रातभर झाडिय़ों में बिलखता रहा मासूम
ग्रामीणों ने बताया कि मासूम रातभर से नाले के पास झाडिय़ों में पड़ा हुआ था। यहां उसे कौन छोड़ गया, किसी को पता नहीं। सुबह बैलगाड़ी लेकर खेत की ओर जा रहे ग्रामीणों की उस पर नजर पड़ी। ग्रामीण आशाराम ने बताया कि हम जब उसके पास पहुंचे, तो चिंटियां नवजात को काट रही थी। इससे उसका चेहरा लाल पड़ गया था। वैसे ही मासूम को उठाया। छमाबाई और उसका पति भी वहां पहुंचे। महिला ने मासूम को अपनी गोद में उठा लिया और खुद के बच्चे की तरह दुलार करने लगी। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। डायल १०० की मदद से ग्रामीण मासूम को भगवानपुरा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां से बाद में खरगोन लाया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि मासूम रातभर से नाले के पास झाडिय़ों में पड़ा हुआ था। यहां उसे कौन छोड़ गया, किसी को पता नहीं। सुबह बैलगाड़ी लेकर खेत की ओर जा रहे ग्रामीणों की उस पर नजर पड़ी। ग्रामीण आशाराम ने बताया कि हम जब उसके पास पहुंचे, तो चिंटियां नवजात को काट रही थी। इससे उसका चेहरा लाल पड़ गया था। वैसे ही मासूम को उठाया। छमाबाई और उसका पति भी वहां पहुंचे। महिला ने मासूम को अपनी गोद में उठा लिया और खुद के बच्चे की तरह दुलार करने लगी। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। डायल १०० की मदद से ग्रामीण मासूम को भगवानपुरा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां से बाद में खरगोन लाया गया।
गोदी में उठाकर एसएनसीयू तक छोड़ा
मां का दिल क्या होता है, यह अनपढ़ व आदिवासी महिला छमाबाई ने सभी को दिखा दिया। अपने गांव से लेकर जिला अस्पताल तक महिला ने नवजात को अपने ेसे एक पल के लिए अलग नहीं होने दिया। वह उसे जिला अस्पताल में भी ओपीडी से लेकर एसएनसीयू वार्ड तक खुद छोडऩे पहुंची। छमाबाई व राधेश्याम की पांच संतानें हैं, चार लड़कियां और एक लड़का। एसएनसीयू वार्ड में डॉ. आशा बड़ोले व नर्सों ने मासूम का उपचार किया। डॉ. बड़ोले ने बताया कि रातभर खुले में रहने से मासूम का शरीर ठंडा पड़ गया था। उसका इलाज किया जा रहा है।
मां का दिल क्या होता है, यह अनपढ़ व आदिवासी महिला छमाबाई ने सभी को दिखा दिया। अपने गांव से लेकर जिला अस्पताल तक महिला ने नवजात को अपने ेसे एक पल के लिए अलग नहीं होने दिया। वह उसे जिला अस्पताल में भी ओपीडी से लेकर एसएनसीयू वार्ड तक खुद छोडऩे पहुंची। छमाबाई व राधेश्याम की पांच संतानें हैं, चार लड़कियां और एक लड़का। एसएनसीयू वार्ड में डॉ. आशा बड़ोले व नर्सों ने मासूम का उपचार किया। डॉ. बड़ोले ने बताया कि रातभर खुले में रहने से मासूम का शरीर ठंडा पड़ गया था। उसका इलाज किया जा रहा है।