कोर्ट ने १५ दिन में मांगा है जवाब
हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकिल रणजीत सेन ने बताया डॉ. भट्ट को सीएमएचओ का पद प्रमुख सचिव के आदेश पर मिला, जबकि ३० दिन बाद डॉ. नीमा को सीएमएचओ बनाने के आदेश आयुक्त ने निकाले। कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य संचालनालय को नोटिस जारी कर १५ दिन में इस बात का स्पष्टीकरण मांगा है कि प्रमुख सचिव के आदेश को निरस्त कर आयुक्त ने नए आदेश कैसे जारी कर दिए।
सीएमएचओ के लिए मैं हकदार
डॉ. भट्ट ने बताया वे प्रथम श्रेणी जिला मातृ एवं शिश स्वास्थ्य अधिकारी है। गजट नियमों के अनुसार सीएमएचओ का पद उन्हें ही मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ३० दिन सीएमएचओ के बाद तत्काल हटाने जाने के बाद वे परेशान थे। इस कारण उन्होंने न्यायालय की शरण ली। उन्होंने कहा यह सत्य की जीत है।
आपसी लड़ाई में काम पर ध्यान नहीं
सीएमएचओ पद को लेकर डॉक्टरों की आपसी लड़ाई के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ा कामकाज प्रभावित हो रहा है। जिला अस्पताल में बंद पड़ी सोनोग्राफी मशीन को शुरू करने का कोई ठोस प्लान तैयार नहीं किया गया है। एक्सरे मशीन चलाने वाले की व्यवस्था नहीं है। इसका खामियाजा जिले की जनता को भुगतना पड़ रहा है। जरूरतमंदों को भारी भरकम रुपए देकर प्रायवेट अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। लोगों का कहना है व्यवस्थाओं की बागडोर एक के हाथ में रहे और सीएमएचओ कौन होगा यह तय हो जाए तो रुके हुए कामों को गति मिलेगी।
दोनों कर रहे जिले में दौरा
स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मुख्यालय ही नहीं ब्लॉक व ग्रामीण स्तर पर भी सुविधाएं दम तोड़ रही है। कई जगह स्टॉफ की कमी के चलते मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल रहा। मंडलेश्वर, महेश्वर, बलवाड़ा, सनावद जैसे शहरों से रोजाना अस्पताल से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं। लेकिन उनका कोई समाधान नहीं हो पाया है।