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कोख से जन्म लेते ही नवजात को फेंका, तो दूसरी महिला ने साड़ी के पल्लू से आंचल ओढ़कर अस्पताल पहुंचाया

locationखरगोनPublished: Oct 27, 2018 02:24:30 pm

आदिवासी अंचल के ग्राम काबरी में नाले के समीप पड़ा था लावारिस, चेहरे पर काट रहे थी चिंटी, ग्रामीणों ने दिया सहारा

khargone bews Unborn Newborn found in forest

मासूम को अपनी गोदी में लेकर गांव से अस्पताल पहुंची छमाबाई।

खरगोन.
कहते हैं मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। यह कहावत शुक्रवार को एक बार फिर चरितार्थ हुई। खरगोन जिला मुख्यालय से करीब ४५ किमी दूर वनवासी अंचल के ग्राम काबरी में सुबह ७ बजे नाले के समीप नवजात पड़ा मिला। ग्रामीण खेतों की ओर जा रहे थे, तो उन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। इसके बाद जब पास जाकर देखा, तो वहां नवजात था। भोलेभाले ग्रामीणों ने तुरंत बच्चे को सहारा दिया। कलयुगी मां ने कोख से जन्म के कुछ ही देर बाद ही मासूम को मरने के लिए फेंक दिया, तो दूसरी महिला छमाबाई पति राधेश्याम ने ममता लुटाते हुए साड़ी के पल्लू से आंचल ओढ़कर नवजात को उठाया और खुद पति के साथ उसे अस्पताल तक लेकर पहुंची। इतना ही नहीं जब तक अस्पताल में मासूम का इलाज शुरु नहीं हुआ, महिला और उसका पति उसे दूर से एकटक निहारते रहे। मासूम के प्रति उनकी करुणा का भाव ऐसा था कि आंखे भी डबडबा गई।
रातभर झाडिय़ों में बिलखता रहा मासूम
ग्रामीणों ने बताया कि मासूम रातभर से नाले के पास झाडिय़ों में पड़ा हुआ था। यहां उसे कौन छोड़ गया, किसी को पता नहीं। सुबह बैलगाड़ी लेकर खेत की ओर जा रहे ग्रामीणों की उस पर नजर पड़ी। ग्रामीण आशाराम ने बताया कि हम जब उसके पास पहुंचे, तो चिंटियां नवजात को काट रही थी। इससे उसका चेहरा लाल पड़ गया था। वैसे ही मासूम को उठाया। छमाबाई और उसका पति भी वहां पहुंचे। महिला ने मासूम को अपनी गोद में उठा लिया और खुद के बच्चे की तरह दुलार करने लगी। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। डायल १०० की मदद से ग्रामीण मासूम को भगवानपुरा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां से बाद में खरगोन लाया गया।
गोदी में उठाकर एसएनसीयू तक छोड़ा
मां का दिल क्या होता है, यह अनपढ़ व आदिवासी महिला छमाबाई ने सभी को दिखा दिया। अपने गांव से लेकर जिला अस्पताल तक महिला ने नवजात को अपने ेसे एक पल के लिए अलग नहीं होने दिया। वह उसे जिला अस्पताल में भी ओपीडी से लेकर एसएनसीयू वार्ड तक खुद छोडऩे पहुंची। छमाबाई व राधेश्याम की पांच संतानें हैं, चार लड़कियां और एक लड़का। एसएनसीयू वार्ड में डॉ. आशा बड़ोले व नर्सों ने मासूम का उपचार किया। डॉ. बड़ोले ने बताया कि रातभर खुले में रहने से मासूम का शरीर ठंडा पड़ गया था। उसका इलाज किया जा रहा है।
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