45 वर्ष के इतिहास में यह दूसरा मौका है। जब पंचक्रोशी यात्रा को निरस्त करना पड़ा। इस यात्रा में प्रदेश के साथ.साथ राजस्थान एवं मालवा के अनेक शहरों से बड़ी संख्या में नागरिक शामिल होकर पांच दिवसीय मां नर्मदा की भक्ति और स्तुति में समय व्यतीत करते हैं। लेकिन इस वर्ष यात्रा के निरस्त होने से यात्रा में शामिल होने वाले नागरिकों को इसका मलाल रहेगा। 1976 में पांच लोगों द्वारा यात्रा शुरू की गई थी। जिसमें लाखों लोगों को यात्रा में जोड़ा और महामारी के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए प्रशासन द्वारा सख्त निर्णय लेकर इस यात्रा को स्थगित करने की बात कही। पूर्व भी 26 साल पहले इंदिरा गांधी के निधन पर देश के माहौल के बिगड़ते हुए हालात को प्रशासन ने यात्रा पर रोक लगाई थी। लेकिन तब भी कम संख्या यात्रियों ने नर्मदा की लघु परिक्रमा भी की थी।
ओंकारेश्वर से निकलती है यात्रा
देवउठनी ग्यारस पर ओंकारेश्वर से यात्रा निकलती है। जिसका पहला पड़ाव सनावद रहता है। दूसरा पड़ाव टोकसर में होकर अगले दिन नाव से नर्मदा नदी को पार करते है। तीसरे दिन नर्मदा पार करने के बाद सभी यात्री बड़वाह में रुकते हैं। चौथे पड़ाव में यात्री सिद्धवरकूट और अंतिम पड़ाव में ओंकारेश्वर पहुंचकर यात्रा का समापन होता है। आस्था और धर्म की यह यात्रा पांच लोगों ने शुरू की। आज इसने भव्य रूप ले लिया है। यात्रा मार्ग मां नर्मदा के जयकारों से यात्रा मार्ग गुंजायमान नजर आता है। जहां भी रात्रि विश्राम होता है। वहां दाल बाटी, हलवा प्रसादी के साथ गम्मत एवं अन्य आयोजन संपन्न होते हैं।
राजस्थान व मालवा से आ सकते हैं श्रद्धालु
प्रशासन द्वारा ऐसे तो इस यात्रा के स्थगित होने की सूचना स्थानीय थानों के साथ-साथ राजस्व विभाग एवं सभी नगर पालिका एवं नगर पंचायतों को दे दी गई है। लेकिन उसके बाद भी सूचना के अभाव में बड़ी संख्या में राजस्थान एवं मालवा के अनेक यात्री आ सकते हैं। जिसकी व्यवस्था के लिए ओंकारेश्वर के प्रमुख घाट एवं तीर्थ नगरी के अन्य क्षेत्रों में टेंट एवं प्रकाश व्यवस्था के साथ इनके रोकने के इंतजाम किए जा रहे हैं।