कागजों में खेल दिखाकर अफसर किसानों को खून चूसने पर उतारू हंैं। लेकिन हम भ्रष्टाचार सहन नहीं करेंगे। फसलों के वास्तविक नुकसानी सर्वे में जरा सी भी हेराफेरी की तो गड़बड़ी करने वालों का मुंह काला कर देंगे।
संघ पदाधिकारियों ने बताया नुकसानी सर्वे की रिपोर्ट में अफसर संशोधन की बात कह रहे हैं, क्या संशोधन किया जाना है सोमवार को यह भी देखेंगे। यदि रिपोर्ट में गड़बड़ी नजर आती है तो आंदोलन करेंगे। विवाद की स्थिति बनती है तो इसकी जवाबदेही तहसीलदार की होगी। किसानों को न्याय मिलना चाहिए।
संघ सदस्यों ने बताया सर्वे को लेकर जानकारी में फेरबदल की जो चर्चाएं सामने आ रही है यदि उस पर प्रशासन का स्पष्टीकरण सोमवार तक नहीं आता है तो भारतीय किसान संघ विरोध करेगा। जरूरत पड़ी तो किसानों के पक्ष में आंदोलन करेंगे। भ्रष्टाचार करने वालों का मुंह काला करेंगे।
संघ पदाधिकारियों ने करीब तीन घंटे तहसील कार्यालय में तहसीलदार का इंतजार किया। वे नहीं आए तो आवेदन की कॉपी दरवाजे पर चस्पा करने लगे। लेकिन यहां एक कर्मचारी ने पदाधिकारियों को रोका। इस बात को लेकर तीखी बहस भी हुई। हालांकि कुछ देर बाद मामला शांत हो गया।
संघ पदाधिकारियों ने बताया कपास सिंचित फसल की श्रेणी में आती है, लेकिन जानकारी मिली है कि इसे भी असिंचित बताने की तैयारी है। यदि ऐसा होता है तो किसानों को इसकी नुकसानी पर मुआवजा कम मिलेगा। नियमों का हवाला देते हुए सदस्यों ने बताया आरबीसी की धारा 6/4 के तहत कपास की नुकसानी पर प्रति हेक्टेयर किसानों को 30 हजार रुपए नुकसानी मुआवजा मिलता है, लेकिन यदि इसे असिंचित बता किया तो यह मुआवजा घटकर प्रति हेक्टेयर 8 हजार रुपए हो जाएगा। यह सीध-सीधा किसानों का नुकसान होगा।
जो नुकसानी का सर्वे हुआ है उसमें कोई फेरबदल नहीं हुआ है। शनिवार को अवकाश के बावजूद भी मैं तहसील कार्यालय गया। यहां कुछ लोग मिलने आए। मैंने उन्हें वहां बैठने के लिए नहीं कहा। कुछ देर चर्चा के बाद मैं रणगांव चला गया। आरोप तो भगवान श्रीराम पर भी लगे, हम किस खेत की मूली है।
केसी खतेडिय़ा, तहसीलदार खरगोन